क्या अपने ही समाज की नाराजगी के कारण हार गए कूच बिहार से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नीतीश प्रमाणिक

भाजपा प्रत्याशी को हराकर अब मछली भात की पार्टी करेंगे रविंद्र घोष

अशोक झा, सिलीगुड़ी: बंगाल में टीएमसी अपना सबसे बड़ा दुश्मन किसी को मानती है तो वह है शुभेंदु अधिकारी और निशीथ प्रमाणिक। दोनों पहले टीएमसी में थे। अब दोनों भाजपा में रहकर पार्टी को नाको दम किए हुए है। लोकसभा चुनाव में कूचबिहार लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया ने भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक को पराजित कर बड़ी जीत हासिल की है। जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया ने 39250 मतों से निशीथ प्रमाणिक को पराजित किया है। बसुनिया को 788375 मत मिले हैं, जबकि भाजपा के निशीथ प्रमाणिक को 749125 वोट मिले हैं। वहीं, फॉरवर्ड ब्लॉक के नितीश चंद्र रॉय 30267 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं। कूचबिहार इलाका राजवंशी समुदाय का बाहुल्य है और इस इलाके में जीत के लिए राजवंशी समुदाय का समर्थन जरूरी है। राजवंशी समुदाय के नेता निशीथ प्रमाणिक को पराजित कर बसुनिया ने बड़ी जीत हासिल की है। चुनाव परिणाम से साफ है कि राजवंशी समुदाय के होने के बावजूद निशीथ प्रमाणिक को राजवंशियों का समर्थन नहीं मिला है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कूचबिहार नगरपालिका के अध्यक्ष रबींद्रनाथ घोष कहते हैं, “पिछली बार भाजपा ने यह सीट ज़रूर जीती थी। लेकिन अब पार्टी का असली चेहरा लोगों के सामने हैं। यहां के वोटर दोबारा भाजपा को जिताने की ग़लती नहीं की। पिछली बार जीते निशीथ प्रमाणिक को पांच साल में स्थानीय लोगों ने देखा तक नहीं था “दिलचस्प बात यह है कि घोष ने फिलहाल मछली खाना छोड़ रखा था। उन्होंने कसम खाई थी कि प्रामाणिक को हराने के बाद ही वो मछली खाएँगे। अब वे माछ भात का भोज देंगे। कोच-राजबंशी और कामतापुरी समुदाय ही यहां निर्णायक : इसी वजह से कूचबिहार सीट आरक्षित की श्रेणी में है। यहां किसी दौर में ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन (जीसीपीए) का फैसला निर्णायक माना जाता था।जीसीपीए उत्तर बंगाल के कुछ इलाक़ों को मिला कर ग्रेटर कूचबिहार के गठन की मांग करता रहा है। लेकिन अब उसके दो गुट हैं। एक गुट की कमान बंशीबदन बर्मन के हाथों में है। इस गुट ने अबकी तृणमूल कांग्रेस के समर्थन का फैसला किया है।बर्मन कहते हैं, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजबंशी समुदाय के बेहतरी के लिए काम कर रही हैं। इसलिए हमने तृणमूल उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार करने का फैसला किया है।” दूसरे गुट की कमान उन अनंत राय महाराज के हाथों में है जिनको भाजपा ने बीते साल बंगाल से राज्यसभा में भेजा था। इलाक़े के कोच-राजबंशी वोटरों को ध्यान में रखते हुए ही पार्टी ने यह फैसला किया था। तब राजनीतिक हलकों में इस पर हैरत जताई गई थी। अनंत राय क्यों नाराज हैं?:राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि अनंत राय को राज्यसभा भेजने की वजह राजबंशी समुदाय का समर्थन हासिल करना था। लेकिन फिलहाल अनंत भी नाराज़ चल रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से शीर्ष नेतृत्व से अहमियत नहीं मिलने और केंद्र पर वादाख़िलाफ़ी करने का आरोप लगाया है। उनकी नाराज़गी दूर करने के लिए निशीथ प्रमाणिक ने हाल में उनके घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। लेकिन उनकी नाराज़गी कम नहीं हुई है। अनंत ने पत्रकारों से कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कूचबिहार केन्द्र शासित क्षेत्र नहीं बनेगा। लेकिन पहले केंद्र ने इसका भरोसा दिया था।” वो कहते हैं कि “पार्टी का सिपाही होने के नाते मैं तमाम कार्यक्रमों और चुनाव अभियान में सक्रिय रहूंगा। जातीय समीकरण: इस संसदीय सीट के तहत क़रीब 90 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण इलाक़ों में रहती है और बाकी शहरी में। यहां अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी क़रीब 49 फ़ीसदी है। इनमें कोच और राजबंशी समुदाय ही सबसे ज्यादा हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कूचबिहार बीते पांच वर्षो के दौरान वर्चस्व की लड़ाई में होने वाले हिंसक टकराव के कारण अक्सर सुर्खियों में रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश सीमा क़रीब होने के कारण घुसपैठ की समस्या भी अहम है। सीमा पार से होने वाली घुसपैठ और सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों पर कथित अत्याचार के मुद्दे पर सत्तारूढ़ पार्टी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों को कठघरे में खड़ा करती रही है। क्यों बढ़ा तनाव: एक विश्लेषक सुखेंदु बर्मन कहते हैं, “बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तो भाजपा का दबदबा था। लेकिन उसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने अपने पैरों तले से खिसकी ज़मीन वापस पाने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है। इसी वजह से टकराव बढ़े हैं।” “बीते साल हुए पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए कूचबिहार ज़िला परिषद पर क़ब्ज़े के साथ ही ग्राम पंचायत की 128 में से 101 सीटें जीत ली थी। यह भी भाजपा की चिंता की वजह है। केंद्रीय मंत्री निशीथ प्रमाणिक से भिड़ने वाले तृणमूल नेता और राज्य के मंत्री उदयन गुहा कहते हैं, “अबकी यहां हमारी जीत तय है। भाजपा नेताओं के अत्याचारों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था।

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