काशी में गंगा पुष्कर कुंभ महोत्सव का वैदिक मंत्रों के बीच श्रीगणेश
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा परशुराम जयंती एवं गंगा पुष्कर कुंभ महोत्सव का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर स्थित त्रंबकेश्वर सभागार में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महोदय ने अपने उद्बोधन में कहां की परशुराम भगवान ने इस पृथ्वी के अत्याचारी शासकों से धरती को बार-बार मुक्त कराया है। आज भारत राजनीतिक रूप से स्वतंत्र तो अवश्य हुआ है परंतु सांस्कृतिक स्वतंत्रता अभी भी शेष है। सांस्कृतिक रूप से उन्नत भारत ही विश्व का नेतृत्व करते हुए विश्व गुरु का स्थान प्रतिष्ठित होगा। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि प्रोफेसर हृदय रंजन शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम भगवान शंकर के अनन्य भक्त हैं और स्वयं भगवान के अवतार हैं। इनका व्यक्तित्व धर्म की मर्यादा की व्याख्या करता है व पुत्र भक्त हैं और शास्त्र निपुण होते हुए भी उदार है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यास के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर नागेंद्र पांडे ने कहा कि आज श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में इस प्रकार के आयोजन की शुरुआत काशी के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के अथक संकल्प से इस प्रकार के कार्यक्रम और आयोजन होते आ रहे हैं। कार्यक्रम के संयोजक न्यास के सदस्य प्रोफेसर ब्रजभूषण हो ओझा ने कहा कि परशुराम भगवान समस्त जगत के नियंता हैं और जननायक हैं, जो समाज में न्याय की स्थापना करते हैं। कार्यक्रम में प्रोफेसर राममूर्ति चतुर्वेदी, प्रोफेसर उपेंद्र पांडे प्रोफेसर शैलेश कुमार मिश्रा प्रोफेसर राम पूजन पांडे प्रोफेसर उपेंद्र त्रिपाठी प्रोफेसर धनंजय पांडे प्रोफेसर शत्रुघ्न तिवारी प्रोफ़ेसर महेंद्र पांडे प्रोफेसर उमा रानी त्रिपाठी प्रोफेसर विजय शंकर शुक्ला अभिजीत दीक्षित प्रमोद कुमार मिश्रा सुनील तिवारी अरविंद शुक्ला अरविंद जौहरी आदि लोगों ने विचार व्यक्त किया धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर रटाटे ने किया।