उमेश पाल की मां ने पहले हत्यारोपी के ढेर होने पर आंसू पोछते हुए कहा सब ढेर हो जाएंगे तब बंद होंगे आंसू
प्रयागराज। त्योहार से पहले घर में घुसकर खेली गई खून की होली ने उमेश पाल के परिजनों की रंगों की होली में आग लगा दी है। होली का नाम आते ही रविवार को मां शांति बिलख पड़ीं। बोलीं, रंगे चले न चले, मेरे खातिर क्या? होली के रंग तो दिल में सुलग रहे हैं। मेरी खुशियों में आग लग गई है। सोमवार की सबेरे पहले हत्यारोपी के ढेर होने की खबर पाकर आंसू पोछते हुए मोदी-योगी हैं तो न्याय मिलेगा यह विश्वास है। तेरहवीं के बाद वह सीएम योगी से मिलकर अपने बेटे के इंसाफ के लिए गुहार लगाने की बात रविवार को करने वाली शांति को उम्मीद है सारे अपराधी मिटटी में मिलेंगे।
किसी की बात अच्छी भी नहीं लगती। तेरहवीं की तैयारी पर उनका कहना था कि कोई तैयारी नहीं है। बेटा चला गया। वह समाज के साथ खड़ा रहता था। समाज के साथ चलता था। 13 ब्राह्मणों को बुलाकर बेटे के लिए शांति पाठ कराऊंगी।
होली की बात आने पर वह भारी मन से कहती हैं कि उमेश होली खेलते थे। बच्चों के संग भी और पूरे समाज के साथ। होली पर सैकड़ों लोग मेरे घर आते थे उमेश भैया से होली खेलने। वह गला भरने के साथ फफक पड़ती हैं। कहती हैं कि अब मेरे दरवज्जे पर कौन खेलेगा होली। अब कौन भैया से होली मिलने आएगा।