तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार…. जो राम का नहीं किसी काम का नहीं

सिलीगुड़ी: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर भाजपा ने पूरे देश में विशेष कार्यक्रम चलाने के लिए एक देशव्यापी अभियान की रूपरेखा तय कर ली है। इसका विपक्ष विरोध भी शुरू हो गई है। भाजपा सांसद दिलीप घोष से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि ‘जो लोग ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, इससे साफ है कि वह किसके साथ हैं। जो भगवान राम के साथ नहीं है, वह भारत के साथ नहीं है और अगर वह भारत के साथ नहीं हैं तो देश की जनता भी उनके साथ नहीं है। चुनाव एक बड़ी चीज है और जो लोग नहीं जा रहे हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। भगवान राम पूरे देश के हैं।’ बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए कई राजनेताओं समेत विभिन्न क्षेत्र के लोगों को निमंत्रण भेजा है लेकिन पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी देश भर में बूथ स्तर से आम लोगों को राम लला का दर्शन कराएगी। इसके लिए बीजेपी की ओर से 25 जनवरी से 25 मार्च तक अभियान चलाया जाएगा। देश भर के बीजेपी के कार्यकर्ता और आम लोग अयोध्या जाएंगे और राम मंदिर में राम लला का दर्शन करेंगे। करोड़ों भारतीयों की आस्था मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र से जुड़ी है और उनका मंदिर बना है तो उसे देखने और दर्शन की लालसा भी पैदा होना स्वाभाविक है। श्याम वर्ण की उनकी प्रतिमा भी तय कर ली गई है। ऐसे समय में रामजन्मभूमि आंदोलन और कानूनी लड़ाई भी लोगों को जरूर याद आती होगी। भाजपा का उत्थान ही इस आंदोलन के साथ देखा गया. ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ वो नारा अब सही साबित हो गया है। धर्म के लिहाज से बात तो समझ में आ गई लेकिन राजनीति भी उससे दूर नहीं है। भाजपा के एजेंडे में राम मंदिर शुरू से रहा है। एक बार संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि इस बार हमारे पास बहुमत नहीं है लेकिन जब होगा तो हम राम मंदिर अवश्य बनाएंगे। अब मंदिर बना है तो उसका क्रेडिट भी भाजपा ही लेगी।
आरोपों से भाजपा पर फर्क नहीं : कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना समेत तमाम विपक्षी दल सवाल खड़े कर रहे हैं. आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा धर्म का राजनीतिकरण कर रही है. पीएम जब भूमि पूजन के लिए 2020 में गए थे तो सवाल खड़े हुए थे कि क्या सेक्युलर देश के मुखिया को इस तरह धार्मिक आयोजन की अगुआई करनी चाहिए? खैर, भाजपा जानती है कि अगर कांग्रेस पर एक समुदाय के तुष्टीकरण के आरोप लगते हैं तो वह बहुसंख्यक आबादी को साध रही है। ऐसे में इस तरह के आरोपों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई यह सवाल नहीं खड़ा कर सकता कि देश के ‘मुखिया’ प्रधानमंत्री हैं तो इस तरह भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा राष्ट्रपति या फिर किसी संत से क्यों नहीं कराई जा रही? वोट मांगने की भी जरूरत नहीं?: हो सकता है मंदिर का उद्घाटन होने के बाद भाजपा की तरफ से भी ये बातें की जाएं कि हम राम के नाम पर वोट नहीं मांग रहे हैं, राम हमारी आस्था हैं, वह हमारे दिल में हैं… तो क्या यह कहने से वोटर पर असर नहीं होगा? वास्तव में भाजपा के बिना कुछ कहे उसका काम हो रहा है. प्रमुख ब्रिटिश अखबार ‘गार्डियन’ में रिपोर्ट छपी है, उसमें अयोध्या के राम मंदिर का 2024 के चुनाव पर स्पष्ट असर पड़ने की बात कही गई है। यहां तक कि लेख में भविष्यवाणी कर दी गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरा कार्यकाल मिलना ‘लगभग तय’ है। उसने ‘लगभग अपरिहार्य’ शब्द का इस्तेमाल किया है जिसका मतलब है कि जो होने ही वाला है।
