सुपरटेक के बेवस घर खरीदारों की चीख पुकार अब तो सुन लीजिए सरकार

सुपरटेक ईकोविलेज 2 में घर बुक कराएं आशीष की बूढ़ी मां पूछती है बेटा मेरे जीते जी अपनी छत मिलेगी


नोएडा। यूपी के शो-विंडो में बिल्डरों के हाथों ठगे गए लोगों की संख्या लाखों में हैं। लाखों रुपये देने के बाद ठगे महसूस कर रहे लोगों के दर्द पर हाथ रखने पर पीड़ा को जो मवाद बहता है उसको देखकर दुख होता है। ऐसे ही दर्द से गुजर रहे सैकड़ों लोगों में एक शख्स का नाम है आशीष कुमार। जब वह आफिस से घर आते हैं उनकी बूढ़ी मां गंगोत्री देवी पूछती है बेटा मेरे जीते जी अपने घर की छत मिलेगी क्या? मां के इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं है। आशीष का भी अब विश्वास सा टूटने लगा। प्रधान मंत्री आवास योजना ने भी अपनी छूट वापस ले ली। इनकम टैक्स में भी इन्कम्प्लीट प्रोजेक्ट का क्लेम नहीं कर सकते। कोर्ट ने सबवेंशन स्कीम को फ्रॉड करार दिया ये भी पता चला स्कीम ही फ्रॉड है। प्रोजेक्ट इंसॉल्वेंट में चला गया।


आशीष अपने साथ ठगे महसूस कर रहे अधर में लटके घर खरीदारों से पूछते हैं क्या भारत के नागरिकों के अधिकार इतने कमजोर है। क्या न्याय व्यस्वस्था इतनी कमजोर है की अपने ही अधिकारों के लिए उसे दर दर भटकना पड़ रह हैं। उनके समझ में नहीं आ रहा है कि वह किसके पास जाए।


अपनी कहानी बताते हुए आशीष कुमार कहते हैं मैं एक साधारण परिवार से आता हूं। ग्रेटर नोएडा के नोएडा एक्सटेंशन सेक्टर 16 बी – सुपरटेक ईकोविलेज 2 ऑक्सफ़ोर्ड टावर जी 2 में घर बुक किया 2015 में। सुपरटेक के बहुत सारे स्कीम और वादे के साथ मैं बहुत खुश था कि मुझे मेरा घर मिल जाएगा। मार्केटिंग टीम ने मुझे विश्वास दिलाया। सुपरटेक की स्कीम और वादे ने घर खरीदना काफी आसान और सहज बना रखा था। जिससे मैं जीवन भर की पूंजी और प्लानिंग करके सुपरटेक में घर बुक कराया। मुझे विश्वास था की आसानी से घर मिल जाएगा। मेरे परिवार और बच्चों के सर पर अपना छत होगा। बुकिंग के मुताबिक 10 फीसदी रकम सुपरटेक को देनी थी, जो मैंने किसी तरह से सेल्फ फंडिंग की। सुपरटेक का ऑफर था घर पर कब्जा मिलने तक बैंक ईएमआई सुपरटेक देगा कब्जा मिलने तक। घर under-construction में बुक करा था जो डेट के अनुसार देने का वादा था। कब्जा मिलने तक ईएमआई देने के वादे के कारण घर खरीदने की हिम्मत जुटाई। बिल्डर टाईअप नॉन बैंकिंग कंपनियों (इंडिया बुल्स) से लोन ले लिया ( स्कीम सबवेंशन) प्लानिंग के मध्यम से जिसकी प्री ईएमआई सुपरटेक को ही भरनी थी। इस स्कीम की खास बात यह थी कि जब तक हमें हमारा घर का पजेशन नहीं मिल जाता है तब तक बैंक का प्री ईएमआई सुपरटेक को ही भरना है। एक पल के लिए मैंने अपने क्रेडिट स्कोर और फाइनेंसियल लेनदेन के लिए धन्यवाद दिया। क्योंकि मैंने अपने देनदारी में कभी भी किसी का चेक बाउंस नहीं होने दिया था और सभी देनदार लोन को तय समय में क्लोज किया था। मुझे बुकिंग के कुछ ही महीने बाद से रुलाना शुरू कर दिया। बैंक का प्री ईएमआई जो सुपरटेक को देना था, वह बड़ी मुश्किल से 3 महीने के चेक मुझे दिया। बार बार ऑफिस विजिट करने पर उसके 6 महीने बाद मुझे इन्फॉर्म किया की हमारा प्रोजेक्ट में किसानो का विवाद है आप दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट करलो। विवाद 2010 से चल रहा था जिसके बारे में बुकिंग के वक़्त नहीं बताया गया। बार बार ईएमआई मेरे ही अकाउंट से भरने पर मुझे लगा शायद प्रोजेक्ट बदलने से मुझे जल्दी फ्लैट मिल जायेगा और ईएमआई घर के रेंट की टेंशन से भी छुटकारा मिल जाएगा।

