काशी तमिल संगमम् में पेरियामलम ने किया लोगों में ऊर्जा का संचार
काशी तमिल संगमम
वाराणसी।
काशी तमिल संगमम में शनिवार को आयोजित हुई सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत मुख्य अतिथि मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के. श्रीराम के संबोधन से हुई। उन्होंने काशी एवं तंजावुर की संस्कृतिक एकता पर को रेखांकित किया तथा कहा कि धरातलीय दूरियां होने के बावजूद संगमम के दौरान एक अद्भुत एकता व समानता की झलक दिख रही है। जिला जज वाराणसी डॉ. आनंद कृष्ण विश्वेश जी ने भी कार्यक्रम में शिरकत की।
सांस्कृतिक प्रस्तुति की शुरुआत डॉ. अंबरीश कुमार रंजन द्वारा प्रस्तुत ठुमरी से हुई। कार्यक्रम की अगली कड़ी में मूनुस्वामी और सहयोगियों ने *पेरियामलम* की सुन्दर प्रस्तुति कर खूब वाहवाही बटोरी। यह प्राचीन वाद्ययंत्रों की मदद से प्रस्तुत किया जाता है और मुख्यतः शिव मंदिरों में गाया जाता है।
अगली कड़ी में पी. सावित्री द्वारा कोलट्टम एवं कुम्मीयट्टम प्रस्तुत किया गया। तमिलनाडु में 7 वीं शताब्दी से प्रचलित यह नृत्य डंडे की मदद से किया जाता है। तो वही थप्पूअट्टम की प्रस्तुति कर करम्बुअईरयम ने उस ऊर्जा को बरकरार रक्खा। थप्पूअट्टम की प्रस्तुति में परई वाद्ययंत्र की सहायता ली जाती है।
कार्यक्रम की आख़िरी कड़ी में सम्पूर्ण हरिश्चंद्र पुराण नाट्यम,पावलकोड़ी लोकनाटक की प्रस्तुति सांथी पुथिया एवं समूह द्वारा की गयी। इस प्रस्तुति में राजा हरिश्चंद्र के जीवन की घटनाओं का मंचन किया गया ।