बंगाल सरकार पर ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आखिर प्रिंसिपल क्या कर रहे थे, पुलिस क्या कर रही थी, घरवालों को शव देर से क्यों दिया गया?

अशोक झा, नई दिल्ली : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। सीजीई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि उसने स्वत: संज्ञान लिया है। सीजेआई ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर जाने में सक्षम नहीं हैं और काम करने की स्थिति सुरक्षित नहीं है, तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया में ट्रेनी डॉक्टर का नाम प्रकाशित होने से बहुत चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई. सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आखिर प्रिंसिपल क्या कर रहे थे, पुलिस क्या कर रही थी, घरवालों को शव देर से क्यों दिया गया? तो चलिए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा? कोलकाता मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही चल गया था लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की.
सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार की कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई और पूछा कि हजारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल का आचरण जांच के घेरे में है तो उन्हें कैसे तुरंत किसी दूसरे कॉलेज में नियुक्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर ममता सरकार को फटकार लगायी और पूछा कि अस्पताल के प्राधिकारी क्या कर रहे थे। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल को चीजों को नकारने की स्थिति में न रहने दें, राज्य में कानून एवं व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो गयी है। तुषार मेहता ने कहा कि सात हजार लोगों की भीड़ कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना आर जी कर अस्पताल में नहीं घुस सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। पीठ के अनुसार, इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेना इस तथ्य को देखते हुए महत्वपूर्ण है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले ही कार्रवाई की है और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। उच्चतम न्यायालय ने इस घटना पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर चीजें बदलने के लिए देश एक और दुष्कर्म की घटना का इंतजार नहीं कर सकता। बता दें कि आरजी कर अस्पताल के चेस्ट विभाग में नौ अगस्त को सेमीनार हॉल के भीतर चिकित्सक का शव पाया गया था, जिस पर गंभीर चोटों के निशान थे। कोलकाता पुलिस ने इस घटना के संबंध में अगले दिन एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया और सीबीआई ने 14 अगस्त को जांच शुरू कर दी। उच्च न्यायालय ने मृतका के माता-पिता समेत कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। मृतका के माता-पिता ने अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया था।