24 साल के साम्राज्य को भाजपा ने किया ध्वस्त, जल्द ही भाजपा सीएम का होगा घोषणा


नई दिल्ली: ओडिशा पर पिछले 24 साल से एकछत्र राज कर रहे नवीन पटनायक ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी इस तरह से विदाई होगी। ढाई दशक तक जिस राज्य में उन्होंने ठाठ से राज किया, वहीं पर बे आबरू होकर उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा। ​​इस साल के चुनाव से पहले बीजेडी, जो कभी ​भाजपा​ की सहयोगी थी, ​भाजपा​ के साथ गठबंधन बनाने के लिए बातचीत कर रही थी​, लेकिन सीट बंटवारे और प्रदेश ​भाजपा​ नेताओं के विरोध के कारण दोनों पार्टियों का गठबंधन नहीं हो सका​। इसलिए इस राज्य में हमें बीजेडी और ​भाजपा​ के बीच ऐसी ही टक्कर देखने को मिली​। चुनाव में ​भाजपा​ ने ​उड़ीसा​ की अस्मिता का मुद्दा उठाते हुए पटनायक पर हमला बोला। ​भाजपा​ ने 24 साल तक मुख्यमंत्री रहे पटनायक को अपनी मातृभाषा नहीं जानने का मुद्दा बार-बार उठाया​|​​ उनके स्वास्थ्य को लेकर भी अफवाह फैलाई गईं​। इसका असर ​बीजेडी​ पार्टी पर पड़ा​। केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा, ​भाजपा​ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा जैसे अहम उम्मीदवार ​उड़ीसा​ में जीते।​​पहली बार ​भाजपा​ सरकार: 147 सीटों वाली ​उड़ीसा​ विधानसभा में ​भाजपा​ ने पहली बार सत्ता हासिल की है। ​भाजपा​ ने 80 सीटें जीती हैं​|​ जबकि सत्तारूढ़ बीजाड पार्टी ने 49 सीटें जीती हैं​। पांच बार मुख्य​मंत्री रह चुके नवीन पटनायक भले ही हिन्जिली सीट से जीत गए, लेकिन ​उड़ीसा​ की जनता ने उन्हें छठी बार मुख्यमंत्री पद पर बैठने का मौका नहीं दिया​|​ ​​रिकॉर्ड बनाने में असफल: 2000 से ​उड़ीसा​ के मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट गया है। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख पवन कुमार चामलिंग 24 साल और 165 दिनों तक सिक्किम के मुख्यमंत्री पद पर रहे, जबकि पटनायक 24 साल और 91 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे।​​ यदि बीजू जनता दल विधानसभा में सत्ता में आती तो 77 वर्षीय पटनायक यह कीर्तिमान हासिल कर सकते थे। सीपीआई (एम) के ज्योति बसु 23 साल और 137 दिनों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। ​​​​उड़ीसा​ नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BIJD) का गढ़ है। 2000 से ही इस राज्य में ​बीजेडी​ की सत्ता थी​|​ लोकसभा चुनाव में भी इस पार्टी का इस राज्य में दबदबा रहा था​, लेकिन इस साल के चुनाव में ​भाजपा​ ने नवीनबाबू के गढ़ में तगड़ा झटका दिया​|। उड़ीसा​ की 21 लोकसभा सीटों में से ​भाजपा​ ने 20 सीटें जीतीं, जबकि बीजेडी को एक भी सीट नहीं मिली​।ओडिशा में बीजेपी की शानदार जीत के बाद राज्य के अगले मुख्यमंत्री को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड एक या दो दिन में मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला करेगा। आइए जानते हैं कि कौन है ओडिशा के सीएम पद की रेस में शामिल चेहरे
मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमुख उम्मीदवार
ओडिशा के मुख्यमंत्री पद के लिए जिन चार नामों पर ज्यादा चर्चा हो रही है। इनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, ओडिशा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा, भुवनेश्वर से सांसद अपराजिता सारंगी और बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी शामिल हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व इन्हीं चार लोगों में से किसी एक को ओडिशा सरकार की कमान साैंप सकता है। आइए, मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल इन अहम चेहरों के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

1. धर्मेंद्र प्रधान:
धर्मेंद्र प्रधान, मौजूदा समय में केंद्रीय शिक्षा मंत्री और संबलपुर से सांसद हैं। प्रधान ने बीजेपी के ओडिया अस्मिता अभियान का नेतृत्व किया था। वे 2000 में विधायक चुने गए और 2004 में देवगढ़ से लोकसभा सांसद बने। प्रधान ने बिहार और मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए भी प्रतिनिधित्व किया है और बिहार, कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में पार्टी मामलों के प्रभारी के रूप में काम किया है।

2. बैजयंत पांडा:
बैजयंत पांडा बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और एक इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट बैकग्राउंड से आते हैं। पांडा मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। पांडा BJD से एक बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं। पांडा ने 2019 में केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2024 में, उन्होंने BJD के अंशुमान मोहंती को हराया। ऐसा माना जा रहा है कि पांडा को ्रआरएसएस के शीर्ष नेताओं का समर्थन प्राप्त है। पांडा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

3. अपराजिता सारंगी:
अपराजिता सारंगी भुवनेश्वर से सांसद हैं। अपराजिता ने कांग्रेस नेता यासिर नवाज औरBJD के नेता मनमथ राऊत को हराकर इस सीट से जीत हासिल की है। अपराजिता पहले एक सरकारी नौकरी में रही हैं। अपराजिता सारंगी के पति अभी भी सरकारी नौकरी करते हैं। सारंगी ने 1990 में बिहार की भागलपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक किया है। बीजेपी की यह महिला नेता ओडिशा में लंबे समय से सामाजिक कार्यों में भी एक्टिव रही हैं।

4. प्रताप सारंगी:
प्रताप सारंगी बालासोर से सांसद हैं और 2022 में जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे हैं। 2019 से 2021 तक उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का पद संभाला।

मुख्यमंत्री के चयन पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने क्या कहा
ओडिशा के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मनमोहन सामल ने हाल ही में राज्य के नए सीएम को चुनने के बारे में पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मपुर में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि बीजेपी के नए सीएम का शपथ ग्रहण समारो 10 जून को होगा। इसी के हिसाब से सबकुछ तय किया जाएगा। राज्य के नए मुख्यमंत्री को पीएम मोदी द्वारा तय किए गए मानदंडों के आधार पर चुना जाएगा। सामल ने कहा कि एक ऐसे ओडिया व्यक्ति को मुख्यमंत्री चुना जाएगा जो कि राज्य की संस्कृति और परंपरा को कायम रखेगा।

ओडिशा के नए सीएम पर बीजेपी ने नहीं की है औपचारिक घोषणा
ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद, राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। धर्मेंद्र प्रधान, बैजयंत पांडा, अपराजिता सारंगी और प्रताप सारंगी जैसे प्रमुख नामों में से किसी एक को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, अब तक बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से इस बारे में कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। वहीं जिन चार नामों के ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा है, उनके समर्थक फिलहाल बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट अशोक झा

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