दुष्कर्म के आरोप से कोर्ट ने कैली के डॉक्टर को किया बरी

दुष्कर्म के आरोप से कोर्ट ने कैली के डॉक्टर को किया बरी

उप्र बस्ती जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम विजय कुमार कटियार की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी कैली के चिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ शंकर सिन्हा को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने पीड़िता की ओर से झूठा साक्ष्य देने के मामले में धारा 344 सीआरपीसी के तहत अपराध का संज्ञान लिया है।
प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश के साथ सम्मन जारी कर दिया है। इसमें पेशी की तारीख 18 अप्रैल तय की गई है। लखनऊ जनपद की रहने वाली युवती ने एसपी को प्रार्थना-पत्र देकर बताया था कि वह टीचिंग करती है। डॉ. सिद्धार्थ से एक सोशल नेटवर्किंग पर जान-पहचान बढ़ी। हम दोनों को रिश्ता वर्ष 2021 से बहुत गहरा हो गया। दोनों सहमति से शारीरिक संबंध बनाते रहे। सिद्धार्थ विवाहित होने के कारण बस्ती ड्यूटी पर आने के बाद फोन पर अक्सर उससे बात करते थे। 10 अगस्त 2022 को युवती कैली हॉस्पिटल के छात्रावास पर आई और डॉ. सिद्धार्थ से सहमति से संबंध बनाया। डॉ. कमलेश और डॉ. गौतम को बुला लिया था। तहरीर के आधार पर थाना कोतवाली में गैंगरेप का मुकदमा पंजीकृत किया। विवेचना में पुलिस ने डॉ. कमलेश व डॉ. गौतम का नाम साक्ष्य नहीं मिलने के कारण निकाल दिया। केवल डॉ. सिद्धार्थ के विरुद्ध दुष्कर्म, मारपीट व अपशब्द कहने के मामले में आरोप-पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। न्यायालय में पीड़िता ने बयान दिया गया कि घटना के समय उसकी उम्र 30 वर्ष थी। आरोपी के साथ वह सहमति से शारीरिक संबंध बनाती थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता राजेश शुक्ल ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में भी सेक्सुअल एसॉल्ट का कोई साक्ष्य नहीं मिला। न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि वह उम्र 30 वर्ष की है। उसने आरोपी के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाया था। जो अपराध के श्रेणी में नहीं आता है। न्यायालय ने आरोपी डॉक्टर सिद्धार्थ शंकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

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