मुझे इको विलेज 4 में शिफ्ट किया गया इस वादे के साथ की प्रोजेक्ट रेरा रजिस्टर है और हमे इसे रेरा के रूल के हिसाब से जल्दी बनाना होगा। मुझे लगा रेरा सरकार ने गठित किया है उसका कोई लीगल वैल्यू होगा। पहले प्रोजेक्ट में फ्लैट की लगत थी 33 लाख में 900 वर्ग फ़ीट था। मुझे 1100 वर्ग फ़ीट लेने के लिए मजबूर किया गया जिसकी कीमत 41 लाख थी। मजबूरी में फिर से मुझे लगा चलो कही न कही से पैसे का इंतजाम कर हे लेंगे पहले किसी भी तरह से सुपरटेक से और बैंक एमई से ,रेंट से छुटकारा मिले। मुझसे अंडरटेकिंग लिया गया की में अपनी मर्जी से प्रोजेक्ट चेंज कर रहा हु प्रोसेस का हवाला दिया गया कहा गया इसके बिना प्रोजेक्ट नहीं बदल सकते। मजबूरन सुपरटेक के हिसाब से अग्ग्रेमेन्ट भी साइन किया कंसेंट लेटर भी साइन किया। 2016 में फिर से वही कहानी ईएमआई का एक भी पैसे नहीं। फ़ोन उठाने बंद प्रोजेक्ट में काम बंद। अब जाके सुपरटेक का खेल समझ आने लगा। आम आदमी को फ्लैट लेने से पहले कानून भी पड़ना पड़ेगा ये पता नहीं था। कानूनी जानकारी और कानून के बारे में भी जानकारी मिलनी शुरू हुई। समझ में आया की बिल्डर बायर्स एग्रीमेन्ट में सब कुछ एक तरफ़ा लिखा गया है। बिल्डर के फेवर में जो बिल्डर्स-सुपरटेक का ये लीगल तरीका है। बायर्स को लम्बे समय तक फ्लैट स्वाइप करने के नाम पर क्योंकी हम अग्ग्रेमेन्ट में कब्जा पीरियड 36 महीनो और 6 महीना ग्रेस पीरियड तक लीगल करवाई नहीं कर सकते। यह पीरियड पूरा होते ही आपको फिर से दूसरे प्रोजेक्ट के एग्रीमेंट में उसी समय अवधि के लिए फंसा दिया जाता है। मेरा सिविल स्कोर खराब ना हो जाए। इसके लिए मैं रेगुलर ईएमआई भरता रहा। उसके बावजूद भी सुपरटेक ने एक भी ईएमआई नहीं दी । अंत में सुपरटेक के जाल में फंस चुका था जिस घर को मैंने बुक किया था वहां पर कभी भी कोई काम नहीं हो रहा था। घर का पजेशन का डेट बढ़ता रहा और इधर से उधर शिफ्ट कर लो के नाम पर कई साल बीत गए।
रेरा में 2 साल तक केस चला रेरा ने रिकवरी सर्टिफिकेट के लिए अटकाए रखा। अचानक से एक दिन न्यूज़ में आया की सुपरटेक के प्रोजेक्ट ईको विलेज 4 को दिवालिये कर दिया गया है। अंत में प्रोजेक्ट इंसॉल्वेंट में चला गया और इंस्टॉलमेंट में जाने के बाद जो सुपरटेक का प्रताड़ना है, वह आज भी जारी है। आज मैं सुपरटेक से इतना पीड़ित हूं कि समझ नहीं आ रहा अपने बच्चों के भविष्या को कैसे बचाएं क्योंकि घर मिला नहीं पैसे पूरा सबवेंशन के नाम में सुपरटेक ने ले लिया बैंक अपने लोन के पैसे मांग रहा है उसका कहना है हमे आपके घर से कोई लेना देना नहीं आपको घर मिले न मिले हमे हमारा पैसा वापस दो । न्याय के लिए अब हम एनसीएलटी में है और उनके हर प्रयास में उनको सहयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री से निवेदन है कि जो परिवार अपने न्यायपालिका पर विश्वास रखता है उनका विश्वास ना टूटे उनके साथ प्रशासन न्याय करें और सहयोग करें इस तरह के बिल्डर के खिलाफ जांच कर इनको सजा दे और मध्यम परिवार का सपना टूटने ना दें। उनको घर के बदले घर मिले।

रोमिंग एक्सप्रेस लगातार नोएडा में सुपरटेक इको विलेज 2 के घर खरीदारों की बेबशी देखकर उनकी पीड़ा को तब तक उठाते रहने का संकल्प लिया है जब तक इनको घर नहीँ मिल जाता है। आशीष ही अकेले नहीं है जिनके दर्द को सुनकर आप का ह्रदय रो रहा होगा। कोरोना में पति को खोने के बाद घर के मासूम बेटी के साथ संघर्ष कर रही परोमिता बनर्जी भी उसी कतार में है। रोते बिलखते इन घर खरीदारों का दर्द देखकर किसी का दिल भर जाता है लेकिन सरकार कब इनके ऊपर तरस खायेगी? यह सवाल सबके दिमाग से लेकर सोशल मीडिया पर उठने लगा है। अभिलाषा देवी, कामलिनी देवी, शशि ज्योति, संजीव सिन्हा, संतोष सहित तमाम के दुःख दर्द रोज सोशल मीडिया पर दिखाई देते हैं। दर्द के शब्द और भाव सबके अलग अलग भले हो लेकिन पुकार एक सुनाई देती है। सुपरटेक के बेवस घर खरीदारों की चीख पुकार अब तो सुन लीजिए सरकार

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