रेमल तूफान से कई घरों को किया तहस-नहस, पेड़ों को उखाड़ दिया और बिजली के खंभों को गिरा दिया

28 मई तक सावधानी बरतने के दिए निर्देश, जान माल के नुकसान का किया जा रहा आकलन

कोलकोता से अशोक झा: एक बार फिर चक्रवातीय तूफान आया. उस तूफान को रेमल चक्रवात नाम दिया गया। चक्रवात रेमल के कारण पश्चिम बंगाल के तटीय हिस्सों में जोरदार आंधी चली और तेज बारिश हुई। तूफान से जन-हानि की तो अभी सूचना नहीं मिली, लेकिन कई स्थानों पर घर-मकान, टीन-शेड के क्षतिग्रस्त होने तथा पेड़ उखड़ने की खबर है।रेमल चक्रवाती तूफान ने पश्चिम बंगाल में दस्तक दे दी है। जिसके बाद तूफान का कहर हर तरफ नजर आ रहा है। इसके प्रभाव से पश्चिम बंगाल के बीरभूम, नादिया, बांकुड़ा, पूर्वी बर्दवान, पूर्वी मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, कोलकाता, बिधाननगर,सिलीगुड़ी समेत कई जिलों के विभिन्न स्थानों पर जमकर बारिश हुई। अलीपुर, सागर द्वीप, कालीघाटमें लगातार भारी बारिश हो रही है।देर रात की तस्वीरों में देखा जा सकता है कि बारिश जारी रहने के कारण मजदूर सड़कें साफ करने की कोशिश कर रहे हैं। साउथ कोलकाता के डीसी प्रियब्रत रॉय ने कहा कि हमें जानकारी मिल रही है कि कुछ जगहों पर पेड़ उखड़ गए हैं, उन इलाकों में कोलकाता नगर पालिका टीम, कोलकाता पुलिस आपदा प्रबंधन टीम पहुंच गई है और काम चल रहा है। उखड़े हुए पेड़ों को जल्द ही काटकर हटा दिया जाएगा ताकि सड़कें खोली जा सकें। चक्रवात के मद्देनजर पुलिस का विशेष एकीकृत नियंत्रण कक्ष स्थिति की निगरानी कर रहा है। रेमल ने नाजुक घरों को तहस-नहस कर दिया, पेड़ों को उखाड़ दिया और बिजली के खंभों को गिरा दिया। हवा की तीव्रता 110 से 120 किमी प्रति घंटे थी, जो 135 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गई। राजभवन के बाहर से ली गई तस्वीरों में राजधानी में भारी बारिश और तेज हवाएं दिखाई दे रही हैं। रात 12:30 बजे तक चली लैंडफॉल प्रक्रिया: चक्रवाती तूफान के आने के बारे में बात करते हुए, आईएमडी कोलकाता के पूर्वी क्षेत्र प्रमुख सोमनाथ दत्ता ने कहा कि बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल तट पर रात 8:30 बजे लैंडफॉल प्रक्रिया शुरू हुई। रात 10:30 बजे के अवलोकन के अनुसार, यह दर्शाता है कि लैंडफॉल प्रक्रिया जारी है…रात 12:30 बजे तक लैंडफॉल प्रक्रिया पूरी हो गई।आसन्न लैंडफॉल से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर चक्रवात ” रेमल की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री को बताया गया कि राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति पश्चिम बंगाल सरकार के साथ नियमित संपर्क में है। सभी मछुआरों को सलाह दी गई है कि वे बंगाल की दक्षिणी खाड़ी और अंडमान सागर में न जाएं।तूफान की तट से टक्कर की शुरुआत रात 8.30 बजे हुई, जो करीब अगले चार घंटे तक चलती रही. इस वजह से तटीय इलाकों में बड़े पैमाने पर नुकसान भी हुआ है। रेमल तूफान की वजह से काफी नुकसान होने का अंदेशा पहले ही जताया गया था। इस वजह से भारत में लाखों लोगों को तटीय इलाकों से दूर कर दिया गया था और उन्हें सुरक्षित ठिकानों में भेजा गया था। ऐसे में आइए जानते हैं कि रेमल तूफान से जुड़े अब तक के लेटेस्ट अपडेट्स क्या हैं। चक्रवाती तूफान रेमल के टकराने की शुरुआत रविवार रात 8.30 बजे हुई. उस वक्त ये तूफान तटों से 30 किमी दूर था। हालांकि, धीरे-धीरे ये करीब पहुंचा और पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों से जा टकराया. रेमल तूफान के टकराने की लोकेशन भारत के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपापुरा के बीच रही। रेमल तूफान की वजह से लकड़ी या बांस के बनाए गए घर बर्बाद हो गए. हवा की रफ्तार इतना ज्यादा तेज थी कि पेड़ भी उखड़ गए. कई तटीय इलाकों में बिजली के खंभों को भी उखड़ते और गिरते हुए देखा गया. सुंदरवन के गोसाबा इलाके में मलबे की चपेट में आने से एक व्यक्ति घायल हो गया। तूफान के दौरान की न्यूज फुटेज भी सामने आई है, जिसमें ऊंची-ऊंची लहरों को दीघा में तटीय रिजॉर्ट से टकराते हुए देखा गया है। रेमल की वजह से पश्चिम बंगाल के पूरे तटीय इलाकों में भारी बारिश देखने को मिली है।ऐसा ही कुछ बांग्लादेश में भी हुआ है, जहां भारी बारिश हो रही है।
