रंगापानी रेल दुर्घटना में आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या 9, दर्जनों गंभीर
मरने वालों में मालगाड़ी का चालक सहायक और कंचनजंगा के गार्ड की मौत
– रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर की जारी
अशोक झा, सिलीगुड़ी: कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गई। न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से 10 किमी दूर रंगापानी के पास निजबारी क्षेत्र में। इस घटना में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की संख्या सौ से ज्यादा है। कंचनजंगा के तीन डिब्बे प्रभावित हुए। दुर्घटना के चार घंटे बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस के टूटे हुए हिस्से को तोड़कर सियालदह के लिए रवाना कर दिया गया। अस्पताल का जायजा लेने के बाद सांसद राजू बिष्ट ने कहा की मरने वाली की संख्या 9 हो गई है। कई गंभीर है। जिसका इलाज चल रहा है। पूर्वी रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने बताया कि यह भयानक ट्रेन हादसा सुबह 8:50 बजे हुआ। युद्धकालीन अभियानों में बचाव। फिर दोपहर 12:40 बजे कंचनजंघा एक्सप्रेस का बचा हुआ हिस्सा यात्रियों को लेकर मालदह के लिए रवाना हुआ। ट्रेन के सुबह 8:30 बजे तक सियालदह पहुंचने की उम्मीद है। यात्रियों को पानी और खाना दिया जाता है। बचाव कार्य अभी भी जारी है। इस दिन कंचनजंगा एक्सप्रेस को सियालदह के लिए रवाना किया गया, लेकिन दुर्घटनाग्रस्त मालगाड़ी अभी भी लाइन में खड़ी है। जिसके चलते इस रूट से ट्रेनों की आवाजाही अभी भी बंद है। इसके चलते लंबी दूरी की कई ट्रेनों को घुमाकर चलाने का निर्णय लिया गया है। पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने कहा कि सरायघाट एक्सप्रेस, गुवाहाटी बेंगलुरु एक्सप्रेस, एनजेपी-हावड़ा बंदेवरात एक्सप्रेस, कामरूप एक्सप्रेस, उत्तर बंगाल एक्सप्रेस एनजेपी, सिलीगुड़ी जंक्शन, बागडोगरा, अलुआबाड़ी होकर चलेंगी। इस रेल हादसे में 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।जानकारी के मुताबिक, ये हादसा सुबह 9 बजे के आसपास हुआ। कंचनजंगा एक्सप्रेस अगरतला से सियालदाह जा रही थी। तभी पीछे से आ रही एक मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि मालगाड़ी के ड्राइवर (लोको पायलट) ने सिग्नल को पूरी तरह से अनदेखा किया था। इस दुर्घटना में ड्राइवर और ट्रेन के गार्ड की भी मौत हो गई है।ये इस साल का अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा है। इससे पहले पिछली साल जून में ही ओडिशा के बालासोर में बड़ा हादसा हुआ था. तब कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी. इस हादसे में लगभग तीन सौ लोगों की मौत हो गई थी।
हर साल कितने हादसे?सरकार का दावा है कि 2004 से 2014 के बीच हर साल औसतन 171 रेल हादसे होते थे. जबकि 2014 से 2023 के बीच सालाना औसतन 71 रेल हादसे हुए। आंकड़े बताते हैं कि भारत में ट्रेन हादसों में बीते कई दशकों में कमी आई है. रेलवे की ईयर बुक के मुताबिक, 1960-61 से 1970-71 के बीच 10 साल में 14,769 ट्रेन हादसे हुए थे. 2004-05 से 2014-15 के बीच 1,844 दुर्घटनाएं हुईं. वहीं, 2015-16 से 2021-22 के बीच छह सालों में 449 ट्रेन हादसे हुए.
इस हिसाब से 1960 से लेकर 2022 तक 62 सालों में 38,672 रेल हादसे हुए हैं. यानी, हर साल औसतन 600 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं। रेलवे की ईयर बुक के मुताबिक, सबसे ज्यादा हादसे डिरेलमेंट यानी ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण होते हैं. 2015-16 से 2021-22 के बीच 449 ट्रेन हादसे हुए थे, जिनमें से 322 की वजह डिरेलमेंट थी। हादसों में कितनी मौतें?: रेलवे की 2021-22 की ईयर बुक के मुताबिक, 2017-18 से 2021-22 के बीच पांच साल में 53 लोगों की मौत हुई है. जबकि, 390 लोग घायल हुए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 और 2020-21 में ट्रेन हादसों में एक भी मौत नहीं हुई. हालांकि, ये वो दौर था जब दुनियाभर में कोविड महामारी फैली हुई थी और कुछ महीनों तक ट्रेनें भी बंद रही थीं।।ईयर बुक के मुताबिक, 2021-22 में कुल 34 ट्रेन हादसे हुए थे. इनमें से 20 हादसों की वजह रेलवे स्टाफ ही था. जबकि चार हादसे इक्विपमेंट फेल होने की वजह से हुए थे। ट्रेन हादसों में मारे गए या घायलों के परिजनों को रेलवे की तरफ से मुआवजा भी दिया जाता है. पांच साल में रेलवे ने लगभग 14 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है. 2021-22 में रेलवे ने 85 लाख रुपये से ज्यादा मुआवजा दिया था।।रेल हादसों में मौत होने पर 5 लाख, गंभीर रूप से घायल होने पर 2.5 लाख और घायल होने पर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। सरकार क्या कर रही?:रेलवे भारत की लाइफलाइन है। हर दिन ढाई करोड़ से ज्यादा यात्री ट्रेन से सफर करते हैं। इतना ही नहीं, 28 लाख टन से ज्यादा की माल ढुलाई भी होती है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क भारत का ही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है? सरकार ने दो ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए ‘कवच’ सिस्टम शुरू किया है. रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. इंजन और पटरियों में लगी इस डिवाइस से ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल किया जाता है. इससे खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाता है।।दावा है कि अगर दो इंजनों में कवच सिस्टम लगा है तो उनकी टक्कर नहीं होगी. अगर एक ही पटरी पर आमने-सामने से दो ट्रेनें आ रही हैं तो कवच एक्टिवेट हो जाता है. कवट ब्रेकिंग सिस्टम को भी एक्टिव कर देता है. इससे ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाते हैं और एक निश्चित दूरी पर दोनों ट्रेनें रुक जाती हैं. अब तक 139 लोको इंजनों में ही कवच सिस्टम लगा है। इसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम भी है. ये सिस्टम सिग्नल, ट्रैक और प्वॉइंट के साथ मिलकर काम करता है. इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करता है. अगर लाइन क्लियर नहीं होती है तो इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेन को आने जाने के लिए सिग्नल नहीं देता है. दावा है कि ये सिस्टम एरर प्रूफ और फेल सेफ है. फेल सेफ इसलिए, क्योंकि अगर सिस्टम फेल होता भी है तो भी सिग्नल रेड हो जाएगा और ट्रेनें रुक जाएंगी. 31 मई 2023 तक 6,427 स्टेशनों में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है।