गीता को जानने वाले जीवन में कभी नहीं होते है दु:खी
आज अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती, सिलीगुड़ी में सामूहिक गीता पाठ की तैयारी हुई तेज
– गीता को जानने वाले जीवन में कभी नहीं होते है दु:खी
अशोक झा, सिलीगुड़ी: आज गीता जयंती का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। गीता जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है और 11 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी और 12 दिसंबर दोपहर सुबह 1 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी।ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, गीता जयंती 11 दिसंबर को ही मनाई जाएगी। इसी दिन मोक्षदा एकादशी भी मनाई जा रही है। विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता सुशील रामपुरिया ने बताया कि घर घर गीता पाठ हो रहे ही। गीता जयंती के साथ सिलीगुड़ी में 15 दिसंबर को होने वाले सामूहिक गीता पाठ की तैयारी भी अंतिम चरण में हो रहा है। यह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इसी दिन महाभारत के युद्ध के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था। गीता में जीवन के दर्शन, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग का विस्तृत वर्णन है।कर्मयोग के अनुसार, मनुष्य को निष्काम भाव से कर्म करते रहना चाहिए। गीता में मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग बताया गया है. मोक्ष का अर्थ है मुक्ति या परमात्मा के साथ एकात्म होना. गीता जीवन जीने की कला सिखाती है. यह हमें कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और शांति बनाए रखने का उपदेश देती है. गीता का अध्ययन आध्यात्मिक विकास में मदद करता है. यह हमें अपने भीतर के ईश्वर से जोड़ने का मार्ग दिखाती है। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन प्रदान करता है। गीता जयंती के दिन लोग गीता का पाठ करते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।इस पर्व का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह हमें जीवन की समस्याओं का समाधान बताता है और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। आज गीता जयंती के अवसर पर आइए जानते है गीता पाठ करने के धार्मिक एवं आध्यात्मिक फायदे के बारे में-गीता पाठ करने से होते हैं ये लाभ: ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, जो भी भक्त अपने घर में गीता का नियमित रूप से पाठ करता है, उसके तथा उसके परिवार के सभी सदस्यों की जन्मकुंडली के सारे ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं।कहते हैं, जिस भी स्थान पर श्रीमद्भागवत गीता का पाठ होता है, वहां के सभी वास्तु-दोष एवं अन्य सभी दोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।इसके पाठ से शत्रु भी परास्त होने लगते हैं। यदि कोई तंत्र-मंत्र का प्रयोग किया गया हो तो वह भी गीता पाठ से पलट जाता है और भक्तों को सुरक्षा प्राप्त होती है।भगवान श्रीकृष्ण तथा श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए गीता के पाठ से बढ़कर अन्य कोई उपाय नहीं है। गीता के किसी भी एक पाठ का नियमित रूप से पाठ करने पर भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन होते हैं।गीता का पाठ करने से भूत, प्रेत, पिशाच, चुड़ैल, जिन्न जैसी समस्त नकारात्मक शक्तियां व ऊपरी बाधाएं व्यक्ति से दूर भागती हैं।जो भी भक्त गीता का नियमित रूप से पाठ करते हैं, उनके जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आती वरन उनके सभी बिगड़े काम अपने आप ही बनते चले जाते हैं।यदि गीता के पाठ के साथ-साथ गीता के श्लोकों से हवन करवाया जाए तो उस घर में होने वाली अकाल मृत्यु का दोष भी खत्म होता है। इसके अलावा असाध्य बीमारियां भी इससे दूर होती हैं।आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों के लिए भी गीता का पाठ लाभदायक होता है, क्योंकि यह घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। मानसिक परेशानी, गृह क्लेश और शत्रुओं से मुक्ति के लिए भी गीता का पाठ एक अचूक उपाय है।
भगवद्गीता का महत्व: भगवद्गीता को “जीवन का सार” कहा जाता है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान पर गहन शिक्षा देते हैं। गीता के उपदेश सिर्फ अर्जुन के लिए नहीं थे, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सिखाया कि व्यक्ति को निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए और फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। हिंदू धर्म में चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद है। इन चारों वेदों का सार गीता में मिलता है यही कारण है भगवतगीता को हिंदू धर्म का पवित्र और सर्वमान्य धर्मग्रंथ माना जाता है। इसकी महत्ता इतनी है कि यदि कोई गीता को स्पर्श कर ले तो वह झूठ नहीं बोलता है।पौराणिक मान्यता:गीता जयंती की पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया था। यह ज्ञान आत्मा, परमात्मा और जीवन-मरण के चक्र को समझने में सहायक है। गीता में बताया गया है कि धर्म का पालन करते हुए जीवन जीना और अपने कर्मों का निर्वाह करना ही मोक्ष का मार्ग है।धार्मिक मान्यता और महत्व:गीता जयंती पर भगवद्गीता का पाठ, यज्ञ और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं। कुरुक्षेत्र जहां महाभारत युद्ध हुआ था इस दिन विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं।आधुनिक संदर्भ में गीता का महत्व:आज भी भगवद्गीता के उपदेश प्रासंगिक हैं। यह जीवन में आने वाले संघर्षों से उबरने का मार्ग दिखाती है। गीता व्यक्ति को अपने कर्तव्यों को सही ढंग से निभाने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।