संदेशखाली में फैक्ट फाइंडिंग टीम के सामने आया कड़वा सच
कोलकाता: बंगाल के संदेशखाली में फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कुछ गांवों का दौरा कर कई लोगों से मुलाकात की। बैठक के बाद टीम के एक सदस्य राजपाल सिंह ने कहा कि मामले में शाहजहां की गिरफ्तारी के बावजूद 11 लोग अभी भी स्थानीय लोगों को धमकी दे रहे हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे पास 11 लोगों की सूची है जो शाहजहां की गिरफ्तारी के बावजूद लगातार महिलाओं को धमकी दे रहे हैं, मेरे पास उनका पूरा ब्योरा है। फैक्ट फाइंडिंग टीम के मेंबर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन शाहजहां को गिरफ्तारी से बचा रहा है। उन्होंने कहा कि हर गुजरते दिन के साथ ज्यादा फैक्ट सामने आ रहे हैं, उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद शाहजहां शेख को गिरफ्तार कर लिया गया है। वह अपनी गिरफ्तारी के बाद भी एक हीरो की तरह चल रहा था। यह दर्शाता है कि उसे राज्य और उसकी पुलिस द्वारा संरक्षित किया गया था। उन्होंने कहा कि उनके निष्कर्षों की एक रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को एक अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। हम अपनी अंतिम रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति, केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप देंगे। और अगर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हमारी रिपोर्ट स्वीकार करने के लिए सहमत होती हैं, तो उन्हें सौंप देंगे। फैक्ट फाइंडिंग टीम के दौरे के बाद कुछ महिलाओं से बात की, जिन्होंने जमीन पर कब्ज़ा और अन्य घटनाओं से संबंधित अपने शिकायत पत्र सौंपे। महिलाओं ने अपने लिए पुलिस सुरक्षा, शाहजहां शेख और मामले के अन्य आरोपियों को कड़ी सजा देने की भी मांग की। ‘दुर्गा बनकर खड़ी हो गईं संदेशखाली की महिलाएं, मजबूर होकर झुकी ममता सरकार’, बंगाल के कृष्णा नगर में बोले PM मोदी एक महिला ने बात करते हुए कहा कि मैं जमीन हड़पने के बारे में यह शिकायत-पत्र लेकर यहां आई थी। हम सुरक्षा चाहते हैं, क्योंकि फैक्ट फाइंडिंग टीम दिल्ली से आई है। अब तक मैं शाहजहां शेख से डरती थी, अब जब उसे गिरफ्तार कर लिया गया है, तो मैं मुझे लगता है कि मैं अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हूं, जिससे मुझे अपनी जमीन वापस पाने में मदद मिल सकती है। एक अन्य महिला ने कहा कि हम चाहते हैं कि शाहजहां को कड़ी सजा मिले, वरना वह जेल से छूटने के बाद हम पर अपना अत्याचार फिर से शुरू कर देगा। हम अभी भी डरे हुए हैं क्योंकि कुछ लोग हमें धमकी दे रहे हैं। वहीं पश्चिम बंगाल के मंत्री और टीएमसी नेता शशि पांजा ने फैक्ट फाइंडिंग टीम को लेकर कहा कि मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम सीएम ममता द्वारा उठाए गए कदमों को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जब गलत आरोप साबित नहीं हुए थे, तब भी कदम उठाए गए थे, क्योंकि लोग परेशानी में थे। उन्हें निश्चित रूप से फैक्ट खोजने के लिए जाना चाहिए, लेकिन कोई अन्य तथ्य स्थापित नहीं किया जाना चाहिए।
कानून को बौना साबित करने वाली इस जमात को राजनीतिक संरक्षण हासिल होता है। ऐसे में धनबल और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग व्यवस्था की कमियों और छिद्रों के चलते नियम कानूनों को आसानी से गच्चा देते हैं। आम आदमी की मामूली-सी गलती पर उसे पकड़ने में भरपूर तेजी दिखाने वाली पुलिस को प्रभावशाली और रसूखदार लोगों तक पहुंचने में वक्त लग ही जाता है। पश्चिम बंगाल में इसकी अवधि कुछ ज्यादा ही लंबी हो जाती है। संदेशखाली मामले से चौतरफा निंदा का पात्र बना तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख 55 दिनों से फरार रहने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आया। लेकिन तब, जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता सरकार को फटकार लगाई। यदि फटकार नहीं लगी होती तो उसे छुपाए रखा गया होता। वह जिस हनक और रुआब से थाने और अदालत में दाखिल हुआ, उससे यही लगा कि वह कोई शहंशाह है। पश्चिम बंगाल पुलिस उसके आगे दंडवत और सहमी दिखी। उसे सत्ता का संरक्षण प्राप्त था, यह सच्चाई तृणमूल कांग्रेस के इस कथन से छिपने वाली नहीं कि हमने उसे निलंबित कर दिया। यह राजधर्म नहीं, बेशर्मी है कि उसे गिरफ्तार न करने के लिए उच्च न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या तक की गई। यदि ईडी को शक है कि बंगाल पुलिस शाहजहां शेख की मदद कर सकती है तो यह स्वाभाविक है। बड़ी निर्लज्जता से तृणमूल कांग्रेस की सरकार अपने नेता का बचाव करती रही। संदेशखाली