लोक सभा चुनाव: जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा अर्धसैनिक बल बंगाल में होंगे तैनात

शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कर ली है तैयारी

कोलकाता: राजनीतिक हिंसा के लिए पूरे देश में चर्चित पश्चिम बंगाल में इस बार का लोकसभा चुनाव कुछ अलग ही होने वाला है। शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिए बड़ी संख्या में सेंट्रल फोर्स की तैनाती की जा रही है। राज्य में केंद्रीय बलों की 920 कंपनियां तैनात की जा रही हैं। चुनाव आयोग की सूची के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा संख्या में जवान तैनात होंगे। जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा अर्धसैनिक बल बंगाल में ही भेजे जा रहे हैं। चुनाव आयोग की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव को भेजे गए पत्र से पता चलता है कि राज्य में जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा केंद्रीय बलों की तैनाती की जा रही है। जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय बलों की 645 कंपनियां तैनात करने की बात कही गई है। पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की 920 कंपनियां तैनात की जा रही हैं। इन 920 कंपनियों के अलावा विभिन्न स्ट्रांगरूम की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की 22 अतिरिक्त कंपनियां भी राज्य में उपलब्ध रहेंगी। कुल इतनी कंपनियां होंगी तैनात: इस तरह बंगाल में लोकसभा चुनाव के लिए कुल 942 कंपनियां रहेंगी। अधिकारियों के मुताबिक राज्य में कई दौर में लोकसभा चुनाव होंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय बलों की लगभग 750 कंपनियां तैनात की गई थीं। चुनाव आयोग की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिए गए पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव सुचारू रूप से कराने के लिए देशभर में केंद्रीय बलों की 3400 कंपनियां तैनात की जाएंगी. इनमें से केवल पश्चिम बंगाल में 920 कंपनियां रहेंगी, जो एक चौथाई के करीब है। छत्तीसगढ़ के लिए 360 कंपनियां, उत्तर प्रदेश के लिए 252 कंपनियां, मणिपुर के लिए 200 कंपनियां, झारखंड के लिए 250 कंपनियां, आंध्र प्रदेश के लिए 250 कंपनियां, पंजाब के लिए 250 कंपनियां तैनात की जा रही हैं। वर्ष 2019 के मुकाबले फोर्स की संख्या में बढ़ोतरी के चलते इस राज्य में मतदान का दौर बढ़ेगा या नहीं, इस पर भी कवायद शुरू हो गई है. हालांकि, बलों की तैनाती को लेकर अभी तक चुनाव आयोग कार्यालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. जानकारों के मुताबिक हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव के दौरान राज्य भर में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं को देखते हुए आयोग ने राज्य में केंद्रीय बलों की संख्या बढ़ा दी है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा तैनाती : पश्चिम बंगाल में चरणबद्ध तरीके से सीएपीएफ की अधिकतम 920 कंपनी तैनात किए जाने की उम्मीद है, इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 635, छत्तीसगढ़ में 360 , बिहार में 295, उत्तर प्रदेश में 252 और आंध्र प्रदेश, झारखंड तथा पंजाब में से प्रत्येक में 250 कंपनी तैनात किये जाने की उम्मीद है। निर्वाचन आयोग ने सभी उपयुक्त सुविधाओं के साथ पर्याप्त संख्या में ट्रेन की व्यवस्था करने की भी मांग की है ताकि चुनाव कार्यों को पूरा करने के लिए सीएपीएफ कर्मियों को सुगमता से और समय पर एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाना सुनिश्चित हो सके। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे एक पत्र में आयोग ने कहा है कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और ‘स्ट्रॉंग रूम’ की सुरक्षा जैसी चुनावी ड्यूटी के लिए सीएपीएफ की तैनाती का अनुरोध किया है। 3400 कंपनियां तैनात करने का निर्णय : पत्र में कहा गया है कि आयोग ने राज्यों के सीईओ द्वारा किए गए अनुरोधों पर विचार किया और स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सीएपीएफ की अधिकतम 3,400 कंपनियों को तैनात करने का निर्णय लिया है। सीएपीएफ की एक कंपनी में लगभग 100 कर्मी होते हैं। सीएपीएफ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) शामिल हैं। सीएपीएफ में कुल 10 लाख कर्मी हैं।अन्य राज्य, जहां बड़ी संख्या में सीएपीएफ कर्मियों को तैनात किए जाने की संभावना है, उनमें – गुजरात, मणिपुर, राजस्थान और तमिलनाडु (प्रत्येक में 200 कंपनी), ओडिशा (175), असम और तेलंगाना (प्रत्येक में 160), महाराष्ट्र (150), मध्य प्रदेश (113) और त्रिपुरा (100 कंपनी) शामिल हैं। रेलवे बोर्ड को भी लिखा पत्र : रेलवे बोर्ड को एक अलग पत्र में, निर्वाचन आयोग ने कहा कि चुनावों के दौरान सीएपीएफ कर्मियों को एक जगह से दूसरी जगह भेजने में भारतीय रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका है।हालांकि, आयोग ने कहा कि 2022 और 2023 के चुनावों के दौरान दौरान सुरक्षा बलों की आवाजाही में हुई असुविधा से जुड़े विभिन्न मुद्दे गृह मंत्रालय और सीएपीएफ द्वारा उठाए गए थे। पत्र में कहा गया है कि रेल मंत्रालय से इन चिंताओं को दूर करने का पहले ही अनुरोध किया जा चुका है ताकि सुरक्षाकर्मियों को ट्रेन से भेजने के दौरान इसकी पुनरावृत्ति को टाला जा सके। इसे ध्यान में रखते हुए, रेलवे बोर्ड को चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपने मुख्यालय में, और जोनल स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने तथा ऐसे अधिकारियों की सूची, संपर्क किये जाने के विवरण आयोग एवं सीएपीएफ के साथ पहले ही साझा करने को कहा गया है। रिपोर्ट अशोक झा

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