बांग्लादेश की पाकिस्तान से दोस्ती के बीच तुर्की के साथ 26 लाइट टैंकों की खरीदने का प्लान
सीमा पर किसी भी मुकाबले को बीएसएफ पूरी तरह तैनात
![](https://roamingexpress.com/wp-content/uploads/2025/01/IMG-20250110-WA0082-780x470.jpg)
बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा:
बांग्लादेश सरकार तुर्की के साथ 26 लाइट टैंकों की खरीद को लेकर बातचीत कर रही है. ये टैंक, जिन्हें TULPAR कहा जाता है। तुर्की और इटली की रक्षा कंपनियों के बीच सहयोग का परिणाम है, लेकिन यहां पर ये सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार बांग्लादेश को इन एडवांस टैंक की जरूरत क्यों पड़ गई?क्या यह प्रस्तावित सौदा बांग्लादेश की सैन्य क्षमताओं को आधुनिक और मजबूत बनाने के किया जा रहा है? या इसके पीछे बांग्लादेश की मंशा भारत को बॉर्डर पर आंख दिखाने की है!सबसे पहले बात करते हैं TULPAR लाइट टैंक की, जिसे बांग्लादेश खरीदने का मन बना रहा है. TULPAR लाइट टैंक को बहुउद्देश्यीय और अनुकूलनीय डिजाइन के साथ तैयार किया गया है, जो बांग्लादेश की भौगोलिक विविधताओं और जटिल परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. ये टैंक विशेष रूप से नर्म, दलदली और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में प्रभावी संचालन के लिए जाने जाते हैं, जो बांग्लादेश के व्यापक वेटलैंड और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में सैन्य अभियानों के लिए अत्यधिक अनुकूल रहेगा.
जानें TULPAR की क्या हैं खासियतें: TULPAR को एक अत्यधिक गतिशील और मल्टी लेयर प्लेटफॉर्म के रूप में डिजाइन किया गया है. इसका हल्का लेकिन मजबूत ढांचा इसे कठिन इलाकों में आसानी से ऑपरेशनल होने में सक्षम बनाता है. इसकी गतिशीलता को उन्नत सुरक्षा प्रणाली और आधुनिक फायरपावर के साथ जोड़ा गया है, जिससे यह कई तरह के सैन्य अभियानों को कुशलता से अंजाम देने में सक्षम है. TULPAR का इन परिस्थितियों में संचालन करने की क्षमता बांग्लादेश की सेना को ऐसी परिस्थितियों में रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगी।TULPAR लाइट टैंक बांग्लादेश की घरेलू रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेंगे..लेकिन बावजूद इसके, सवाल ये भी है कि बांग्लादेश क्या भारत और म्यांमार के साथ उसकी सीमाओं पर सैन्य तैयारियों को भी बढ़ाना चाहता है ?भारतीय सीमा, जो क्षेत्र की सबसे व्यस्त और संवेदनशील सीमाओं में से एक है, उस पर बांग्लादेश की टैंक खरीदने की नियत कहीं न कहीं भारत खिलाफ नजर आती है, लेकिन इसमें बांग्लादेश का डर भी नजर आता है, क्योंकि जिस तरह म्यांमार में हालात बेकाबू हो चले हैं, उसे देख कर बांग्लादेश में डर का माहौल है।बांग्लादेश सेना की दुनिया में क्या है रैंकिंग?विश्व के कुल 145 देशों में बांग्लादेश की सेना की रैंकिंग 37वीं हैं. बांग्लादेश का कोई रिजर्व फोर्स नहीं होने के बावजूद उसके पास 68 लाख की पैरामिलिट्री है. थल सेना में 1.60 लाख जवान हैं, तो वायुसेना के 17,400 जवान हैं. वहीं नौसेना में 25,100 सैनिक तैनात हैं।बांग्लादेश की थल सेना के पास 320 टैंक्स हैं. इनमें 224 टैंक्स काफी एक्टिव मोड में हैं. इसके अतिरिक्त 13,100 अलग-अलग प्रकार की गाड़ियां भी थल सेना के पास है. इनमें 9170 हमेशा एक्टिव है. सेना के पास 27 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी यानी स्वचालित तोप, 437 टोड आर्टिलरी और 71 मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम हैं।बांग्लादेश का कुल क्षेत्रफल करीब 1.48 लाख वर्ग किलोमीटर है. इसकी समुद्री सीमा 580 किलोमीटर लंबी है. इसकी इंटरनेशनल बॉर्डर की लंबाई 4413 किलोमीटर है।