वैसे भी, सोशल मीडिया देख लीजिए. रिंग टोन, व्हाट्सएप स्टेटस, टीवी चैनल, अखबार, रेडियो, यूट्यूब कोना-कोना राममय है। प्रयागराज के एक गांव में सुनने को मिला ‘जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे.’ 2024 के लिए ऐसा प्रचार भाजपा के पक्ष में काफी पहले से शुरू हो चुका है। निमंत्रण मिलेगा तो हाथ तो जोड़ेंगे ही: परंपरागत नागर शैली में बन रहे राम मंदिर परिसर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट होगी। मंदिर का हर मंजिल 20 फुट ऊंचा होगा और इसमें कुल 392 खंभे और 44 फाटक होंगे। मंदिर के निर्माण में विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विशेष भूमिका है. जो भी राम मंदिर को लेकर कार्यक्रम और अभियान आने वाले दिनों में होंगे उसका 3 महीने बाद आम चुनावों में असर पड़ने की पूरी संभावना है। ज्यादा नहीं, इसका एक उदाहरण देख लीजिए. निमंत्रण के रूप में घर-घर ‘अक्षत’ पहुंचना शुरू हो गया है और ले जाने वाले बिना कुछ कहे भाजपा का संदेश दे आएंगे। अक्षत वितरण समारोह विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों और उनके सहयोगियों द्वारा किया जा रहा है। वैसे यह सिर्फ सूचना के लिए है क्योंकि आयोजक कह रहे हैं कि 22 जनवरी को आप घर पर ही पूजा कीजिए। फिर भी अयोध्या में काफी भीड़ होगी और उत्सव पूरे देश में होगा. यह एक ऐसी चीज है जिस पर विपक्षी दल सब कुछ देखते हुए कुछ नहीं कर सकते क्योंकि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का सवाल है. आप कहते रहिए कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बना है लेकिन जो दिखता है वो जनता को समझ में आता है। तब भूमि पूजन करते प्रधानमंत्री मोदी दिखे थे और 22 जनवरी को भी वही प्राण-प्रतिष्ठा में पूजन करते दिखाई देंगे। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं वहां अपने स्तर पर फ्री में लोगों को दर्शन करवाने की तैयारी है. इन सबका असर तो पड़ना ही है। घर-घर अक्षत बांटे जा रहे : हां, अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी 2024 से ही आयोजकों ने पूजित ‘अक्षत’ बांटना शुरू कर दिया है। अक्षत में चावल, हल्दी और घी का मिश्रण होता है और यह अभियान 15 जनवरी मकर संक्रांति तक जारी रहेगा। मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर की जाएगी.l। उन्होंने देशभर के लोगों से इस अवसर को उत्सव के रूप में मनाने का आग्रह किया है। अक्षत युक्त कागज की पुड़िया, राम मंदिर का चित्र और मंदिर के ढांचे का ब्योरा देने वाले पर्चे लोगों में बांटे जा रहे हैं। 5 करोड़ लोगों तक पहुंचेंगे विहिप के कार्यकर्ता : मंदिर न्यास के शीर्ष अधिकारी बता रहे हैं कि इसके जरिए करीब पांच लाख मंदिरों के पास रहने वाले लोगों को राम मंदिर की तस्वीरें और दूसरी चीजें मिलेंगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि वे देश के लगभग पांच करोड़ लोगों तक पहुंचेंगे। हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की थी कि वे 22 जनवरी के दिन को ‘दीपावली’ के रूप में मनाने के लिए अपने घरों में विशेष दीये जलाएं। आप कह सकते हैं कि इस बार करोड़ों हिंदुओं के लिए दिवाली काफी पहले आ गई है। चंपत राय ने बताया कि अक्षत देते समय लोगों से अनुरोध किया जाएगा कि वे अपने पड़ोस के मंदिरों में इकट्ठा होकर इसे एक उत्सव की तरह मनाएं जैसा अयोध्या में हो रहा है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए एक लाख से अधिक भक्तों के अयोध्या आने की उम्मीद है, जिसमें भारत और विदेश से 7,000 से अधिक मेहमान हो सकते हैं. लोगों से कहा जा रहा है कि इस समारोह के बाद वे पड़ोस की कॉलोनियों में ‘आरती’ कर प्रसाद वितरित करें। राय ने लोगों से बड़ी स्क्रीन लगाने को भी कहा है जिससे लोग समूहों में बैठकर सीधा प्रसारण देख सकें. उन्होंने कहा कि सूर्यास्त के बाद लोगों को अपने घरों में ‘दीया’ जलाना चाहिए, जिसका आह्वान प्रधानमंत्री ने भी किया है। यह उत्सव 22 जनवरी को ही खत्म नहीं होने वाला। भाजपा इसे मई तक जारी रखना चाहेगी। हां, तरीका बदल सकता है। हो सकता है अयोध्या से घर-घर ‘राम प्रसाद’ भेजने का ऐलान हो जाए. आज ही खबर आई है कि बीजेपी राम मंदिर पर बुकलेट तैयार करने जा रही है. इसमें बीजेपी और संघ परिवार के योगदान के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस बुकलेट को लेकर भाजपा कार्यकर्ता जनता के बीच जाएंगे।रिपोर्ट अशोक झा

Back to top button