रात भर दिमाग में रेशमा की कद,काठी नाचने के साथ एक सवाल उमड़-घुमड़ रहा था कि आखिर उसके बुलाने के पीछे मकसद क्या है

रोमिंग जर्नलिस्ट की रिपोर्ट 9

रात भर दिमाग में रेशमा की कद,काठी नाचने के साथ एक सवाल उमड़-घुमड़ रहा था कि आखिर उसके बुलाने के पीछे मकसद क्या है? इन्हीं सब सोच-विचार में जाने किस समय नींद आ गयी। सबेरे नींद खुली तो घड़ी में नौ बज रहे थे। जम्मू का जाड़ा आलस की बेडिय़ां बन गया था। रेशमा की याद आते ही शरीर में पता नहीं कहां से ऊर्जा आ गयी कि चट से बिस्तर छोड़ दिया। ब्रश में पेस्ट लगाकर बाथरुम की तरफ बढ़ा तो अनिमेष पहले से कब्जा करके कोई पुराना हिंदी फिल्मी गाना गुनगुना रहा था। दरवाजे के बाहर से मैने आवाज लगायी बास बाहर जल्दी आओ,मुझे मीटिंग में जाना है। देर हो जाएगी तो संपादक जी..क्लास लेंगे। दस मिनट के अंदर फ्रेश होने के बाद स्नान के नाम पर हाथ-मुंह धोकर तैयार हो गया। घर से बाहर निकलकर चाय पीने के लिए बाहर एक होटल पर पहुंचा तो अखबार के साथी विनोद सिंह जागिंग सूट में मिल गए, पूछा आफिस नहीं जाना है क्या? आज मूड नहीं है अभी संपादक जी को फोन करके छुट्टी ले लूंगा। इधर-उधर की बातचीत के साथ चाय पीने के बाद सिटी बस पकड़कर विक्रम चौक के लिए चल दिया। अमर उजाला का समूह संपादक बनने के बाद शशि शेखर ने सभी संस्करणों में रिपोर्टरों के लिए रोजाना दो खबरों की लिस्ट मीटिंग में लाने का फरमान जारी किया था। बनारस में ही उसकी आदत पडऩे के साथ साथियों को भी इसके लिए उत्प्रेरित करने का काम किया था। यहां भी मीटिंग में वहीं फार्मूला चल रहा था। आज पहली बार संपादक ने खबरों की लिस्ट मांगी, सर लिस्ट नहीं है। दिनेश जी कल से आप भी लिस्ट देंगे। खैर मैने संपादक जी को बताया कि आज गर्वमेंट मेडिकल कालेज जाने का प्लान बनाया है। जयहिंद सुनकर बस में झटका खाने वाली रेशमा की कहानी जानबूझकर नहीं बतायी। आगे कैसी रही मुलाकात इस लिंक को क्लिक करके पढ़े

https://www.roamingjournalist.com/2011/05/blog-post_18.html

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