असम में यूसीसी लागू करने की पहल मुस्लिम विवाह व तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 निरस्त

गुवाहाटी: असम में शुक्रवार देर रात मंत्रिमंडल ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाते हुए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया।
असल में उत्तराखंड तो यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन चुका है, अब असम भी उस लिस्ट में शामिल होने की तैयारी कर रहा है।असल में असम सरकार ने शुक्रवार को बैठक बुलाई और मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट 1930 को खत्म कर दिया। अब राज्य सरकार का तर्क है कि बाल विवाह को रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है, लेकिन जानकार मान रहे हैं कि इसका असर बड़े स्तर पर पड़ने वाला है। इसे यूसीसी लागू होने के पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है। अभी तक सरकार ने इसे लेकर कुछ नहीं बोला है, लेकिन चर्चा तेज है। जानकारी के लिए बता दें कि बिस्वा सरकार ने कुछ समय पहले ही एक कमेटी का गठन किया था। उस कमेटी को हाई कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में बनाया गया था, तब कहा गया था कि इस्लाम में भी बहुविवाह अनिवार्य नहीं है। ऐसे में इस प्रथा को तोड़ने के लिए एक कानून बनाने की बात कही जा रही थी। अब मुस्लिम मैरेज एक्ट खत्म कर एक कदम तो उस दिशा में बढ़ा दिया गया है। वैसे यहां समझने वाली बात ये है कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के लागू होने के बाद से हिंदुओं, बौद्धों और सिखों में बहुविवाह खत्म हो चुका है। इसी तरह ईसाइयों में भी ईसाई विवाह अधिनियम 1872 के तहत इस परंपरा को खत्म किया गया है। लेकिन मुस्लिम समुदाय अभी भी बहुविवाह आम बात है। कुछ संगठन जरूर इसका खंडन करते हैं और इसे धार्मिक आधार पर किया गया हमला देखते हैं। लेकिन असम सरकार रुख एकदम स्पष्ट चल रहा है। यहां की बीजेपी सरकार तो 2026 तक बाल विवाह पर एक नया कानून लाने पर भी विचार कर रही है जिसके तहत दो साल की सजा को बढ़ाकर दस साल कर दिया जाएगा।
अगर उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात की जाएं तो उसमें मुस्विम से लेकर हिंदुओं तक के लिए काफी कुछ बदल गया है। मुस्लिम धर्म में पहले शादी की कोई उम्र नहीं थी, लड़का-लड़की लायक लगे तो शादी करवा दी जाती थी। लेकिन अब जब यूनिफॉर्म सिविल कोड आ चुका है, शादी की उम्र सेट कर दी गई है। लड़की की उम्र कम से कम 18 होनी चाहिए, वहीं लड़के की उम्र 21 होना जरूरी है। इसी तरह पहले मुस्लिम धर्म में बहुविवाह की इजाजत थी, लेकिन UCC आने के बाद इस पर रोक लग गई है। जो बिल पास हुआ है, उसमें कुछ कंडीशन्स दी गई हैं। अगर पहली शादी में तलाक नहीं हुआ है, आप दूसरी शादी नहीं कर सकते। रिपोर्ट अशोक झा

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