भाजपा राज्यसभा सदस्य अनंत महाराज से मिलने उसके आवास पहुंच गई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

अशोक झा, सिलीगुड़ी: भाजपा या भाजपा नेताओं का नाम तक लेने में परहेज करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज रानीतिक पंडितों को चौका दिया है। उत्तर बंगाल की राजनीति में मंगलवार को एक ट्विस्ट देखने को मिला. सूबे की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद से मिलने उनके आवास पहुंच गईं।
वहीं टीएमसी की ओर से कूचबिहार को लेकर इसे एक नया प्रयोग माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव में निसिथ प्रमाणिक से सियासी जमीन वापस छीनने के बाद टीएमसी ने संगठन पर और जोर देना शुरू कर दिया है. ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अनंत महाराज के घर जाना राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनंत राय महाराज ने अपने आवास पर सीएम ममता का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। ममता बनर्जी और बीजेपी सांसद की मुलाकात को लेकर अधिक जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। अनंत राय महाराज उत्तर बंगाल की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं जहां बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में तेजी से पैर जमाए हैं। अनंत उत्तर बंगाल के कूचबिहार को पृथक ग्रेटर कूचबिहार राज्य बनाने की मांग करने वाले संगठन ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन (जीसीपीए) के अध्यक्ष हैं। खुद को ग्रेटर कूचबिहार का महाराज बताने वाले अनंत को बीजेपी ने एक साल पहले ही पश्चिम बंगाल से राज्यसभा भेजा था। अनंत पश्चिम बंगाल से बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा पहुंचने वाले पहले नेता भी हैं। अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उनसे आवास पहुंचकर मुलाकात करने के बाद कयास भी लगाए जाने लगे हैं। तर्क दिए जा रहे हैं कि पिछले साल गृह मंत्री अमित शाह ने अनंत के आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी और इसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। अब सीएम ममता उनसे मिलने उनके आवास पहुंची हैं तो आगे क्या होगा? नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली पिछली सरकार में राज्यमंत्री रहे निशिथ प्रमाणिक भी अनंत के करीबी माने जाते हैं। निशिथ प्रमाणिक भी उसी राजबंशी समुदाय से आते हैं। वहीं टीएमसी की ओर से कूचबिहार को लेकर इसे एक नया प्रयोग माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में निसिथ प्रमाणिक से सियासी जमीन वापस छीनने के बाद टीएमसी ने संगठन पर और जोर देना शुरू कर दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अनंत महाराज के घर जाना राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है ।सोमवार को रंगपानी कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद अनंत महाराज ने रेलवे सेवाओं पर भी खुलकर टिप्पणी की थी. हालांकि पार्टी के खिलाफ उन्होंने इससे पहले भी बोलना शुरू कर दिया था, तब लोकसभा चुनाव शुरू ही हुआ था। कूचबिहार के बीजेपी के उम्मीदवार के नाम सुनकर वो हैरान रह गए।अनंत महाराज को यह कहते हुए सुना गया था कि भाजपा की राज्य ईकाई ने तो मुझे कूड़ेदान में डाल दिया है।कोई संपर्क ही नहीं रहता. उम्मीदवारों के चयन पर भी चर्चा नहीं की गई। अनंत महाराज ने बयानों से बीजेपी को झटका: राज्यसभा सांसद अनंत महाराज ने अपने बयानों ने ऐन चुनाव के समय बीजेपी को काफी असहज कर दिया था। बीजेपी ने कूच बिहार से निसिथ प्रमाणिक को मैदान में उतारा और उनके सामने टीएमसी के जगदीश चंद्र उतरे। 4 जून को जब नतीजे सामने आए तो बीजेपी को बड़ा झटका लगा जगदीश चंद्र ने जीत दर्ज करते हुए 7 लीख 88 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए जबकि बीजेपी के निशिथ प्रमाणिक को करीब 7 लाख 49 हजार मत मिले थे। जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था। करीब 38 हजार का अंतर था। लेकिन लोकसभा चुनाव के रिजल्ट से बीजेपी को यहां बड़ा झटका लगा। कूचबिहार में टीएमसी ने अपनी जमीन हासिल की: बीजेपी सांसद अनंत महाराज ने तब कूचबिहार को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की भी बात कही थी लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राजवंशी वोट बैंक उस तरह से नहीं मिल सका, जैसा कि अनुमान जताया जा रहा था। टीएमसी के जगदीश चंद्र ने अपनी खोई जमीन फिर से हासिल कर ली। उदयन-रवींद्रनाथ टीम ने मिलकर काम किया। लेकिन निसिथ प्रमाणिक बीजेपी के राज्यसभा सांसद को अपने पक्ष में नहीं ला सके। पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति की कुल आबादी में करीब 18 फीसदी से अधिक राजबंशी समुदाय की भागीदारी है। राजबंशी समुदाय अनुसूचित जाति वर्ग का सबसे बड़ा और प्रभावशाली समुदाय है। राजनीतिक लिहाज से देखें तो उत्तर बंगाल के पांच जिलों के 20 विधानसभा क्षेत्रों में राजबंशी समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन पांच जिलों में कूचबिहार के साथ ही अलीपुरद्वार भी शामिल है जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन 2024 के चुनाव में पार्टी कूचबिहार लोकसभा सीट हार गई।

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