सावन में पहली बार गंगा की लहरों पर उतरेगी सोलर बोट

सावन में पहली बार गंगा की लहरों पर उतरेगी सोलर बोट
वाराणसी। सावन में पहली सोलर बोट वाराणसी मे गंगा की लहरों पर सवार होगी। यह सोलर बोट वाराणसी से कैथी मार्कंडेय धाम और विंध्य धाम का सफर कराएगी। इसके साथ ही काशी आने वाले सैलानियों को सुबह-शाम सुबह-ए-बनारस और गंगा आरती के अद्भुत नजारों का दर्शन भी कराएगी। सोलर बोट का रूट और किराया तय कर इसका ट्रायल शुरू करा दिया गया है। पर्यटन विभाग पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये अगस्त से इसका संचालन शुरू करेगा। सोलर बोट अलसुबह 5.30 बजे चलेगी। डेढ़ घंटे में यह गंगा में अस्सी से नमो घाट के बीच सैलानियों को काशी दर्शन कराएगी। इसके बाद सुबह नौ बजे यह मार्कंडेय महादेव कैथी के लिए रवाना होगी और दोपहर 12 बजे तक वापस आएगी। इसके बाद सैलानियों को लेकर यह सोलर बोट विंध्य धाम के लिए प्रस्थान करेगी। करीब चार घंटे के सफर में पर्यटकों को विंध्याचल मंदिर में दर्शन पूजन कराने के बाद उन्हें वापस लेकर आएगी। इसके बाद शाम 5.30 बजे से रात 8.30 बजे तक ये बोट नमो घाट से अस्सी के बीच चक्कर लगाएगी। इसमें पर्यटकों के लिए अलग-अलग पैकेज भी तय किया गया है। वाराणसी के घाटों पर सफर के लिए 850 रुपये किराया तय किया गया है। वाराणसी से कैथी और वाराणसी विंध्य धाम के लिए 1499 रुपये का भुगतान पर्यटकों को करना होगा। इसी पैकेज में सैलानियों के लिए नाश्ते का भी इंतजाम रहेगा। उप निदेशक पर्यटन आरके रावत पीपीपी मॉडल पर पहले सोलर बोट के संचालन की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। वाराणसी से विंध्य धाम और कैथी मार्कंडेय महादेव तक सोलर बोट के संचालन की सभी औपचारिकताएं पूरी कराई जा रही हैं।
आदित्य गंगा क्रूज सेवा के प्रबंधक प्रियांक देव सिंह ने कहा कि सोलर बोट से काशी से मार्कंडेय महादेव और सुबह-ए-बनारस का सफर अगस्त से शुरू होगा। सुबह से लेकर शाम तक का रूट तय कर लिया गया है। बोट का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। इसका संचालन रविदास घाट से होगा। जलमार्ग यातायात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) घाटों के किनारे जेटी का निर्माण भी कराएगा। अधिकारियों के मुताबिक मार्कंडेय महादेव धाम के अलावा काशी के प्रमुख घाटों, चुनार और विंध्यवासिनी धाम में जेटी लगाई जाएगी। इससे पर्यटकों को सुविधा होगी। जल परिवहन को बढ़ावा मिलने से पर्यटन और व्यापारिक गतिविधियां भी तेज होंगी। घाट पर जेटी बन जाने पर जलयानों से सामान उतारने चढ़ाने में सहूलियत होगी। अधिकारियों के मुताबिक पर्यटन और व्यापार को ध्यान में रखकर जलमार्ग यातायात से संबंधित सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है।

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