बारिश इतनी ज्यादा तेज हुई है कि तटों के किनारे खड़ी नावों में पानी भर गया है।मिट्टी और बांस के घरों को उजड़ते हुए देखा गया है। तटों के किनारे मौजूद खेतों और निचले इलाकों में पानी भर चुका है। कोलकाता के बीबीर बागान इलाके में दीवार गिरने की वजह से एक व्यक्ति घायल हुआ है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर जिलों से आई रिपोर्टों में बताया गया है कि फूस के घरों की छतें उड़ गईं, बिजली के खंभे टूट गए और कई इलाकों में पेड़ उखड़ गए।कोलकाता से सटे निचले इलाकों में सड़कें और घर जलमग्न हो चुके हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वी क्षेत्रीय प्रमुख सोमनाथ दत्ता ने संकेत दिया कि दक्षिणी बंगाल के जिलों में तेज हवाओं और बारिश का असर देखने को मिलेगा। तूफान के टकराने के बाद से ही बंगाल के तटीय इलाकों से लेकर कोलकाता तक भारी बारिश हो रही है। आईएमडी ने पूर्वोत्तर भारत के कई जिलों के लिए अलर्ट जारी किया है. चिरांग, गोलपारा, बक्सा, दिमा हसाओ, कछार, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, धुबरी, दक्षिण सलमारा, बोंगाईगांव, बजाली, तामुलपुर, बारपेटा, नलबाड़ी, मोरीगांव, नागांव, होजई और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी है.
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की 14 टीमों को कोलकाता सहित दक्षिण बंगाल के जिलों में तैनात किया गया है। राज्य सरकार ने एसडीआरएफ टीमों को भी तैयार किया है और केएमसी के साथ काम किया है. राहत सामग्री और क्विक रिस्पांस टीम भी मौजूद है। चक्रवाती तूफान की वजह से सड़क और हवाई सफर पर भी असर देखने को मिला है।कोलकाता से लेकर दक्षिणी बंगाल के जिलों में यातायात सेवाएं प्रभावित हुई हैं. पूर्वी और दक्षिण पूर्वी रेलवे ने कुछ ट्रेनें रद्द कर दी हैं। इसकी शुरुआत रविवार से ही हो गई थी। कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट रविवार दोपहर 12 बजे से लेकर सोमवार सुबह 9 बजे तक के लिए बंद किया गया है। इस वजह से 394 फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं या उन्हें रिशेड्यूल किया गया है. स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस ने रविवार को ही रिफंड का ऐलान कर दिया था। कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह ने भी ऑपरेशन सस्पेंड कर दिया है। भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) ने यह सुनिश्चित किया कि समुद्र में जान-माल का कोई नुकसान न हो, दूरदराज के ऑपरेटिंग स्टेशनों ने जहाजों को सतर्क कर दिया है. नौ आपदा राहत टीमें तैयार हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने तटीय और आसपास के क्षेत्रों से लगभग 1.10 लाख लोगों को निकाल लिया था. इन सभी लोगों को शेल्टर्स होम, स्कूलों और कॉलेजों में ठहराया गया. इन लोगों में से एक बड़ी संख्या दक्षिण 24 परगना जिले, विशेष रूप से सागर द्वीप, सुंदरबन और काकद्वीप से रही.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवाती तूफान रेमल से निपटने को लेकर की गई तैयारियों की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने गृह मंत्रालय से स्थिति की निगरानी करने और चक्रवात के आने के बाद समीक्षा करने तथा सेवाओं की बहाली के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए कहा है.
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस ने कहा कि वह स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं और चक्रवात से निपटने को लेकर समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्य और केंद्रीय विशेषज्ञों के साथ लगातार संपर्क में हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा कि जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे।

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