बांग्लादेश में उपद्रवियों ने ट्रेन में आग लगा दी पांच की मौत
कोलकाता: पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में चुनाव से 2 दिन पहले हिंसा का माहौल है। राजधानी ढाका में शुक्रवार रात को ट्रेन में उपद्रवियों ने आग लगा दी। पुलिस ने आशंका जताई है कि राष्ट्रीय चुनावों से पहले विपक्ष के बहिष्कार के बाद ये अशांति फैलाने की कोशिश है। कल रात राजधानी ढाका के गोलापबाग में बेनापोल एक्सप्रेस में आग लगने से कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इस घटना के पीछे सरकार विरोधी तत्वों के होने की आशंका जताई जा रही है। इस घटना के बाद और वहां लगातार हो रही हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे बांग्लादेशी परिजनों में चिंता का माहौल देखा जा रहा है। यहां रह रहे शरणार्थियों का कहना है कि इसी प्रकार की हिंसा के कारण 1971 में उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था।वहीं, विपक्ष इसे सत्ताधारी दल की साजिश बता रहा है और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में घटना की जांच की मांग की है। स्थानीय समाचार चैनलों के मुताबिक, ट्रेन में सवार कई यात्री भारतीय नागरिक थे। पुलिस को संदेह है कि यह आगजनी का मामला है, जिन्होंने पांच डिब्बों में आग लगा दी। 7 जनवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले देश में काफी उथल-पुथल का दौर चल रहा है। स्थिति ये आ गई है कि विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को हिंसा करने से रोकने के लिए सेना को सड़कों पर उतरकर मोर्चा संभालना पड़ा है। बांग्लादेश में आम चुनाव और विपक्ष दलों का बहिष्कार दरअसल, बांग्लादेश में 7 जनवरी को होने वाले आम चुनावों को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है. भारत से चुनाव आयोग के 3 सदस्य 7 जनवरी को बांग्लादेश में होने वाले चुनावों का निरीक्षण करने के लिए ढाका पहुंच चुके हैं. एक ओर शेख हसीना लगातार चौथे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल चुनावों का बहिष्कार कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी-जमात-ए-इस्लामी (बीएनपी-जेईआई) और उसके सहयोगी दलों का की मांग है कि शेख हसीना पहले पीएम पद से इस्तीफा दें और एक तटस्थ या अंतरिम सरकार की देखरेख में आम चुनाव कराया जाए।
विपक्षी दलों का कहना है कि उन्हें इस बात का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है की शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते निष्पक्ष चुनाव संभव हो पाएंगे. हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग ने विपक्षी दलों की इस मांग को ठुकरा दिया है। इसी बात को लेकर उन्होंने आम चुनावों के बहिष्कार करने का फैसला किया है. विपक्ष के इस फैसले के बाद शेख हसीना की जीत पक्की मानी जा रही है. बांग्लादेश के विपक्षी दलों ने चुनाव में भारत की दखलंदाजी का आरोप भी लगाया है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता रुहुल कबीर रिजवी ने एक विदेशी समाचार एजेंसी से बातचीत में आम चुनावों को डमी चुनाव बताया।
बांग्लादेश की विपक्षी पार्टियों की भारत से शिकायत क्यों?
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘भारत शेख हसीना का समर्थन कर रहा है और बांग्लादेश के लोगों को अलग-थलग कर रहा है। भारत को किसी विशेष पार्टी नहीं बल्कि बांग्लादेश का समर्थन करना चाहिए। लेकिन भारत के नीति-नियंता यहां लोकतंत्र नहीं चाहते’। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे बांग्लादेश का अंदरूनी मामला बताकर बीएनपी नेता के आरोपों पर जवाब देने से इनकार कर दिया। एमईए ने कहा, ‘भारत चाहता है कि बांग्लादेश में चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हों’। खास बात है कि संयुक्त राज्य अमेरिका खुले तौर पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी-जमात-ए-इस्लामी (बीएनपी-जेईआई) गठबंधन का समर्थन कर रहा है। बता दें कि बीते साल 2023 में भी शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में इस्तीफे की मांग उठी थी। इस्तीफे की मांग करते हुए करीब महीने तक विरोध प्रदर्शन किए गए थे। विरोध प्रदर्शन में हिंसा के चलते करीब 11 लोगों की मौत हुई थी। कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। प्रदर्शन के बावजूद बीएनपी की शेख हसीना के इस्तीफे और कार्यवाहक सरकार की अगुवाई में चुनाव की बात को नहीं माना गया। इसी के बाद बीएनपी ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया। रविवार (7 जनवरी) को वोटिंग के बाद सोमवार को नतीजे आ जाएंगे। वोटिंग के मद्देनजर बांग्लादेश में सुरक्षा की पूरी तैयारी कर ली गई है। करीब 7,50,000 पुलिस अधिकारियों, अर्धसैनिक बलों और पुलिस सहायकों के अलावा सैनिकों को तैनात किया गया है। बेशक चुनाव को एकतरफ बताया जा रहा है, लेकिन वोटिंग के दिन किसी भी प्रकार की कोई हिंसा न हो और सुरक्षा में कोई चूक न हो इसके लिए प्रशासन पूरी तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट अशोक झा