महोबा पुलिस ने दलित युवक को दी तालिबानी सजा, प्राइवेट पार्ट में ईट लटका कर दी अमानवीय यातनाएं

न्यायालय के आदेश पर पीड़ित का तीन डॉक्टरों के पैनल से कराया गया चिकित्सीय चेकअप

 

बुन्देलखंड के महोबा में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। चोरी के आरोप में घर से हिरासत में लिए गए दलित युवक को कोतवाली में ऐसी तालिबानी सजा दी गई कि वह लघु शंका तक के लिए तरस गया। उसकी जान पर बन आई। परिवार वालों का आरोप है कि उसके प्राइवेट पार्ट में ईट बांधकर लटका दिया गया। डंडों से जमकर मारपीट की गयी। हालत बिगडने पर जेल भेज दिया गया। न्यायालय के आदेश पर जेलर ने उसे मेडिकल उपचार के लिए जिला अस्पताल भेजा। जहां 3 डॉक्टरों के पैनल से मेडिकल परीच्छण कराया गया है। गंभीर हालत मे उसे झांसी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया है। मेडिकल रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट भेजी गई है। पीड़ित परिवार ने सीएम योगी सहित मानव अधिकार आयोग,और प्रदेश के आला अधिकारियों से आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही और न्याय की गुहार लगाई है।
कचहरी और अधिकारियों के चक्कर लगा रही पीड़ित राजेन्द्र अहिरवार की बहन सरस्वती अपने 20 वर्षीय भाई के साथ पुलिस की हैवानियत और थर्ड डिग्री से बिगड़ी हालत को लेकर न्याय की गुहार लगा रही है। सरस्वती बताती है कि बीती 14 मई को उसके भाई राजेंद्र को रात के समय शहर कोतवाली पुलिस उठाकर ले गई थी। उसे 5 दिनों तक थाने में बैठाए रखा गया। आरोप लगाया कि थाने के अंदर थर्ड डिग्री इस्तेमाल कर उसके भाई को बेरहमी से पीटा गया है । उसके प्राइवेट पार्ट में ईट बांधकर तालिबानी सजा दी गई । जिससे वह चलने फिरने से असमर्थ हो गया । कोतवाली पुलिस ने उसे चोरी के मामले में पकड़ा था और 5 दिन बाद उसे इसी हालत में जेल भेज दिया गया । सरस्वती का आरोप है कि कोतवाली के अंदर उसके भाई को इस कदर मारा-पीटा गया कि 2 दिन तक वह लघुशंका तक नहीं कर पाया। जेल के अंदर तबीयत बिगड़ने पर न्यायालय के समक्ष लिखित शिकायत की गई। जिस पर न्यायालय ने 3 डॉक्टरों के पैनल से उसका मेडिकल परीक्षण कराया। पीड़ित की बहन खुद के साथ भी कोतवाली में अभद्रता करने का आरोप पुलिसकर्मियों पर लगाते हुए पूरे मामले में जांच और कार्यवाही की मांग की है । पीड़ित की मां का कहना है कि चोरी का आरोप लगाकर उसके बेकसूर पुत्र के साथ अमानवीय मारपीट पुलिस ने की है।
वहीँ इस पूरे मामले को लेकर पीड़ित के वकील महेश प्रजापति ने बताया कि बीती15 मई को पीड़ित के परिवार ने पुलिस द्वारा युवक को घर से उठाये जाने की बात बताई थी। जिस पर उन्होने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया था कि उसके मुवक्किल के साथ मारपीट हो रही है। 24 घंटे से अधिक समय होने के बाद भी उसे पुलिस कस्टडी में रखा गया। उसे तालिबानी सजा दी गई और उसे बेरहमी से मारपीट कर जेल भेजने की कार्यवाही की गई है। ताज्जुब की बात है कि पुलिस द्वारा जो डॉकटरी परीक्षण जेल भेजने के पहले कराया गया उसमें “नो इंजरी” लिखा हुआ था।
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ पवन अग्रवाल बताते हैं कि न्यायालय के आदेश पर तीन डॉक्टरों का पैनल गठित कर पीड़ित का मेडिकल परिक्षण कराया गया है। उसकी हालत को गंभीर देख उसे झांसी मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया। बताया कि उसके गुप्तांग में समस्या हो गई थी जिसके इलाज के लिए यहां कोई डॉक्टर नहीं है। इसलिए उसे झांसी मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया और मेडिकल की रिपोर्ट न्यायालय भेजी गई है।

 

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