हिन्दी में विज्ञान लेखन को नवोन्मेषी बनाकर लोकप्रिय बनाया जाएगा

वाराणसी। हिन्दी में विज्ञान लेखन को नवोन्मेषी बनाकर लोकप्रिय करने के लिए आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रकाशन समिति द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत “विज्ञान लेखन, शिक्षा एवं अनुसंधान में हिन्दी के प्रयोग की संभावनाएं, दायित्व और अवसर” विषयक संगोष्ठी का आयोजन विज्ञान संस्थान के महामना सभागार में अपराह्न 3:00 बजे से आयोजित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा. मनोज कुमार पटैरिया, पूर्व प्रमुख व सलाहकार, राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने ‘हिन्दी के विकास की सरकारी योजनाओं पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हमें हिन्दी में विज्ञान लेखन को नवोन्मेषी बनाकर लोकप्रिय किया जा सकता है। आज हमें विज्ञान को जनसामान्य की भाषा में प्रस्तुत करना होगा तभी इसका लाभ लोगों को मिल सकेगा।

विज्ञान संस्थान के निदेशक आचार्य अनिल कुमार त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि एवं विद्वतजनों का स्वागत किया एवं संगोष्ठी की विषयवस्तु से अवगत कराते हुए कहा कि आज हम पुनःविश्व गुरु बनने की तरफ अग्रसर हैं। इसके लिए हम सब को मिलजुल कर कार्य करना होगा।आज हम सब हिंदी भाषी लोगों का दायित्व बनता है कि हम अपने अपने विषय को हिंदी में प्रस्तुत करने और इसके प्रचार-प्रसार का कार्य करें और अपना दायित्व को समझें।

डा. दया शंकर त्रिपाठी हिन्दी भाषा में मौलिक व अनूदित वैज्ञानिक साहित्य सृजन : सरकारी प्रावधान तथा हिन्दी प्रकाशन समिति का संक्षिप्त से परिचय कराया। केन्द्रीय ग्रन्थालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र कुमार सिंह ने हिंदी में पुस्तक लेखन संभावनाएं एवं समस्याएं विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया और कहा कि हमारे पास हजारों की संख्या में ऐसी दुर्लभ विज्ञान की पांणुलिपियां हैं जिन्हें देखना आवश्यक है। भौमिकी विभाग के प्रोफेसर वैभव श्रीवास्तव ने हिंदी में पत्राचार की व्यावहारिक समस्याएं एवं समाधान विषयक व्याख्यान प्रस्तुत किया। हिंदी अधिकारी डॉ. विचित्रसेन गुप्त ने राजकीय कर्मचारियों से हिन्दी में संवाद की अपेक्षाएं तथा संबंधित नियम पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन भौतिकी विभाग के डा. चन्द्रशेखरपति त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन समन्वयक प्रो. जगत कुमार राय ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ महामना मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पगुच्छ अर्पण एवं कुलगीत से हुआ। इस अवसर पर प्रै. एस.बी. अग्रवाल, प्रो. मधु तपाडिया, डा. आनन्द दीपायन, प्रो. राजीव भाटला, प्रो. एस.के. त्रिगुण, डा. श्रृचा आर्या, डा. असीम कुमार ओझा प्रो. आर.के मिश्र सहित अनेक शोध छात्र, शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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