बांग्लादेशियों को शरण देने की बात कर केंद्र से सीधे टकरा रही सीएम ममता बनर्जी

राज्यपाल ने अनुच्छेद 167 के तहत एक व्यापक रिपोर्ट सरकार से मांगी

अशोक झा, कोलकाता: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शहीद दिवस के अवसर पर फिर एक बार विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि बांग्लादेश से पीड़ित लोग शरण लेने के लिए हमारे दरवाजे पर आएंगे तो उन्हें शरण दी जाएगी।राजभवन ने सोमवार को कहा, “विदेश से आने वाले लोगों को आश्रय देने का मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। किसी मुख्यमंत्री द्वारा किसी विदेशी राष्ट्र से आने वाले लोगों को आश्रय देने की जिम्मेदारी लेने का सार्वजनिक बयान बहुत गंभीर प्रकृति का संवैधानिक उल्लंघन दर्शाता है।” इसमें कहा गया है, “उपर्युक्त स्थिति में, महामहिम (राज्यपाल) ने मुख्यमंत्री से संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है, जिसमें यह बताया गया है कि संवैधानिक मर्यादाओं की अनदेखी करते हुए किस आधार पर ऐसी सार्वजनिक घोषणा की गई है। क्या भारत सरकार से अपेक्षित सहमति प्राप्त किए बिना इस दिशा में कोई कार्रवाई की जा रही है; और यह देखने के लिए क्या कार्रवाई की गई है कि देश में प्रत्याशित आप्रवासन के प्रकार से बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में जीवन की सामान्य स्थिति प्रभावित न हो और राज्य के जनसांख्यिकीय संतुलन पर कोई प्रभाव न पड़े।” अस्वीकरण में कहा गया है: “यहां दिखाई गई सामग्री राजभवन के कर्मचारियों की जानकारी के लिए है और इसे माननीय राज्यपाल के बयान के रूप में उद्धृत नहीं किया जाना चाहिए।रविवार को, ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपनी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की वार्षिक शहीद दिवस रैली में बांग्लादेश के लोगों को शरण देने की पेशकश की थी। “मुझे बांग्लादेश के मामलों पर बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह एक संप्रभु राष्ट्र है, और इस मुद्दे पर जो कुछ भी कहने की आवश्यकता है वह केंद्र का विषय है। लेकिन मैं आपको यह बता सकती हूं कि अगर असहाय लोग हमारे दरवाजे खटखटाते हैं तो हम निश्चित रूप से उन्हें आश्रय देंगे।ममता बनर्जी ने ऐसा बयान देकर एक बार फिर सीधे केन्द्र सरकार से टकराव मोल ले लिया है। वैसे भी ममता बनर्जी शुरू से ही केन्द्र के साथ टकराव के रास्ते पर चल रही है। जब बंगाल सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ सीबीआई ने जांच तेज की थी तो उन्होंने बगैर बंगाल सरकार की अनुमति के सीबीआई के बंगाल में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। ईडी के अधिकारियों द्वारा जब भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की गई तो उसका भी बंगाल में प्रबल विरोध किया गया। ममता बनर्जी सीएए का भी विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि वे इसे बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। अब उन्होंने कहा है कि वे बांग्लादेशियों को शरण देंगी। यह सीधे सीधे केन्द्र सरकार को चुनौती है। ममता बनर्जी को यह पता होना चाहिए कि शरण देने का फैसला केन्द्र सरकार करती है। किसी भी राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी देश के नागरिकों को अपने राज्य में शरण दें। 1971 में जब भारत के हस्तक्षेप से पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए थे और बांग्लादेश नए देश के रूप में अस्तित्व में आया था।तब बांग्लादेशियों को भारत में शरण देने का फैसला तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने लिया था। किसी भी राज्य सरकार को यह अधिकार कतई नहीं है कि वह शरणार्थियों को अपने यहां बसाए। किन्तु लंबे समय से बंगाल और असम में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग घुसपैठ कर रहे हैं। और बंगाल में तो ममता बनर्जी की सरकार न सिर्फ उन्हें बचा रही है बल्कि मूलभूत सुविधाएं सुलभ करा रही है। अब तो उन्होंने खुलेआम यह ऐलान कर दिया है कि उनकी सरकार बांग्लादेशियों को शरण देगी। केन्द्र सरकार को चाहिए की वह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हद में रहने की नसीहत दें। भारतीय संविधान में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
भारतीय संविधान में यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि किन विषयों पर सिर्फ केन्द्र सरकार कानून बना सकती है और किन विषयों पर राज्य सरकार अपना कानून बना सकती है। एक समवर्ती सूची भी है। जिसके तहत केन्द्र और राज्य सरकारें दोनों ही कानून बना सकती हैं। लेकिन इसमें भी यह प्रावधान है कि यदि समवर्ती सूची में शामिल विषय पर केन्द्र और राज्य कानून परस्पर विरोधाभाषी है तो ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार का ही कानून प्रभावी माना जाएगा। एक ओर तो ममता बनर्जी भी आईएनडीआईए के अन्य दलों की भांति संविधान की दुहाई देती रही है। और दूसरी ओर वे संविधान के नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी कानून को वे अपने राज्य में लागू करने से इनकार नहीं कर सकती लेकिन फिर भी वे ऐसा दु:साहस दिखा रही हैं। केन्द्र सरकार से टकराव के रास्ते पर चलकर ममता बनर्जी भले ही अपना वोट बैंक मजबूत कर लें। लेकिन इससे राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा हो सकता है।इसलिए केन्द्र सरकार को अब ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ कार्यवाही करने से नहीं हिचकना चाहिए। अन्यथा उनके हौसले और बुलंद होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि ममता बनर्जी के ऐसे बयानों और फैसलों पर केन्द्र सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर उचित कार्यवाही करेगी ताकि देश की एकता और अखंडता पर आंच न आने पाए।

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