मां कामख्या का दर्शन कर भूटान राजा ने प्रारंभ की भारत की आठ दिवसीय दौरा
मां कामख्या का दर्शन कर भूटान राजा ने प्रारंभ की भारत की आठ दिवसीय दौरा
अशोक झा, सिलीगुड़ी: भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक शुक्रवार को असम (भारत) की राजधानी गुवाहाटी पहुंचे। यहां हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री डॉ हेमंत बिस्व सरमा ने उनका स्वागत किया।पड़ोसी हिमालयी देश के 43 वर्षीय राजा का राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, उनके कैबिनेट सहयोगियों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने लोकप्रिय गोपीनाथ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्वागत किया। वांगचुक को असम का पारंपरिक गमछा भेंट किया गया और उन्होंने मुख्यमंत्री एवं उनके कैबिनेट सहयोगियों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। राजा वांगचुक ने कामाख्या मंदिर में दर्शन किए। भूटान के नरेश तीन दिवसीय दौरे पर शुक्रवार दोपहर को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गुवाहाटी के बोरझार स्थित लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। यहां उनका असम के मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने स्वागत किया। भूटान नरेश वांगचुक हवाई अड्डे से सीधे विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कामाख्या धाम पहुंचे, जहां पर उन्होंने पूजा-अर्चना की। इस मौके पर कामाख्या धाम के दौलोई (पुजारी) ने उन्हें कामाख्या मंदिर की प्रतिकृति भेंट की गयी। असम दौरे पर पहुंचे भूटान नरेश कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने उम्मीद जताई कि 3 से 5 नवंबर तक भूटान के नरेश की असम यात्रा से भारत और भूटान की दोस्ती मजबूत होगी और नई संभावनाएं खुलेंगी। मुख्यमंत्री शर्मा शाम को भूटान नरेश के साथ बैठक करेंगे। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया उनके सम्मान में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात्रिभोज का आयोजन करेंगे। भूटान नरेश और उनका दल शनिवार को एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जाएंगे।वांगचुक रविवार भारत की अगले चरण की यात्रा के तहत रविवार को जोरहाट से नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे।भूटान नरेश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ महत्वपूर्ण चर्चा करने का कार्यक्रम है। विदेश मंत्रालय ने बताया है, उनकी यात्रा में असम के साथ ही महाराष्ट्र के दौरे भी शामिल होंगे।
चीन के साथ भूटान की बढ़ती नजदीकी
भूटान नरेश की यह यात्रा चीन और भूटान द्वारा बीजिंग में 25वें दौर की सीमा वार्ता आयोजित करने के कुछ हफ्तों के बाद रही है. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच ‘भूटान-चीन सीमा के परिसीमन और सीमांकन पर संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) की जिम्मेदारियों और कार्यों’ को लेकर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए। दोनों देशों ने 2016 में सीमा वार्ता का आखिरी दौर आयोजित किया था। नया समझौता सीमा मुद्दे को हल करने के लिए 2021 में अंतिम रूप दिए गए तीन-चरणीय रोडमैप पर आधारित है. सीमा के परिसीमन पर पहली तकनीकी वार्ता अगस्त में हुई थी। इस समझौते पर हस्ताक्षर डोकलाम ट्राई-जंक्शन क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों के गतिरोध के चार साल बाद हुआ, जो भूटान द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने के चीन के प्रयास से शुरू हुआ था। डोकलाम संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध कायम है।भूटान के विदेश मंत्री का चीन दौरा
भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग के साथ सीमा वार्ता के बाद बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। इस वार्ता के दौरान सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और दोनों पक्षों ने कहा है कि वे जल्द ही सीमा समझौता चाहते हैं। भारत का एकमात्र पड़ोसी जो नहीं है बीआरआई में शामिल
भारत के पड़ोस में भूटान एकमात्र ऐसा देश है जो आधिकारिक तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में शामिल नहीं हुआ है।हालांकि, चीन को उम्मीद है कि सीमा मुद्दा सुलझने के बाद भूटान के साथ राजनयिक संबंध सामान्य हो जाएंगे।भारत की चिंता: भूटान और चीन के बीच हालिया वार्ता जिस गति से आगे बढ़ी है, उसने नई दिल्ली में पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया है। परिचित लोगों का मानना है कि भूटान राजा अपनी यात्रा का इस्तेमाल इंडियन लीडरशिप को चीन के साथ सीमा वार्ता पर भूटान का पक्ष समझाने के लिए कर सकते हैं.भारत दे सकता स्पष्ट संदेश:
वहीं भारत नेपाल को यह स्पष्ट संदेश दे सकता है कि चीन के साथ सीमा समझौते तक पहुंचने में भूटान की कार्रवाई से भारत की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए, खासकर महत्वपूर्ण डोकलाम ट्राइ-जंक्शन मुद्दे पर।भारत और भूटान की 649 किलोमीटर की साझा सीमा है, जिसमें से 267 किलोमीटर की सीमा असम के साथ लगती है।रविवार को पहुंचेंगे दिल्ली: वांगचुक रविवार को जोरहाट से नई दिल्ली रवाना होंगे। यहां वह पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेंगे। मुख्यमंत्री हिमंत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘उनकी शाही उपस्थिति दोनों देशों के बीच के संबंधों को और मजबूत करेगी। राज्य कैबिनेट ने सद्भावना के संकेत के रूप में बुधवार को भूटान की शाही सरकार के लिए तीन एमबीबीएस सीट आरक्षित रखने को मंजूरी दी। भारत और भूटान की 649 किलोमीटर की सीमा साझा है, जिसमें से 267 किलोमीटर की सीमा असम के साथ लगती है। नई दिल्ली के बाद वह महाराष्ट्र की यात्रा पर भी जाएंगे। इस प्रकार उनका 8 दिनों का दौरा कंपलीट होगा। रिपोर्ट अशोक झा