पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में फिर सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट
नई दिल्ली: नेपाल में अल्पतमत वाली सरकार का पुराना इतिहास रहा है। पड़ोसी राज्य में फिर एकबार सत्ता परिवर्तन की आहट सुनाई देने लगी है। आधी रात को सीपीएन-यूएमएल और कांग्रेस के बीच गठबंधन की वजह से प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की कुर्सी डगमगाने लगी है। प्रचंड की सरकार में सबसे बड़ी पार्टी यूएमएल ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है। इसके साथ ही दहल सरकार ने सदन में अपना बहुमत खो दिया। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ 12 जुलाई को प्रतिनिधि सभा में बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे।इस सप्ताह की शुरुआत में प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने समर्थन वापस ले लिया था। प्रधानमंत्री ने संसद सचिव को एक पत्र लिखकर बहुमत परीक्षण के लिए मतदान की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। काठमांडू पोस्ट की खबर में कहा गया है, “दाहाल ने संविधान के अनुच्छेद 100 (2) के तहत बहुमत परीक्षण कराने का अनुरोध किया है। कहा गया है कि प्रधानमंत्री जिस दल का नेतृत्व कर रहे हैं, अगर वह विभाजित हो जाता है या कोई राजनीतिक दल गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लेता है तो प्रधानमंत्री को 30 दिन में प्रतिनिधि सभा में बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश करना होगा।” नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओलि ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार को समझौता किया था। प्रधानमंत्री ने यूएमएल के सभी आठ मंत्रियों के इस्तीफे को मंजूरी दे दी है, लेकिन खुद अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। इस बीच पुराने सहयोगी ने प्रचंड से कोई भी निर्णय नहीं लेने का आग्रह किया है। यूएमएल महासचिव शंकर पोखरेल ने एक बयान में कहा, “चूंकि सरकार अल्पमत में आ गई है, इसलिए हमने सरकार से ऐसा कोई निर्णय न लेने का आग्रह किया है, जिसका दूरगामी परिणाम होगा।” पोखरेल ने कहा कि नेपाली कांग्रेस और यूएमएल के नई सरकार बनाने पर सहमत होने के बाद प्रधानमंत्री दहल के विश्वास मत जीतने की संभावना नहीं है।यूएमएल ने प्रधानमंत्री से यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति’ वाली सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन देने का भी आग्रह किया। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के चार मंत्री भी गुरुवार सुबह इस्तीफा देने के लिए प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास बलुवाटार पहुंचे थे। हालांकि दहल ने उन्हें इस्तीफा न देने के लिए मना लिया और वे बिना इस्तीफा दिए वापस लौट आए। आरएसपी मंत्रियों ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा सदन में विश्वास मत के लिए जाने की योजना के तहत उनका समर्थन मांगे जाने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया। इससे कांग्रेस और यूएमएल नेताओं को संदेह हुआ कि प्रधानमंत्री उनके बीच अविश्वास का माहौल बनाकर सौदे को पटरी से उतारने की साजिश कर सकते हैं। अगर प्रधानमंत्री अपने पद पर बने रहते हैं और फ्लोर टेस्ट के लिए जाते हैं तो कांग्रेस और यूएमएल के पास वैकल्पिक योजनाएं भीं हैं। कांग्रेस महासचिव गगन थापा ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री कुछ दिनों के भीतर इस्तीफा नहीं देते हैं तो वे उन्हें हटाने के लिए वैकल्पिक प्रक्रिया शुरू करेंगे। थापा ने दहल को चेतावनी भी दी कि वे कोई चाल न चलें, क्योंकि उनके दिन गिने-चुने रह गए हैं। सुनसरी जिले के इटाहारी में पार्टी के एक समारोह को संबोधित करते हुए थापा ने कहा कि दहल के अस्थिर चरित्र ने कांग्रेस और यूएमएल को उन्हें बदलने के लिए प्रेरित किया। थापा ने कहा कि अल्पमत में आने के बाद प्रधानमंत्री नई सरकार के गठन की प्रक्रिया को पटरी से उतारने का प्रयास कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “लेकिन ऐसा कोई भी प्रयास उनके लिए बुरा होगा। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री कुछ दिनों के भीतर पद छोड़ देंगे। लेकिन अगर वह देरी करते हैं तो हम 4-5 दिनों के भीतर सरकार बनाने की नई प्रक्रिया शुरू कर देंगे। अगर दहल इस्तीफा नहीं देते हैं तो दो सबसे बड़ी पार्टियों के नेताओं के पास उन्हें हटाने के लिए क्या योजना है? इसके जवाब में कांग्रेस प्रचार विभाग के प्रमुख मिन बिश्वकर्मा ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो वे राष्ट्रपति कार्यालय में एक आवेदन देंगे। उसमें उनका का ध्यान प्रधानमंत्री की अल्पमत वाली सरकार पर दिलाएंगे।राष्ट्रपति तुरंत नई सरकार के गठन की घोषणा नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे अध्यक्ष को आवेदन भेजकर यह सत्यापित करने के लिए कह सकते हैं कि सरकार के पास सदन में बहुमत है या नहीं। बिश्वकर्मा ने कहा कि फिर अध्यक्ष फ्लोर टेस्ट की व्यवस्था करेंगे और देखेंगे कि क्या प्रधानमंत्री के पास अभी भी बहुमत है। बिश्वकर्मा ने कहा, “फ्लोर टेस्ट से पता चलेगा कि प्रधानमंत्री के पास बहुमत नहीं है। अध्यक्ष राष्ट्रपति को वापस लिखेंगे कि प्रधानमंत्री दहल के पास अब सदन में बहुमत नहीं है। इसके आधार पर राष्ट्रपति नई सरकार के गठन का आह्वान कर सकते हैं। रिपोर्ट अशोक झाक़्क़