अकरम की हो रही थी सुपुर्द-ए-खाक की तैयारी, लौट आई कुछ के लिए सांसें
अकरम की हो रही थी सुपुर्द-ए-खाक की तैयारी, लौट आई कुछ के लिए सांसें
सिकहरा गांव निवासी अकरम अली (55) पुत्र अनवर अली पिछले कई साल से मुंबई में रहकर काम धंधा करता था। पूरा परिवार जिसमें पत्नी व दो बेटा-बेटी शामिल हैं साथ में रहते थे। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। एक हफ्ता पहले उसे दिल का दौरा पड़ा तो मुबई के कोलमवली स्थित एमजीएम हास्पिटल में भर्ती करा दिया गया था। क्षेत्र के लोग उसकी इलाज में लगातार मदद कर रहे थे। सात अक्टूबर को डॉक्टरों ने कहा कि पल्स रेट सिर्फ पांच प्रतिशत बची है कुछ ही देर में मौत हो जाएगी। आप इन्हें डिस्चार्ज करा कर अगर गांव ले जाना चाहते हो तो ले जाओ। आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय होने की वजह से गांव लाने की स्थिति में परिजन नहीं थे। इसकी जानकारी डुमरियागंज क्षेत्र के जो लोग मुंबई में रह रहे थे उन्हें हुई तो 65 हजार रुपये में एंबुलेंस बुक कर शाम चार बजे मुंबई से रवाना किया। साथ में अकरम की पत्नी, दोनों बेटे व दो बेटियां भी थीं।
गांव में लोग उसे मरा मान चुके थे और कब्र खोदवाने के साथ कफन तक खरीद कर रख लिया था। एंबुलेंस अकरम को लेकर तड़के सवा तीन बजे सिकहरा पहुंची तो उसके चेहरे से आक्सीजन का मास्क हटाने के बाद साथ एंबुलेंस पर आए मेडिकल सपोर्ट स्टाफ ने भी कहा कि मौत हो चुकी है। कुछ देर बाडी गर्म रहेगी। इस दौरान किसी की नजर शरीर के हरकत पर पड़ी तो उसने पानी में डाला तो पास हो गया। नाक पर अंगुली लगा कर देखी तो सांस हल्की चल रही थी