वासंती रंगों में सराबोर हुई महामना की बगिया, धूमधाम के साथ मना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का 108वां स्थापना दिवस

तीन साल बाद फिर निकाली गईं झांकिया, विद्यार्थियों ने देश की सांस्कृतिक विरासत से लेकर विविधता में एकता, प्राचीन भारतीय ज्ञान


वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अत्यंत उत्साह व उल्लास के साथ अपना 108वां स्थापना दिवस मनाया। भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा वर्ष 1916 में वसंत पंचमी के दिन स्थापित सर्वविद्या की राजधानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने स्थापना दिवस पर पूर्ण रूप से उत्सव के रंग में सराबोर दिखी। कार्यक्रमों की शुरुआत स्थापना स्थल पर हवन-पूजन के साथ हुई, जिसमें कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन, कुलगुरू प्रो. वी. के. शुक्ला, कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने भागीदारी की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों को अपने शुभकामना संदेश में कुलपति जी ने कहा कि महामना द्वारा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी। उन्होंने कहा कि अपनी स्थापना के समय से ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माण में योगदान देता आ रहा है। प्रो. जैन ने कहा कि विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस उत्सव का अवसर तो है ही, यह इस बात पर मंथन करने का अवसर भी है कि क्या हम बीएचयू की स्थापना के उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि क्या हम मालवीय जी के मूल्यों के अनुरूप अपना योगदान दे रहे हैं। कुलपति जी ने कहा कि हमें विश्वविद्यालय में आदर्श, सहयोगपूर्ण व सौहार्दपूर्ण कार्य प्रणाली स्थापित करने के साथ साथ इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एक उत्कृष्ट संस्थान बनने की दिशा में निरंतर प्रगति करे।

विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायो, केन्द्रो व संस्थानों ने स्वस्थ, शिक्षित एवं युवा भारत की थीम पर बीएचयू की विशेषताओं, विविधता व समृद्ध विरासत को झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया। कोरोनो महामारी के बाद विश्वविद्यालय में पहली बार झांकियों का प्रदर्शन हुआ, जिनमे कुल 32 झाँकिया निकाली गई। मालवीय भवन से गुजरती हुई भव्य झांकियों के बीच विद्यार्थियों का उत्साह देखते बनता था। नुक्कड़ नाटक व नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से उपस्थित आमजन के बीच सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता भी फैलाई गई। शिक्षित नारी -शिक्षित समाज, राष्ट्रीयता, आत्मनिर्भर भारत, योग, अंतराष्ट्रीय मिलेट वर्ष, खेल शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, प्रदूषण मुक्त परिसर, पर्यावरण संरक्षण, आधुनिक तकनीकी, प्राचीन भारतीय ज्ञान व चिकित्सा पद्धति, आयुर्वेद, पशु चिकित्सा में नई खोजों, विज्ञान अनुसंधान, स्टार्टअप प्लेसमेंट, विधिक शिक्षा, निरोगी काया, ओरल हाइजीन, स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे विकास, पर्वतारोहन, कृषि आदि अनेक विषयों पर प्रस्तुतियां मुख्य मंच के समक्ष दी गई, जिसपर कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन, कुलगुरू प्रो. वी. के. शुक्ला, कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, वित्ताधिकारी डॉ. अभय ठाकुर, छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम कुमार नेमा समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति आसीन थे। विद्यार्थियों ने नृत्य संगीत, कला आदि के माध्यम से समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की तस्वीर पेश की। चिकित्सा विज्ञानं संस्थान के अंतर्गत सर सुंदरलाल अस्पताल की कोविड महामारी के दौरान योगदान को झांकी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। महिला महाविद्यालय की झाकियों में छात्राओं के व्यक्तित्व व कौशल विकास के लिए की जा रही पहलों तथा सांस्कृतिक विविधता को प्रस्तुत किया गया। सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल की झांकियों में कन्या शिक्षा में बीएचयू के योगदान, सरस्वती वन्दना, योग के महत्व आदि तथा रणवीर संस्कृत विद्यालय द्वारा सुश्रुत, मालवीय जी व स्वामी विवेकानंद की प्रतिकृति में स्वास्थ शिक्षा व युवा भारत की छवि को दिखलाया गया। वासंती रंगों में सराबोर महामना की तपोभूमि पर आयोजित समारोह में वंदनीय मदन मोहन मालवीय जी के आदर्शों, मूल्यों व संघर्ष की झलक भी दिखाई दी।
जनस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button