बांदा के बबेरु में बैलगाडियों से निकली किसान नेता के भांजे की बारात

दूल्हे ने पहना पारंपरिक पोशाक जामा,सिर मे धारण किया खजूर का पवित्र मुकुट

बांदा जिले के बबेरु कस्बे मे एक किसान नेता के भांजे की बारात पुरानी परंपरा के अनुसार बैलगाड़ी के साथ निकाली गई। सभी बाराती बैलगाडियों मे सवार होकर लडकी वालों के दरवाजे पहुंचे।बारात मे काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल रही। दूल्हा बने आलोक सिंह ने शादी की पारंपरिक पोशाक जामा और सिर पर खजूर का मुकुट धारण कर रखा था। बैलगाड़ियों से आई बारात देखकर लोगों में जमकर उत्साह दिखा। कस्बा और आसपास पूरे इलाके मे बैलगाड़ी की बारात आकर्षण का केंद्र रही।
बबेरू कस्बे के रहने वाले भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष विजय विक्रम सिंह के भांजे आलोक सिंह की बारात की निकासी मे पुरानी परंपराओं और रीतिरिवाजों को पनर्जीवित करने का हर संभव प्रयास किया गया। भागडा ढोल, कानफोडू लम्पट डीजे और फिल्मी गीतों का पूरी तरह बायकाट करके प्रचीन बैवाहिक मनमोहक गीतों के साथ बारात निकासी की सारी रश्में निभाई गयीं। सुमधुर ध्वनि बिखेरती शहनाई की कर्णप्रिय मनभावन संगीत लहरी से बबेरु इलाके का सारा ग्राम्यांचल झूम उठा। शादी-ब्याह के पारंपरिक गीत – संगीत से कण-कण स्पंदित हो उठा। पुराने निकासी गीतों का सम्मोहन से कोई भी ब्यक्ति अछूता नहीं रहा। बारातियों के साथ-साथ कस्बे के आमजन और राहगीर भी थिरक उठे। बैलगाड़ी, घोड़ा बग्गी,पालकी,और पुराने वाद्ययंत्रों के साथ निकाली गई बारात की शोभ देखते ही बनती थी। घर से चलकर बारात कस्बे के प्रसिद्ध मां मढ़ी दाई मंदिर पहुंची। मंदिर मे मां का पूजन-अर्चन करने के बाद बैलगाडियों मे सवार सभी बाराती वधूपच्छ के घर को रवाना हो गये।
दूल्हे के मामा और भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष विजय विक्रम सिंह ने कहा कि आज हम सब लोग आधुनिकता और चमक-दमक के चक्कर मे अपनी पुरानी परंपराओं,रीति रिवाजों को भूलते जा रहे हैं। आधुनिकता की दौड मे वैदिक विधि-विधान से होने वाली शादियों की उपेच्छा करके लव मैरिज, कोर्ट मैरिज,और हुडदंग मैरिज, को बढावा दे रहे हैं। यही वजह है कि शादियां टिकाऊ न होकर उबाऊ होती जा रही है। घर परिवार टूट रहे हैं। पुरानी परंपरायें,मर्यादा, बडप्पन,आचार-विचार,सामजिक,पारिवारिक रिश्ते सभी कुछ खत्म होते चले जा रहे हैं। हमें हमारे समाज को जागना होगा। बारातो में लोग बड़ी गाड़ियां मोटर कार लेकर चलते हैं। फिजूलखर्ची करते हैं। इसे रोकने के लिये सबको पुरानी परंपरा को अपनाना चाहिए। जिससे नई पीढ़ी के भी युवा पुरानी परंपरा को जाने।

 

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