नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की होगी पूजा

इसकी पूजा से बुद्धि का विकास और जीवन में निर्णय लेने की बढ़ती है शक्ति

 

अशोक झा, सिलीगुड़ी: आज आश्विन शुक्ल पक्ष की उदया तिथि तृतीया और रविवार का दिन है। तृतीया तिथि आज सुबह 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी। आज नवरात्र का चौथा दिन है।नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है जिसके हर रूप की हर दिन पूजा-अर्चना की जाती है। आज माता कुष्मांडा की पूजा की जा रही है। मां कुष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही व्यक्ति को यश, बल और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। अपनी मंद हंसी से ब्रह्मांड उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा कुम्हड़े को कहा जाता है और कुम्हड़े की बलि इन्हें बहुत प्रिय है, जिसके कारण भी इन्हें कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं कि नवरात्र के चौथे दिन देवी कूष्मांडा को क्या भोग लगाएं और पूजा के समय किन मंत्रों का जप करें।मां कूष्मांडा का स्वरूप:
मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा का वाहन सिंह है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है तो आठवें हाथ में जप की माला। कहते हैं इस जप की माला में सभी सिद्धियों और निधियों का संग्रह है। कूष्मांडा देवी थोड़ी-सी सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न हो जाती हैं। जो साधक सच्चे मन से इनकी शरण में आता है उसे आसानी से परम पद की प्राप्ति हो जाती है।
मां कूष्मांडा को अर्पित करें इस रंग के फूल
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी को लाल रंग के फूल अर्पित करें। मां कूष्मांडा को लाल रंग के फूल पसंद हैं। इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर है। कहते हैं सूर्य लोक में निवास करने की क्षमता केवल मां कूष्मांडा में ही है और यही सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन माता रानी को लगाएं ये भोग
माता कूष्मांडा को कुम्हरा अति प्रिय है। इसलिए नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को पेठे को भोग लगाएं। इसके साथ ही माता रानी मालपुए और हलवे का भोग भी लगा सकते हैं।
मां कूष्मांडा पूजा मंत्र-
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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