बंगाल में भाजपा- टीएमसी 70 बनाम 30 के फार्मूला पर चुनावी मैदान में

मुस्लिम वोट खिसकने से ममता बनर्जी की पार्टी आ जायेगी मुश्किल में

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सियासी पारा चरम पर है। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. भाजपा राज्य की 42 में से कम से कम 35 सीटों पर कमल खिलाने का टार्गेट लेकर चल रही है वहीं तृणमूल कांग्रेस ने यह चुनाव अपने दम पर लड़कर खुद को साबित करने जुटी है।बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य ने बताया कि ममता बनर्जी समाज का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहीं है।उन्होंने कहा कि लोग सभी समुदायों के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री की योजना जानना चाहते हैं, लेकिन इसके बदले में वह (ममता बनर्जी) लोगों के बीच विभाजन का बीज बो रही है। समिक भट्टाचार्य ने कहा, “रेड रोड में रैली के दौरान मुस्लिम भाइओं के बीच सौहार्द और भाईचारे को फैलाने की जगह वह लोगों के बीच विभाजन के बीज बो रही हैं। वोट बैंक की राजनीति के लिए ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा नेता का ममता बनर्जी पर आरोप
ईद उल फितर के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि कुछ लोग लोकसभा चुनाव के दौरान दंगा करने की कोशिश करने वाले हैं। इस दौरान उन्होंने लोगों से किसी भी साजिश का शिकार न बनने की अपील की है। ममता ने आगे कहा, “हम नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, एनआरसी और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू होने नहीं देंगे। अगर हम एकता बनाकर रखेंगे तो हमे कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को पश्चिम बंगाल के विकास के रोडमैप का अनावरण करना चाहिए, जो उनकी आर्थिक स्थिति का सुधार कर सके। उन्होंने आगे कहा, “बंगाल से दूसरे राज्यों में मस्लिमों समेत युवाओं के प्रवास को रोकने के तरीकों पर बात करने के बजाय उन्होंने धार्मिक त्योहारों से पहले एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ करने की कोशिश की। यह बहुत ही खतरनाक राजनीति है।टीएमसी का पलटवार:
टीएमसी प्रवक्ता त्रिनांकुर भट्टाचार्य ने कहा कि सीएम ने केवल भाजपा-आरएसएस के नफरत से भरे, विभाजनकारी और सांप्रदायिक एजेंडा की ओर इशारा किया था। केंद्रीय बलों की सहायता से बंगाल में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा, “हमें भाजपा की सलाह नहीं चाहिए। सीएम हमेशा लोगों के साथ है। वह एक ऐसी नेता है जो पंडाल में मां दुर्गा की चोकशुडान करती है, छठ पूजा में शामिल होती है और ईद में भी भाग लेती है। वह क्रिसमस के दिन चर्च भी जाती है और सिखो के त्योहार पर गुरुद्वारा भी जाती है।”उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की नीतियों के कारण मजदूरों को बंगाल छोड़कर दूसरे शहरों में जाना पड़ रहा है। यह केंद्र का पश्चिम बंगाल के साथ भेदभावपूर्ण रवैया है।इसके पीछे का कारण कुछ ऐसा है।बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 और तृणमूल को 22 सीटें मिली थीं। दो सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार जीते थे।लेकिन, 2021 के विधानसभा में भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत खराब हो गया। उस वक्त भाजपा ने चुनाव में बहुसंख्यक हिंदू वोटरों पर फोकस किया, मगर उसे अच्छे नतीजे नहीं मिले। ऐसे में 2024 के लोकसभा में पार्टी गियर बदलती दिख रही है। अब उसने ’70-30′ के नारे से दूरी बना ली है।अल्पसंख्यक समुदाय पर फोकस: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय को अहसास हो गया है कि उन्हें बेवकूफ बनाया गया है। उनका उपयोग किया गया है।।उन्हें नागरिक नहीं माना जाता। उन्हें वोट बैंक के तौर पर देखा जाता है. अल्पसंख्यक समुदाय इस बार भाजपा को ज्यादा वोट करेगा।
हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा बार-बार ध्रुवीकरण के अपने हथियार को धार देती नजर आ रही थी। कुछ महीने पहले तक विपक्षी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी के भाषण में बार-बार ‘सत्तर-तीस’ का मुद्दा उठता था। अब लोकसभा चुनाव में उन्हें यह भी उम्मीद है कि अल्पसंख्यक वोट भाजपा को मिलेगा। बीते नतीजों से साफ है कि ध्रुवीकरण के हथियार के इस्तेमाल से बंगाल भाजपा को ज्यादा फायदा नहीं हुआ है. क्योंकि, मुस्लिम वोटर जमीनी स्तर पर अधिक एकजुट होकर वोट करते हैं।
‘सत्तर-तीस’ की बात मगर हिंदू वोटर दूर:
‘सत्तर-तीस’ की बात करने के बावजूद हिंदू वोट पूरी तरह से भाजपा को नहीं मिले। पर्यवेक्षकों के एक वर्ग के अनुसार भाजपा के एक खेमे को अहसास हो गया है कि राज्य में तृणमूल को हराने के लिए उन्हें मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाना ही होगा. बंगाल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य या शुभेंदु अधिकारी के शब्दों में, “अल्पसंख्यकों को अहसास हो गया है कि आज कोई विभाजन नहीं है। विकास आखिरी चीज है और विकास और मोदी पर्यायवाची हैं। इसलिए वे आज भाजपा के मार्च और विभिन्न राजनीतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले रहे हैं।
146 विस क्षेत्र मुस्लिम बहुल: पश्चिम बंगाल की लगभग 30 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। 146 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां 25 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। इन 146 निर्वाचन क्षेत्रों में से तृणमूल ने 131 सीटें जीतीं। भाजपा के पास सिर्फ 14 सीटें हैं। नौशाद सिद्दीकी की आईएसएफ को एक सीट मिली।
परिणामस्वरूप यह स्पष्ट है कि लगभग 100 फीसदी मुस्लिम वोट जमीनी स्तर पर तृणमूल के साथ चले गए। अब भाजपा लोकसभा चुनाव में इस वोट को बांटना चाहती है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल दौरे के दौरान अपने भाषण में कहा था, “तृणमूल को यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि उनके पास एक गारंटीशुदा वोट बैंक है। अब मुस्लिम माताएं-बहनें भी तृणमूल सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आगे आएंगी।” हालांकि, सत्तारूढ़ खेमे का कहना है कि जिस तरह से ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यकों के लिए काम किया है, उसके लिए वे तृणमूल नेता पर ही भरोसा करेंगे।लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा कि आखिर में अल्पसंख्यकों का वोट किसे मिलता है। रिपोर्ट अशोक झा

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