भारत में लोकतंत्र को लेकर राहुल गांधी के विवादित टिप्पणी पर मुकदमा दायर करने के वाद पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

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वाराणसी। ब्रिटेन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा भारत में लोकतंत्र के प्रति की गई गलत टिप्पणी पर मुकदमा दायर करने के लिए वाराणसी के अदालत में दायर एक वाद पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।
भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र के संयोजक शशांक शेखर त्रिपाठी अधिवक्ता द्वारा राहुल गांधी जी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करने हेतु अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए कोर्ट उज्जवल उपाध्याय जी के अदालत में दाखिल परिवाद पत्र में परिवाद पत्र की पोषणीयता पर सुनवाई दिनांक 17 मार्च 2023 दिन में 12:30 बजे बहस हुई, वादी शशांक शेखर त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार तिवारी, आनंद पाठक,अजय सिंह, चंद्रभान गिरी , दीपक वर्मा व वादी शशांक शेखर त्रिपाठी ने भी पक्ष रखा। पोषणीयता पर बहस करते हुए अधिवक्ताओं ने कहां की राहुल गांधी जी केरल के वायनाड से सांसद हैं, और उनके द्वारा हेट स्पीच दी गई है, माननीय न्यायालय अंतर्गत धारा 190 सीआरपीसी व 179 सीआरपीसी के तहत अपराध को सुनने की अधिकारिता रखती है क्योंकि 179 सीआरपीसी में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि अपराध का विचारण वहां होगा जहां अपराध घटित हुआ है अथवा जहां प्रभावित पक्ष है, वादी शशांक शेखर त्रिपाठी के अधिवताओ ने यह भी कहा कि यह बाद रिप्रेजेंटेटिव सूट टाइप का है क्योंकि प्रार्थी वादी भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र का संयोजक है वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी विभिन्न अनुषंगिक संगठनों में भी पदाधिकारी है राहुल गांधी के बयान से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं और भारत देश में राहुल गांधी के बयान से धार्मिक विद्वेष फैलाने का खतरा बढ़ गया है, राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे धार्मिक सांस्कृतिक संगठन की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड नामक आतंकवादी संगठन से करके भी अपराध किया है, 10 करोड़ से ज्यादा स्वयंसेवक राहुल गांधी के बयान से दुखी व अपमानित महसूस कर रहे हैं, राहुल गांधी ने बयान दिया कि भारत में सिखों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता हैऔर अल्पसंख्यकों दलितों आदिवासियों पर हमले हो रहे हैं राहुल गांधी जी भारत के संविधान की शपथ लेकर संविधान व देश के खिलाफ षडयंत्र रचने का कार्य कर रहे हैं, तथा देश में अराजकता पैदा कर नागरिक संघर्ष का षड्यंत्र रच रहे हैं, विस्तृत बहस के बाद अंत में वादी ने कहा कि माननीय न्यायालय यदि किसी भी विषय से असंतुष्ट हो तो लिखित रूप में विस्तृत आदेश करें जारी प्रार्थी वादी एफिडेविट के साथ सभी बिंदुओं पर जवाब दाखिल कर सके। जिस पर न्यायालय प्रथम अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए कोर्ट उज्जवल उपाध्याय जी ने पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित कर लिया।

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