काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के स्पर्श दर्शन के लिए 500 रुपये शुल्क की अफवाह फैलाने पर 9 के खिलाफ मुकदमा दर्ज

वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा के स्पर्श दर्शन के लिए 500 रुपये शुल्क की अफवाफ फैलाने पंर 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वाराणसी के चौक थाने में यह मुकदमा दर्ज हुआ है। चौक पुलिस ने अजय शर्मा, आशीषधर, रति हेगड़े, विक्रम, भवतेश शर्मा, अरती अग्रवाल, हेमा और दो अन्य समेत अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। तहरीर के अनुसार साजिश के तहत 2 मार्च को अजय शर्मा के नाम से दान के रूप में दिये गये 500 रुपये की रसीद को आधार बनाकर स्पर्श दर्शन के लिए शुल्क लिये जाने की अफवाह फैलाई गई। मंदिर, प्रशासन, ट्रस्टीगण, जनप्रतिनिधियों और शासन की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया। साजिशकर्ताओं के सोशल मीडिया के सक्रिय सहयोगी भी इसमें शामिल रहे।

चौक इंस्पेक्टर ने बताया कि आरोपितों पर धारा 153 ए – सद्भाव बिगाड़ने, 295 – धर्म का अपमान करने, 506 – धमकी, 120 बी – साजिश रचने, आईटी एक्ट – सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अफवाह फैलाने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

मालूम हो कि, 2 मार्च को अजय शर्मा के नाम से रसीद जारी हुई थी, जिसपर शुल्क का उद्देश्य दान लिखा हुआ है। हालांकि दानदाता के नाम के आगे ‘अजय शर्मा स्पर्श दर्शन’ लिखा है। आशंका है कि नाम के साथ स्पर्श दर्शन जोड़कर इसे शुल्क के रूप में दर्शाया गया। इसी से सोशल मीडिया पर 500 रुपये शुल्क लिये जाने की छूठी सूचना वायरल की गई। अजय शर्मा काशी करवत के पास स्थित एक मंदिर के महंत का दामाद बताया जा रहा है। आरोप है कि इस प्रकरण में मंदिर प्रशासन के लोगों को आरोपितों की ओर से धमकी भी दी गई थी।
गौरतलब है यह फेक न्यूज फैलने पर वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने इसका खंडन कर उसी समय स्पष्ट किया था कि किसी तरह का शुल्क निर्धारण नहीं हुआ है। पिछली बैठक में शुल्क लगाने पर विभिन्न ट्रस्ट की ओर से विचार प्रकट किया गया था। उसी समय प्रस्ताव खारिज कर दिया गया था श्रद्धालुओं को शुल्क जमा करना होगा की खबर को अफवाह करार दिया गया है। वाराणसी कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने यह स्पष्ट किया है कि विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन को कोई शुल्क लगाने का अभी निर्णय नहीं हुआ है और ऐसा कोई निर्णय भविष्य में अगर होगा तो उसकी जानकारी दी जाएगी।
कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि एक दिन ट्रस्ट की मीटिंग हुई थी उसके एक-दो दिन बाद भी ये बात आई थी तब भी स्पष्ट कर दिया गया था। यह पुरानी ही बैठकों की बात जो कार्य किया है या उसमें डिस्कशन के पॉइंट होते हैं। वह अलग ट्रस्ट के लोगों के हवाले से बता दिए जाते हैं। सोशल मीडिया में कई मैसेज ऐसे भी सर्कुलेट हो जाते हैं तो पुरानी बातें होती हैं जैसा मैंने बताया कि भारत के अलग-अलग मंदिरों की व्यवस्थाएं हैं। उसका तुलनात्मक अध्ययन किया गया था। उसकी ही चर्चाएं हुई थी, उन्हीं चर्चाओं में यह बात आई थी कि बाकी मंदिरों में इस प्रकार का शुल्क लगता है, लेकिन वाराणसी के मंदिर में कोई शुल्क लगाने का अभी निर्णय नहीं हुआ है और ऐसा कोई निर्णय भविष्य में अगर होगा तो उसकी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल मंदिर में किसी प्रकार के शुल्क की कोई व्यवस्था स्पर्श दर्शन के लिए नहीं की जा रही है। हमारी जो आरतियां होती हैं, या जो हमारे बाकी के हेल्प डेस्क के माध्यम से जो दर्शन होते हैं। उन्हीं की रेट्स जो पहले से निर्धारित है, वो वैसे ही रहेंगी, उसके अलावा कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया है।

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