बच्चों की भी भावनाएं होती है, उसे कोई समझने वाला होना चाहिए –शिशिर सिंह

बाल संवाद केन्द्र में बच्चे सुनाएंगे अपने मन की बात

बच्चों की भी भावनाएं होती है, उसे कोई समझने वाला होना चाहिए –शिशिर सिंह
बाल संवाद केन्द्र में बच्चे सुनाएंगे अपने मन की बात

• जिंदगी के खट्टे-मीठे अनुभवों को बच्चों के साथ साझा करेंगे समाज के प्रतिष्ठित लोग।
• आईएएस शिशिर सिंह ने बाल संवाद केन्द्र का किया उद्घाटन।
• बाल संवाद केन्द्र को बच्चे ही संचालित करेंगे।
• 5 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए बाल संवाद केन्द्र।
• आहत और कुंठित बच्चों के अंदर सम्मान और स्वाभिमान का भाव भरेगा बाल संवाद केन्द्र।
• मोबाइल ने छीन लिया कई रिश्तों को।
• शिशिर कुमार सिंह ने बच्चो के साथ संवाद किया, उनकी समस्याएं पूछी। बहुत सारे बच्चों ने शिशिर कुमार के हस्ताक्षर वाली कॉपी ली।

वाराणसी । 35 वर्षों से वंचित बच्चों की शिक्षा, भोजन और पालन पोषण करने वाले विशाल भारत संस्थान ने बच्चों के मन की बात जानने के लिए बाल संवाद केन्द्र की स्थापना की है। केन्द्र के उद्घाटन के मुख्य अतिथि आईएएस शिशिर कुमार सिंह ने सुभाष मन्दिर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चरणों मे पुष्प अर्पित किया एवं दीपोज्वलन कर बाल संवाद केन्द्र का उद्घाटन किया। दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में बाल आजाद हिन्द बटालियन ने मुख्य अतिथि को सलामी दी।

इस अवसर पर विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय परिषद सदस्य आत्म प्रकाश सिंह ने पीपीटी के माध्यम से संस्थान द्वारा बच्चों के लिए किए जा रहे कार्यो से परिचित कराया। मुख्य अतिथि शिशिर सिंह ने बाँसफोर बस्ती के बच्चों को कॉपी कलम वितरित कर शिक्षा के लिए प्रेरित किया।

शिशिर सिंह ने सब बच्चों से पूछा क्या बनोगे। कोई पुलिस और कोई आर्मी में जाना चाहता। अननया और आंशिका ने पूछा की आईएएस बनने के लिए तैयारी कैसे करे। उजला ने कहा कि बच्चों को सीखने के लिए धैर्य की जरूरत होती है लेकिन लोग चिड़चिड़ाने लगते है। शिशिर सिंह ने कहा कि मैं भी इस बात को याद रखूंगा की समस्या हल करते समय धैर्य रखें। बच्चों के साथ संवाद बहुत बेहतर रहा। बाल संवाद केन्द्र में इस तरह से बच्चों की सुनी जाएगी।

इस अवसर पर शिशिर सिंह ने कहा कि मेरा ये सौभाग्य है कि मुझे आप लोगों से बात करने का अवसर मिला। बच्चों की भावनाओं को समझने और उनकी बात सुनने के लिए बाल संवाद केन्द्र की बड़ी भूमिका होगी।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सैकड़ों बच्चों का पालन पोषण करने वाले डॉ० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि बचपन मे दादी और नानी की कहानियां बच्चों को संस्कार और संस्कृति से जोड़ती थी। संयुक्त परिवार के टूटने से सबसे ज्यादा उपेक्षित बच्चे ही हुए है। बच्चों में पारिवारिक रिश्तों के प्रति संवेदना खत्म होती जा रही है। रिश्तों को समझने में नाकाम बच्चों को केवल पैसा कमाने की ही शिक्षा दी जा रही है। बच्चों में न देश सेवा और न समाज सेवा का भाव उत्पन्न हो रहा है। बच्चों की बात न सुनने की वजह से उनके अंदर चिड़चिड़ापन की भावना घर कर रही है जिसका परिणाम घर से भागने, आत्म हत्या करने और अपने माँ बाप को चाकू मारने जैसी घटनाएं हो रही हैं। बाल संवाद केन्द्र में बच्चों के मन की बात ही सुनी और समझी जाएगी।

विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी ने कहा की बाल संवाद केन्द्र पूरी तरह से बच्चों के लिए ही होगा। बच्चों को संस्कार के साथ देश सेवा और अपने से बड़ों का सम्मान करने का गुर सिखाया जाएगा। समाज के प्रतिष्टित लोग बच्चों के साथ प्रति सप्ताह संवाद करेंगे।

संचालन खुशी रमन भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद दक्षिता भारतवंशी ने दिया। कार्यक्रम में विद्या शंकर त्रिपाठी, हितेन्द्र श्रीवास्तव, नाजनीन अंसारी, नजमा परवीन, डा० मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, शिखा, राधा, आकांक्षा, रिया, कुनाल, आयुष, अंश, प्रियांशु, शिवा, आर्यन, अंकित, प्रिंस, दिव्यांश, दर्श, अगस्तया, परी, लाडो, रेहान, अनुष्का, आवनी, अंशिका सिंह, अनन्या सिंह, रोहिता, प्रत्युष सिंह, अक्षत, सूर्यांश, राघवी, तनु, यश, साहिल, प्रियांशी, अंश, भारती, आयुषी, पंखुड़ी, विधि, स्नेहा, तमन्ना, अमन, समीर, साहिबा, रेहाना, सानिया, हरिओम, अंशुमान, तबरेज भारतवंशी, रोजा भारतवंशी, राशिद भारतवंशी, ताजीम भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।

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