जानें भारत की सेना की कितनी है ताकत: भारतीय सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना मानी जाती है. इसके पास 4,614 टैंक, 1,00,882 आर्म्ड व्हीकिल, 100 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी, 3,311 हल्की आर्टिलरी, करीब 1,500 रॉकेट आर्टिलरी, अग्नि सीरीज और पृथ्वी सीरीज़ की बैलिस्टिक मिसाइलें, आकाश मिसाइल, ब्रह्मोस मिसाइल, रूद्रम मिसाइल, अस्त्रा मिसाइल, कई तरह की विमानरोधी तोपें, आधुनिक पिस्टल, इंसास राइफल, असाल्ट राइफल, स्नाइपर राइफल, माउज़र, मशीन गन, सिगसौर राइफल्स , एविएशन सपोर्ट, परिवहन, लड़ाकू, मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर आदि हैं। भारतीय सेना के पास बड़ी संख्या में बख्तरबंद वाहन है। भारत के सशस्त्र बलों में 14 लाख से ज्यादा एक्टिव कर्मचारी हैं।
किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार है सीमा सुरक्षा बल : विषम परिस्थितियों में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान कड़ी निगहबानी कर रहे हैं। उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहे ये जांबाज जल-थल और आकाश पर पैनी नजर रख रहे हैं। सुरक्षा बलों के जवान सीमा पर शांति बरकरार रखने और किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं। जवान घुसपैठ, मानव तस्करी और स्मगलिंग रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं।बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि जहां अभी तक बाड़ नहीं लग पाया है, वहां से अवैध घुसपैठ, स्मगलिंग और मानव तस्करी को रोकने के लिए कई तरीकों का उपोयग कर रही हैं। हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए ‘पैन, टिल्ट और जूम’ (पीटीजेड) कैमरे और अन्य फिक्स्ड कैमरे लगाए गए हैं। इनमें रात के समय देखने की क्षमता और सेंसर लगे होते हैं, जो किसी भी गतिविधि को तुरंत नियंत्रित कक्ष में भेजते हैं।पेट्रापोल भूमि सीमा कस्टम स्टेशन के पास बीएसएफ के एक बटालियन कमांड क्षेत्र में 32 किमी लंबी सीमा में से केवल 11 किमी क्षेत्र ही बाड़ से घिरा हुआ है, जबकि बाकी का क्षेत्रों को पारंपरिक और अत्याधुनिक तकनीकों के संयोजन के साथ सुरक्षित किया गया है। अधिकारी ने कहा, स्मार्ट बाड़ लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है। राज्य प्रशासन ने बीएसएफ की आवश्यकताओं के अनुसार सीमा के पास कुछ भूमि बल को सौंप दी गई है। जवानों ने लगाए कई जगह कांटेदार तार
कई जगह जहां पर जहां पर स्मार्ट बाड़ नहीं लगाई जा सकी है, वहां पर बीएसएफ के जवानों ने खुद कांटेदार तार लगाए हैं। इन पर अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं, जो किसी भी घुसपैठिए द्वारा तारों को छूने पर सक्रिय हो जाते हैं, जिससे रात के अंधेरे में भी उस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों का आसानी से पता चल जाता है।360 डिग्री घूमने वाली निगरानी
सीमा पर स्मगलर्स और तस्कर हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं, बीएसएप हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। निगरानी क्षेत्रों में भी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाती है, जहां 360 डिग्री घुमने वाले कैमरे और सेंसर लगे होते हैं। अगर कोई इसे छूता है तो अलार्म बजने लगता है। साथ ही सीमा पर हर गतिविधि को नियंत्रित कक्षों से मॉनिटर किया जाता है और वहां से संबंधित को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए चला जाता है। नेटिंग और गैर-घातक हथियारों का उपयोगकई गांव सीमा से बिल्कुल सटे होते हैं। वहां स्मार्ट बाड़ को घेरने करने के लिए जाल का उपयोग भी किया जाता है, ताकि कोई व्यक्ति सीमा के पार से कोई वस्तु फेंककर दूसरी ओर खड़े प्राप्तकर्ता को भेज न सके। इन बाड़ों की ऊंचाई कुछ स्थानों पर 20 फीट तक होती है। बीएसएफ के जवान ड्यूटी पर पंप एक्शन गन्स (पीएजी) जैसे गैर-घातक हथियारों से लैस हैं।