की महिलाओं ने जिन शब्दों में अपनी पीड़ा का बयान किया है, उससे किसी पत्थर दिल व्यक्ति का भी दिल पिघल सकता है। लेकिन पश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री का दिल नहीं पसीजा। भारतीय जनता पार्टी के विरोध और हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद शाहजहां को गिरफ्तार किया गया। संदेशखाली जैसी घटनाएं कुछ दिन चर्चा में रहती हैं फिर जनमानस की खोपड़ी से गायब हो जाते हैं. निठारी कांड कितनों को याद है? बिहार मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस कितनों को याद है? कितनों को उसके दोषी की सजा याद है? कुछ दिन बाद ऐसा ही संदेशखाली में को भी लेकर होगा।
प्रभावशाली किसी मामले में फंस भी जाते हैं तो उनके चेहरे, बाडी लैग्वेंज, चेहरे से टपकते घमंड और अहंकार को देखकर ऐसा नहीं लगता कि उनको कानून का रत्ती भर भी भय है। पुलिस प्रशासन को तो वो अपना चाकर समझते हैं। कहीं न कहीं व्यवस्था भी उनकी चाकरी करती दिखाई देती है। देश की अदालतों में करोड़ों मुकदमे लंबित हैं। और आम व्यक्ति को न्याय पाने के लिए वर्षों प्रतीक्षा करनी पड़ती है। भ्रष्टाचार व अन्य गंभीर मामलों में दर्जनों रसूखदार आसानी से जमानत पाकर आराम की जिंदगी बिता रहे हैं। किसी नेता या रसूखदार को जब जांच एजेंसी पकड़ती है तो वो विजय मुद्रा बनाकर हवा में हाथ लहराता है। मानो उसने कोई महान काम किया है। गिरफ्तारी के समय या जांच के लिए जाते वक्त नेताओं और रसूखदारों के हावभाव ऐसे होते है मानो वो एहसान करने जा रहे हैं। और उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया, उनको तो राजनीति के चलते फंसाया गया है। जांच एजेंसी के आफिस के बाहर नेता के समर्थकों का धरना, प्रदर्शन अप्रत्यक्ष तौर पर जांच एजेंसी को डराने, धमकाने और प्रेशर डालने का कृत्य है। वहीं किसी रसूखदार को सजा मिलने पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं, वे स्तब्ध करने वाली होती हैं। उनमें अपने विशिष्ट होने का अहंकार और न्यायालय की अवमानना के साथ-साथ संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी सुनाई पड़ती है। खुद को कानून से ऊपर समझने वाले किसी रसूखदार ने अगर कोई गैरकानूनी काम किया है तो देर सबेर कानून उनके किए की सजा देगा ही, लेकिन उस उच्चवर्गीय अहंकार पर अंकुश लगाने की भी जरूरत है, जो अपने गलत कामों को सही सिद्ध करने के हठ में अमानवीय हो जाता है। भाजपा नेता दिलीप घोष ने संदेसखाली हिंसा मामले में पूर्व तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के बाद आए। घोष ने तृणमूल कांग्रेस की तीखी आलोचना की और पार्टी पर शेख शाहजहाँ सहित भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को बचाने का आरोप लगाया, जिसे उन्होंने भ्रष्ट और बलात्कारी दोनों करार दिया। प्रचलित अराजकता पर प्रकाश डालते हुए, घोष ने जोर देकर कहा कि ठगों, माफियाओं और यौन अपराधियों सहित आपराधिक तत्वों को तृणमूल कांग्रेस शासन के तहत छूट का आनंद मिलता है, यह चिंता उन्होंने लगातार उठाई है।भाजपा सांसद ने दावा किया कि भाजपा के विरोध प्रदर्शन और मीडिया जांच के दबाव ने बंगाल पुलिस को शेख शाहजहां को पकड़ने के लिए मजबूर किया, जिसे उन्होंने कथित तौर पर दो महीने तक बचाया था। तृणमूल कांग्रेस के तहत मामलों की स्थिति से मोहभंग व्यक्त करते हुए, घोष ने कहा कि बंगाल को संसाधनों की बड़े पैमाने पर लूट और महिलाओं की गरिमा के उल्लंघन का सामना करना पड़ा है। उन्होंने आगामी चुनावों में मतदाताओं से शानदार प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने हुगली जिले के आरामबाग में एक सार्वजनिक संबोधन के दौरान बंगाल के पीड़ित नागरिकों, विशेषकर संदेसखली घटना से प्रभावित महिलाओं के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस की भी निंदा की। उन्होंने कसम खाई कि राज्य के लोग अपने वोटों के माध्यम से प्रतिशोध मांगेंगे।इस बीच, घोष ने हाल ही में बंगाल दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पीएम मोदी से मुलाकात पर सवाल उठाया और संकेत दिया कि वह अपनी पार्टी की छवि बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। संदेशखली में यौन उत्पीड़न और भूमि अतिक्रमण के आरोपी शेख शाहजहाँ को हिंसक विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक उथल-पुथल के कारण 55 दिनों की तलाश के बाद 29 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें तृणमूल कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस मामले पर 4 मार्च को सुनवाई निर्धारित की, जिसमें पूर्व नेता के प्रति कोई नरमी नहीं बरतने का संकेत दिया गया। रिपोर्ट अशोक झा