आंसुओं के सैलाब संग शौर्य शहीद कैप्टन थापा को विदाई
सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग हिल्स में नम आंखों के साथ को डोडा में आतंकियों के हाथों मारे गए वीर शहीद कैप्टन बृजेश थापा को शुक्रवार को आखिरी विदाई दी। गमगीन माहौल में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन किया गया। शहीदों के परिवार के सदस्यों का कहना है कि एक ओर जहां उन्हें दुख महसूस हो रहा है वहीं दूसरी ओर वे गर्व का भी अनुभव कर रहे हैं। दार्जिलिंग के लेबोंग के पास बड़ा गिंग के रहने वाले कैप्टन थापा को आज अंतिम विदाई भले ही हो गई हो लेकिन उनकी याद इस फिजा में हमेशा रहेगा। कैप्टन थापा ने 2019 में CDS परीक्षा पास की थी और सेना में भर्ती हुए थे। कैप्टन के पिता, कर्नल भुवनेश थापा, ने भी 34 साल तक भारतीय सेना में सेवा की थी। सोमवार रात को उनके बेटे की शहादत की खबर सुनकर पूरा इलाका गम में डूब गया, भारी संख्या में लोग इस वीर बलिदानी के घर पर उमड़ने लगे। ‘सभी को नहीं मिलता देश की सेवा करने का मौका’ : अपने घर पर शहीद कैप्टन के पिता भुवनेश थापा ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे बेटे ने देश के लिए कुछ किया। हर किसी को देश के लिए कुछ करने का मौका नहीं मिलता। लेकिन हम उसे जीवनभर याद करेंगे। कैप्टन थापा की मां नीलिमा थापा ने कहा कि उन्होंने आखिरी बार रविवार को अपने बेटे से बात की थी। कैप्टन थापा का पार्थिव बुधवार को बागडोगरा हवाई अड्डे पर लाया गया। कैप्टन थापा का अंतिम संस्कार के लिए गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ बड़ा गिंग में किया जाएगा।मार्च में छुट्टी पर आए थे घर जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में घायल होने के बाद कैप्टन समेत चार सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। अपने परिवार से तीसरी पीढ़ी के सेना के अधिकारी कैप्टन थापा 27 वर्ष के थे और पांच साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुए थे। शहीद अधिकारी की मां नीलिमा ने बताया कि वह सेना की 145 एयर डिफेंस रेजिमेंट से थे और 10 राष्ट्रीय राइफल्स में प्रतिनियुक्ति पर थे। उन्होंने बताया कि वह मार्च में छुट्टी पर घर आए थे।कैप्टन ब्रिजेश थापा ने मुठभेड़ से दो दिन पहले 14 जुलाई की सुबह सिलीगुड़ी में अपनी मां से बात की थी। उन्होंने कहा था कि वे अगले दिन एक ऑपरेशन के लिए जा रहे हैं. कैप्टन थापा (27) सेना में जाने वाले अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी थे। वे 11 गढ़वाल राइफल्स के सेवानिवृत्त कर्नल भुवनेश कुमार थापा के बेटे थे. उन्होंने कॉल पर कहा था कि वे सुबह 11 बजे निकलेंगे। उन्हें इलाके तक पहुंचने के लिए लगभग सात से आठ घंटे पैदल चलना पड़ा. उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं किया. उनकी बड़ी बहन निकिता ऑस्ट्रेलिया में संगीत की पढ़ाई कर रही हैं।
पहन लेते थे पिता की वर्दी: ब्रिजेश के पिता कर्नल भुवनेश थापा ने कहा,’मुझे उस पर गर्व है. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरा बेटा हमें छोड़कर चला गया. मैंने उनसे कहा कि जब उसकी यूनिट से फोन आए तो वे दोबारा जांच करें. मैं उसे जनरल के पद तक बढ़ते देखना चाहता था. वह हमेशा सेना में शामिल होना चाहता था और कभी-कभी मेरी वर्दी पहन लेता था. वह कहता था कि एक दिन वह भी सेना में शामिल होगा। अंबाला में हुई थी पहली पोस्टिंग: बृजेश की शादी 2026 में होने वाली थी। वह 2018 में मुंबई के एक कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद सितंबर 2019 में सेना में शामिल हुए। उनकी पहली पोस्टिंग अंबाला में 145 आर्मी एयर डिफेंस, उनकी पैतृक इकाई के साथ हुई थी। वह 23 सितंबर से डोडा में 10 आरआर के साथ तैनात थे। रिपोर्ट अशोक झा