केंद्र पर नहीं पहुंच पा रहा गेहूं, घर पर ही मुनाफा ले रहे किसान
केंद्र पर नहीं पहुंच पा रहा गेहूं, घर पर ही मुनाफा ले रहे किसान
उप्र बस्ती जिले में गेहूं खरीद को लेकर जिला प्रशासन व खाद्य विभाग से जुड़े अधिकारी दिन-रात एक कर किसानों के घर तक पहुंच रहे हैं। बावजूद इसके दो माह पूरे होने के बाद भी अभी तक महज पांच फीसदी गेहूं की खरीद हो सकी है। वहीं खरीद में तेजी लाने के लिए शासन-प्रशासन लगातार विभागीय अधिकारियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर दबाव बनाए हुए है। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि जब उन्हें घर बैठे सरकारी दर से अधिक दाम मिल रहा है तो वह केंद्र पर जाकर अपने समय व धन का नुकसान क्यों करें।
पहली मार्च से गेहूं खरीद चालू है। देर से पकने के कारण किसान अपनी उपज को सजो चुके हैं और धीरे-धीरे केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। जिले में गेहूं खरीद के लिए कुल 142 क्रय केंद्र बनाए गए हैं। जिले को कुल 87 हजार एमटी गेहूं खरीदने का लक्ष्य शासन ने निर्धारित किया है। अभी तक कुल 4 हजार 953 एमटी गेंहू खरीदा जा चुका है। जो लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ पांच फीसदी माना जा रहा है। वहीं 15 जून तक चलने वाली गेहूं खरीद के लिए 95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर पाना जिले के अधिकारियों के लिए चुनौती बन गया है। दूसरी तरफ किसान भी बिचौलियों व आढ़तियों के चक्कर में पड़कर घर बैठे समर्थन मूल्य से अधिक मुनाफा पा रहे हैं और क्रय केंद्रों से दूरी बनाए हुए हैं।
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दाम बढ़ने का इंतजार कर रहे किसान
इस बार सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया है। जबकि किसानों के अनुसार उन्हें घर बैठे 24 से 25 सौ रुपए प्रति कुंतल गेहूं का दाम मिल रहा है। इन्हें अभी भी उम्मीद है कि पिछले साल की तरह इस बार भी गेहूं की बाजार कीमत 27 से 28 सौ रुपए प्रति कुंतल बढ़ेगी। यही कारण है कि वह सरकारी केंद्रों पर न पहुंच कर अपनी उपज डंप कर बैठे हैं और बाजार में दाम बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। सदर ब्लॉक के कटरा बुजुर्ग निवासी परशुराम ने बताया कि जब गांव में ही 23 सौ से 24 सौ रुपये प्रति कुंतल मिल रहा है तो अनावश्यक पचड़े में क्यों पड़े। वहीं दूसरे किसान अजीज ने बताया कि खाते में समय से धन नहीं पहुंचता है और क्रय केंद्र से लेकर अधिकारियों तक दौड़धूप करनी पड़ती है। कलवारी के किसान राम कृपाल सिंह ने बताया कि सत्यापन से लेकर तरह-तरह की खानापूरी करने के बावजूद वाजिब दाम नहीं मिल पाता है। जिससे नकद बेचने में आसानी होती है। सोनहा के किसान राम सुधि ने बताया कि सबसे अधिक परेशानी भुगतान व गेहूं की गुणवत्ता को लेकर होती है। गुणवत्ता का हवाला देकर परेशान किया जाता है। केंद्र तक भटकने के बावजूद समय से भुगतान नहीं हो पाता है।
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पिछले वर्ष के सापेक्ष इस बार हुई सात गुनी अधिक खरीद
वैसे तो फिलहाल इस बार चार फीसदी गेहूं की खरीद हुई है लेकिन अगर पिछले वर्ष के आंकड़े पर गौर करें तो गेहूं खरीद 2023-24 में पूरे सीजन में महज .72 फीसदी खरीद हो पाई थी। जिसके तहत उस बार भी शासन ने जिले को 87 हजार एमटी गेहूं खरीदने का लक्ष्य दिया था। जिसमें खाद्य विभाग ने पूरे खरीद सत्र में कुल 130 किसानों से महज 365 एमटी, पीसीयू ने 35 किसानों से 48.35 एमटी, एफसीआई ने 3 किसानों से 9.10 एमटी व पीसीएफ ने 271 किसानों से 626 एमटी गेहूं की खरीद किया था। यानी कि कुल 641 किसानों से कुल 1048.45 एमटी गेहूं की खरीद की गई थी। जो पूरे सत्र में लक्ष्य का 0.72 प्रतिशत ही रहा। जबकि इस बार गेहूं खरीद वर्ष 2024-25 में भी 87 हजार एमटी गेहूं की खरीद का लक्ष्य दिया गया है। इसमें भी अभी 15 जून तक खरीद होनी बाकी है। अब तक जिले में खाद्य विभाग ने पंजीकृत समितियों समेत कुल 343 किसानों से 1599.30 एमटी, पीसीएफ ने 263 किसानों से 1526.67 एमटी, पीसीयू ने 125 किसानों से 419.60 एमटी, मंडी समिति ने 19 किसानों से 113.30 एमटी व एफसीआई ने 95 किसानों से 399 एमटी गेहूं की खरीद किया है। यानी कि इस बार कुल 845 किसानों से 497. 11 एमटी खरीद की जा चुकी है। जो कुल लक्ष्य का 4.99 प्रतिशत माना जा रहा है। इससे यह साबित होता है कि किसानों का रुख सरकारी केंद्रों की ओर न होकर मुनाफे के लिए बाजार की तरफ हो रहा है।
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गेहूं की खरीद में आ रही तेजी
संभागीय खाद्य नियंत्रक यानी कि आरएफसी दुर्गेश प्रसाद ने बताया कि गेहूं पकने में समय अधिक लगने के कारण खरीदारी देर से शुरू हुई है। अभी किसान उपज को पूरी तरह से सहेजने में लगे हुए हैं। आगे से खरीद में रफ्तार बढ़ेगी।