उत्तर बंगाल में बोनस को लेकर उबाल पर श्रमिकों की प्याली में चाय

श्रमिक और मालिक संगठन आमने सामने, तीसरी बैठक में नहीं बनी सहमति

सिलीगुड़ी: एक ओर प्राकृतिक आपदा और उसके ऊपर चाय श्रमिकों को साल में एक बार दिए जाने वाले बोनस पर
तीसरी बार भी सहमति नहीं बन पाने से श्रमिकों के प्याली में उबाल लें रही है चाय। शनिवार से चाय बागान के सामने गेट मीटिंग का आह्वान किया गया है। यह आंदोलन बोनस पर सहमति नहीं बनने तक और उबाल आएगा। इसकी जानकारी भाजपा और वामपंथी चाय बागान श्रमिको के संगठन नेताओं ने दी है। दुर्गा पूजा पूर्व उत्तर बंगाल के 375 चाय बागान में रहने वाले 8 लाख से अधिक श्रमिकों के लिए शुक्रवार को तीसरी बार बोनस पर मलिक पक्ष के साथ सहमति नहीं बन पाई। इसको लेकर उत्तर बंगाल के चाय की प्याली में उबाल मचा दिया है। सुबह से चाय बागान श्रमिक यूनियन ने चाय बागान श्रमिकों के लिए 20 प्रतिशत पूजा बोनस की मांग को लेकर गेट मीटिंग
होगा।बोनस पर फैसला नहीं होने पर संगठन के मुख्य सलाहकार और केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला, माकपा नेता समन पाठक ने मालिकों पर नाराजगी जताई है और कहा की चाय श्रमिको की मांग को लेकर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
14 सितंबर को पहली और 21 को दूसरी ओर 5 से 6 अक्तुवर को तीसरी बैठक भी बेनतीजा संपन्न हो गया। कोलकाता में बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स की गुरुवार से शुरू हुई तीसरी बैठक के आखिरी दिन शुक्रवार को भी कोई समाधान नहीं निकल सका। कर्ज के मामले में मालिक ने 21 सितंबर को दूसरी बैठक में प्रस्तावित साढ़े 8 फीसदी की दर को बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया है। हालांकि, शुरुआत से ही 20 फीसदी बोनस दर की घोषणा पर अड़े सभी सहयोगी ट्रेड यूनियनों ने इसे खारिज कर दिया। इस बीच, प्रस्तावित बोनस दर पर मालिकों के संघों के बीच तीखी असहमति हो गई है। तराई इंडियन प्लांटर्स एसोसिएशन (टीआईपीए) और इंडियन टी प्लांटर्स एसोसिएशन (आईटीपीए) यह कहते हुए बैठक से बाहर चले गए कि उनके पास 10.5 प्रतिशत से अधिक बोनस देने की शक्ति नहीं है।
इस बीच, श्रमिक संगठनों के एक वर्ग ने शनिवार से विभिन्न चाय बागानों में गेट मीटिंग का आह्वान किया है। बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने 10 अक्टूबर को चौथे बोनस का आह्वान किया है। ओनर्स फोरम कंसल्टेटिव कमेटी ऑफ प्लांटेशन एसोसिएशन (सीसीपीए) के महासचिव अरिजीत राहा ने कहा कि 15 प्रतिशत का प्रस्ताव दिया गया है। जल्दी ही बैठक बुलाने की कोशिशें शुरू हो गईं।पहली बैठक में मालिक पक्ष 8.33 फीसद और दूसरी बैठक में 8.50 फीसद बोनस देने को राजी हुए। जिसे सुनकर सभी श्रमिक उत्तर- बंगाल के डुआर्स-तराई के लगभग 8 लाख स्थायी और अस्थायी श्रमिकों के लिए इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। बेनतीजा बोनस बैठक की खबर मिलते ही चाय श्रमिक वर्ग में निराशा छा गयी। प्लांटेशन एसोसिएशन की सलाहकार समिति (सीसीपीए) के महासचिव अरिजीत राहा के अनुसार, बोनस समझौते को चाय उद्योग की परंपराओं के अनुसार क्रियान्वित किया जाएगा। श्रमिक प्रतिनिधियों को बागान की वित्तीय स्थिति बतायी गयी है। मजदूरों के संयुक्त संगठन ज्वाइंट फोरम के शीर्ष नेता जियाउल आलम ने कहा, ”यह बेहद दु:खद है। बोनस राउंड में देरी की वजह मालिकों का रवैया ठीक नहीं है। 20 प्रतिशत दर बोनस केवल कुछ अतिरिक्त नकदी नहीं है। यह उस मजदूर की पूंजी है जिसने खून-पसीना बहाया है। मंच के एक अन्य नेता मणिकुमार दर्नाल ने कहा कि चाय उद्योग में ऐसा कुछ नहीं हुआ है जिसे आपदा कहा जा सके। अधिकांश उद्यान अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कमाई भी अच्छी है तो बोनस देने में क्यों हो रही देरी। जिन बागानों की खराब स्थिति है। लेकिन अन्य पूरी तरह ठीक है। ऐसे में 20 प्रतिशत से कम की समग्र बोनस दर स्वीकार करना संभव नहीं है। भाजपा के प्रभुत्व वाले भारतीय चाय वर्क्स यूनियन के अध्यक्ष जुगल किशोर झा ने कहा कि 20 प्रतिशत से कम बोनस स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है। यही बात तृणमूल चाय बागान श्रमिक संघ के चेयरमैन नकुल सोनार ने भी कही। तराई डुआर्स प्लांटेशन वर्क्स यूनियन के अध्यक्ष मनोज कारकिदुली ने कहा, ”मालिकों का साढ़े आठ प्रतिशत बोनस का प्रस्ताव न केवल हास्यास्पद है, बल्कि अपमानजनक भी है। उत्तर बंगाल चाय बागान कर्मचारी संघ के महासचिव अभिजीत रॉय ने कहा, उम्मीद है कि मालिक स्थिति को समझेंगे और अगली बैठक में स्वीकार्य समाधान बनाने की राह पर चलेंगे लेकिन उस स्थिति में भी समय कम लगेगा। बागान कर्मचारियों की स्टाफ-सब-स्टाफ संयुक्त समिति के संयोजक आशीष बसु ने कहा, ‘हमने कभी भी कठोर रवैया नहीं अपनाया है। 20 प्रतिशत बोनस को लेकर अभी भी आशान्वित हूं। खराब चाय बागान की वास्तविक वित्तीय स्थिति पर विचार करने के बाद कुछ बागानों को पहले ही छूट दी जा चुकी है। इस बार भी ऐसा ही होगा। @रिपोर्ट अशोक झा

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