बंगाल में पुलिस बनी मूक दर्शक, अपराधी फेंक रहे सामने बम
कानून व्यवस्था की खुल रही पोल: शुभेंदु अधिकारी
अशोक झा, कोलकाता: बंगाल के बैरकपुर में पूर्व भाजपा सांसद अर्जुन सिंह के आवास के पास बम विस्फोट और गोलीबारी की गई है। वहीं, अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया कि लोगों के एक समूह ने आज सुबह करीब 8.30 बजे पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में उनके कार्यालय-सह-निवास पर पथराव किया, बम फेंके और कई गोलियां चलाईं।पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस घटना का वीडियो शेयर कर राज्य की पुलिस को कटघरे में खड़ा किया है।उन्होंने इस हमले का आरोप सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी पर लगाया। इस वीडियो में लोगों की भीड़ एक घर की तरफ कुछ फेंकते हुए और बाद में भागते हुए दिखाई दे रही है। यह वीडियो उसी घर की छत से शूट किया गया है। इस घटना की जानकारी देते हुए उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर राज्य के राज्यपाल, गृहमंत्री अमित शाह, गृह मंत्रालय और भाजपा पार्टी को टैग करते हुए लिखा, “आज सुबह, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी से जुड़े प्रमुख गुंडों और समाज विरोधी लोगों ने उत्तर 24 परगना जिले के भाटपाड़ में वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व सांसद अर्जुन सिंह के घर पर हमला किया। उन्होंने देसी बम भी फेंके। हमेशा की तरह पुलिस मूकदर्शक बनी रही और अपराधियों को रोकने के लिए कुछ खास नहीं किया। वीडियो फुटेज अपराधियों की पहचान करने और उन्हें इस जघन्य अपराध के लिए गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त है। मुझे उम्मीद है कि डीजीपी और पश्चिम बंगाल की पुलिस कम से कम इन बदमाशों को पकड़ने के लिए विजुअल का उपयोग करने की कोशिश करेगी।”अपने साथ हुई इस घटना की जानकारी पूर्व सांसद अर्जुन सिंह ने भी सोशल मीडिया पर दी। उन्होंने लिखा, “आज सुबह जब सभी नवरात्रि की पूजा में व्यस्त थे, तब एनआईए मामलों में आरोपी और स्थानीय तृणमूल कांग्रेस पार्षद के बेटे नमित सिंह के संरक्षण में और स्थानीय पुलिस की निगरानी में कई जिहादियों और गुंडों ने मेरे कार्यालय-सह-निवास मजदूर भवन पर हमला कर दिया। स्थानीय पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जबकि गुंडे पुलिस के सामने खुलेआम हथियार लहरा रहे थे। इन गुंडों ने करीब 15 बम फेंके, एक दर्जन से अधिक राउंड गोलियां चलाईं। पश्चिम बंगाल पुलिस तृणमूल कांग्रेस की कठपुतली बन गई है। शर्मनाक!”पूर्व सांसद ने इस घटना का एक दूसरा वीडियो शेयर किया। इस वीडियो में कई लोग उनके घर पर कुछ फेंकते हुए देखे जा सकते हैं।अर्जुन सिंह ने दावा किया कि इस हमले के दौरान फायरिंग भी की गई और उनके पैर में छर्रे लगे हैं। उनके अनुसार, एक केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवान को भी चोट आई है। सिंह ने बताया कि जब उन्होंने धमाके की आवाज सुनी, तो वे अपने घर से बाहर निकले और तभी उन्हें एक छर्रा लग गया। सिंह ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जब लोग नवरात्रि की पूजा में व्यस्त थे, तब नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के मामलों में आरोपी और स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) के पार्षद के बेटे, नमित सिंह के संरक्षण में कई जिहादियों और गुंडों ने उनके कार्यालय-सह-निवास ‘मजदूर भवन’ पर हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस इस स्थिति में मूकदर्शक बनी रही, जबकि गुंडे खुलेआम हथियार लहरा रहे थे। सिंह ने कहा कि उन गुंडों ने करीब 15 बम फेंके और एक दर्जन से अधिक गोलियां चलाईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बंगाल पुलिस तृणमूल कांग्रेस की कठपुतली बन गई है, जिसे वह बेहद शर्मनाक मानते हैं। यह पहली बार नहीं है जब अर्जुन सिंह के घर पर इस तरह का हमला हुआ है। इससे पहले, 2021 में भी उनके घर पर इसी प्रकार के तीन देसी बम फेंके गए थे। इस बार की घटना ने राज्य में सुरक्षा स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं और भाजपा सांसद की सुरक्षा को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है। बंगाल में राजनीतिक संघर्ष और हिंसा की घटनाएं आम हो गई हैं, विशेष रूप से जब से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच तीखी प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है। अर्जुन सिंह की इस घटना पर प्रतिक्रिया दर्शाती है कि राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है और इससे जुड़ी हिंसा पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। अर्जुन सिंह का यह हमला न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए चिंताजनक है, बल्कि यह राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाता है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती हिंसा को नियंत्रित करने में असफल हो रही है। राज्य के राजनीतिक माहौल में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा की घटनाएं जनता के बीच भय और चिंता का कारण बन रही हैं। इस प्रकार के हमलों ने न केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को बढ़ाया है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है। इस घटना के बाद, यह स्पष्ट है कि बंगाल में राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष को समाप्त करने और एक सुरक्षित वातावरण स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि आम नागरिकों को इस प्रकार की हिंसा का सामना न करना पड़े।