यह बजट देश के छोटे व्यापारियों को आर्थिक विकास में तेजी लाने का बनेगा माध्यम: सीताराम डालमिया
अशोक झा, सिलीगुड़ी:आम बजट कुछ ऐसा था कि लोगों को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है। प्रीमियम डालमिया के निदेशक सीताराम डालमिया ने कहा कि यह बजट आर्थिक विकास को तेज करने, समावेशी विकास को सुनिश्चित करने, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने, घरेलू भावना को मजबूत करने और भारत के मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाने में सहायक होगा।उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत पर केंद्र सरकार का लगातार ध्यान देना उत्साहजनक है। इस बजट से कृषि, विमानन और पर्यटन क्षेत्र को और बढ़ावा मिलेगा। आयात निर्यात करने वाले कारोबारी आशीष मोर ने कहा कि निर्यात ऋण को आसान बनाना, सीमा पार व्यापार का समर्थन और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की सहायता सरकार के ठोस कदम हैं, जो भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को मजबूत करेंगे।बजट डिजिटल एकीकरण, स्थिरता और सुगम गतिशीलता पर केंद्रित करने वाला बताया। एनएस ग्रुप के निदेशक नारायण अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा दीर्घकालिक वित्त पोषण और संरचनात्मक बदलावों पर जोर देने से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत उच्च मूल्य वाली नौकरियां सृजित होंगी और आर्थिक विकास को बल मिलेगा। बजट को संतुलित बताया। व्यापारी सुशील रामपुरिया ने कहा कि एक ओर मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा किया गया है, तो दूसरी ओर ग्रामीण और एमएसएमई क्षेत्रों के लिए ऋण और कौशल विकास पर भी ध्यान दिया गया है। इसके अलावा, शिपबिल्डिंग, गहरी तकनीक, बुनियादी ढांचे और स्वच्छ ऊर्जा में निवेश को भी प्राथमिकता दी गई है। साथ ही उपभोग, निवेश, समावेशी विकास और घरेलू आय को केंद्र में रखते हुए वित्त मंत्री ने एक आशाजनक और वित्तीय रूप से जिम्मेदार बजट प्रस्तुत किया है, जिसमें राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत रखा गया है और अगले वर्ष इसे 4.4 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। अधिवक्ता सह सीए नरेश टिबरेवाल ने कहा कि राष्ट्रीय निर्माण मिशन के तहत पीपीपी को बढ़ावा देने से निवेश आकर्षित होगा और इस क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि इससे स्टील की मांग बढ़ेगी, जो बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि उद्योग को सुरक्षित और उन्नत उत्पादन पद्धतियों की ओर बढ़ना होगा। बुनियादी ढांचे में वृद्धि से स्टील क्षेत्र की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी। इन बदलावों से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बेहतर होगी।