संदेश खाली में नया विवाद, आईपीएस को खालिस्तानी कहने का मामला तूल पकड़ा
भाजपा का आरोप, ध्यान भटकाने के लिए ममता के इशारे पर हो रहा यह प्लान
सिलीगुड़ी: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी को पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले के अशांत संदेशखालि का दौरा करने से रोकने के लिए धमखाली में तैनात एक सिख आईपीएस अधिकारी को भाजपा कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा कथित तौर पर ‘खालिस्तानी’ कहा गया जिससे अधिकारी गुस्सा हो गए।
भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने दावा किया कि पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे थे और इस आरोप को खारिज कर दिया कि भाजपा समर्थकों ने उन्हें ‘खालिस्तानी’ कहा था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति ने बड़ी ही निर्लज्जता के साथ संवैधानिक सीमाओं को लांघ दिया है”। बनर्जी ने ‘‘सिखों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के दुस्साहसिक प्रयास” की निंदा की और कहा कि उन्हें ‘‘हमारे राष्ट्र के लिए उनके बलिदान और अटूट दृढ़ संकल्प के लिए सम्मान दिया जाता है।” आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह अपनी टीम के साथ धमखाली में तैनात थे और उन्होंने शुभेंदु अधिकारी को कालिंदी नदी के पार स्थित संदेशखालि जाने से रोकने के लिए बैरिकेड लगाए थे। जसप्रीत सिंह को भाजपा समर्थकों के एक समूह द्वारा कथित तौर पर “खालिस्तानी” कहा गया। आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह भाजपा समर्थकों से यह कहते हुए सुने गए, ‘‘सिर्फ इसलिए कि मैंने पगड़ी पहनी है, आप लोग मुझे खालिस्तानी कह रहे हैं? क्या आपने यही सीखा है? यदि कोई पुलिस अधिकारी पगड़ी पहनता है और अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभाता है, तो वह आपके लिए खालिस्तानी बन जाता है? आपको शर्म आनी चाहिए।” सिंह ने कहा कि वह सिर्फ अपना काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो बस अपना काम कर रहा हूं। क्या मैंने आपके धर्म के बारे में कुछ कहा? आप मेरे धर्म के बारे में क्यों बोल रहे हैं?” बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक वीडियो क्लिप साझा किया और कहा कि भाजपा की विभाजनकारी राजनीति ने सभी संवैधानिक सीमाएं लांघ दी हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आज भाजपा की विभाजनकारी राजनीति ने संवैधानिक सीमाओं को बड़ी ही बेशर्मी से लांघ दिया। भाजपा के अनुसार पगड़ी पहनने वाला हर व्यक्ति खालिस्तानी है। मैं हमारे सिख भाइयों और बहनों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के इस दुस्साहसिक प्रयास की कड़ी निंदा करती हूं जिन्हें हमारे राष्ट्र के लिए उनके बलिदानों और अटूट दृढ़ संकल्प के लिए सम्मान दिया जाता है।” मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम बंगाल के सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए दृढ़ हैं और इसे बाधित करने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सख्त कानूनी कदम उठाएंगे।” भाजपा ने हालांकि इस आरोप को खारिज कर दिया और पुलिस अधिकारी पर संविधान के अनुसार अपना कर्तव्य नहीं निभाने का आरोप लगाया। पॉल ने कहा, “किसी ने भी उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया है या खालिस्तानी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है। वह एक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी संविधान के अनुसार अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे थे।” इस बीच, तृणमूल कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सिख समुदाय के सदस्यों ने ‘खालिस्तानी’ टिप्पणी के विरोध में कोलकाता में मुरलीधर लेन पर भाजपा के प्रदेश मुख्यालय का घेराव करने की योजना बनायी है। उन्होंने कहा कि वे आसनसोल में एक और विरोध प्रदर्शन की भी योजना बना रहे हैं। इससे पहले दिन में, पुलिस ने निषेधाज्ञा लागू होने और एकल पीठ के सोमवार के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार के खंडपीठ का रुख करने का हवाला देते हुए शुभेंदु अधिकारी को संदेशखालि जाने से रोक दिया था। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने अपने उक्त आदेश में विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को संकटग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति दे दी थी। बाद में वह कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा अशांत क्षेत्र का दौरा करने की अनुमति मिलने के बाद संदेशखालि पहुंचे। तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर जबरदस्ती जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाये जाने के बाद स्थानीय महिलाओं द्वारा संदेशखालि में विरोध प्रदर्शन किया गया था। शाहजहां तब से फरार है जब गत पांच जनवरी को राशन घोटाले के सिलसिले में उनके परिसर की तलाशी लेने गए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर कथित तौर पर उनसे जुड़ी भीड़ ने हमला कर दिया था। रिपोर्ट अशोक झा