मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल में नहीं होती हिंदू मुस्लिम, होती है विकास की बात : सीएम नीतीश कुमार
कहा, हमने शुरू किया जीविका केंद्र ने आजीविका नाम से देशभर में किया लागू
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– विधानसभा चुनाव का एजेंडा फिट कर गए नीतीश बाबू, बात निकली है तो दूर तलक जाएगी
अशोक झा, सिलीगुड़ी : प्रगति यात्रा के तीसरे चरण में बिहार के मुखिया नीतीश कुमार काफी शांत और परिपक्त नेता के रूप में आने वाले विधानसभा चुनाव का एक एक एजेंडा फिट कर विरोधियों को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया। सीएम नीतीश कुमार के साथ इस अवसर पर जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सह किशनगंज जिले के प्रभारी मंत्री श्री जमा खान, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह, विधायक इजहार उल हुसैन, विधायक सउद आलम, पूर्व मंत्री मोहम्मद नौशाद आलम, पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम, पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल, जिला परिषद् अध्यक्ष श्रीमती रुकईया बेगम, बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष इर्शादुल्लाह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, पूर्णिया प्रमंडल के आयुक्त राजेश कुमार, पूर्णिया प्रक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक प्रमोद कुमार मंडल, पुलिस उप महानिरीक्षक, सुरक्षा प्रमुख दीपक वर्णवाल, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष शीर्षत कपिल अशोक, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री हिमांशु शर्मा, किशनगंज के जिलाधिकारी श्री विशाल राज, पुलिस अधीक्षक श्री सागर कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं वरीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि सीमांचल के हालत हमने बदले। अब हिंदू-मुस्लिम के बीच कोई विवाद नहीं है। शांति-सौहार्द्र का माहौल है। अब तक 8 हजार कब्रिस्तानों की घेराबंदी हुई। मंदिरों की भी बाउंड्री बनी। आज हर जगह अमन और चैन है।लोग निश्चिन्त होकर अपना काम कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा- हमने ‘जीविका’ शुरू कराई। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। उनका पहनावा और बोलचाल भी बहुत अच्छा हुआ है। बाद में केंद्र सरकार ने इसे ‘आजीविका’ नाम से देश भर में लागू किया। नीतीश ने कहा-2005 से पहले लोग अपने घर से बाहर निकलने में डरते थे। अब कहीं खौफ नहीं है।मुख्यमंत्री ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पुल-पुलिया, साइकिल-पोशाक योजना, नए मेडिकल कॉलेज, हर घर नल का जल, हर घर पक्की गली नाली, शौचालय से लेकर महिलाओं को पंचायत, नगर निकाय, पुलिस, नौकरी में दिए गए आरक्षण आदि की व्यापक चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा-अब तक 9 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गई। 24 लाख लोगों को रोजगार मिला। किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया की जनसांख्यिकी में भारी बदलाव आया है। यहां की तस्वीर बदलने से लोगों की तकदीर भी बदलनी शुरू हो गई है।
सीएम के बातों में है दम: मुख्यमंत्री की बात की गहराई चिंतन करे तो यह बात सौ फीसद सच है कि 2005 के बाद बिहार के हालत बदले है। इसके पहले जनप्रतिनिधि राज्य के मंत्रियों से एक बोरा चीनी परमिट और घर में ट्यूबल की मांग करते नहीं उगाते है। आज जनप्रतिनिधि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े विकास की मांग करते है।वह पूरी हो भी रही है।
सीमांचल में मुस्लिम तुष्टिकरण और वोटबैंक के के कारण लोगों में खींच रही लकीर
इस क्षेत्र को कुछ पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण और वोटबैंक पॉलिटिक्स के कारण गंगा जमुनी तहजीब के बीच लकीर खींचने की कोशिश कर रहे है। एनडीए की माने तो आरजेडी और भारत ब्लॉक में उसके सहयोगियों के कारण यह स्थिति दिन-प्रतिदिन और भयावह होती जा रही है। एक रिपोर्ट में बताया था कि विभाजन के समय 42% हिंदू बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) में रह गए थे। 2022 में वहां हुई जनगणना में हिंदुओं की आबादी आधिकारिक तौर पर केवल 7.95% बताई गई। अगर बिहार के सीमांचल में वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण इसी तरह जारी रहा तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए भी बड़ा संकट पैदा कर सकता है।
सीमांचल के जिलों में मुस्लिम आबादी लगभग 40 से 70% तक है। इसी रिपोर्ट के मुताबिक, 1951 से 2011 के बीच बिहार के सीमांचल जिलों में मुसलमानों की आबादी में 16% की वृद्धि हुई थी। आज की तारीख में असम, नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे बिहार के इन जिलों में मुसलमानों की आबादी करीब 40 से बढ़कर करीब 70 फीसदी हो गई है। किशनगंज में मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि आज सीमांचल की लोकसभा और विधानसभा सीटों की जीत को इंडिया ब्लॉक की सहयोगी आरजेडी और कांग्रेस एक-दूसरे से सीटें छीनने की होड़ में दिख रही हैं। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी यहां अप्रत्याशित रूप से अपना जनाधार बढ़ाया है। अब देखना है कि सीएम नीतीश ने जो बाते कही है वह कहा और कितने दूर तक जाती है।