बाल कृष्ण की लीलाओं का वाचन सुन श्रद्धालु हुए भाव विभोर
अशोक झा, सिलीगुड़ी: डालमिया परिवार द्वारा आयोजित सिलीगुड़ी अग्रसेन भवन में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा में पांचवे दिन श्री कृष्ण की बाल लीलाओ का सुंदर और मोहक वर्णन किया गया। कथा व्यास पर बैठे केशव कृष्ण महाराज ने कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। अभिमान वसुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। कथावाचक ने व्यासपीठ से केशव कृष्ण महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का रसास्वादन करवाया। बाल कृष्ण की लीलाओं का वाचन सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। भगवान श्री कृष्ण का बाल गोपाल के साथ माखन चोरी करने, गोपियों की मटकी फोड़ने, गोपियों को रिझाने बल चपलता दिखाने का चित्रण किया। यह एक कथा…, एक कहानी…। जिसके अनेक रूप और हर रूप की लीला अद्भुत है। प्रेम को परिभाषित करने वाले, उसे जीने वाले इस माधव ने जिस क्षेत्र में हाथ रखा वहीं नए कीर्तिमान स्थापित किए। माँ के लाड़ले, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग ईश्वर का अवतार हैं, पर वे बालक हैं तो पूरे बालक। माँ से बचने के लिए कहते हैं- मैया मैंने माखन नहीं खाया। माँ से पूछते हैं- माँ वह राधा इतनी गोरी क्यों है, मैं क्यों काला हूं? शिकायत करते हैं कि माँ मुझे दाऊ क्यों कहते हैं कि तू मेरी माँ नहीं है। ‘यशोदा माँ’ जिसे अपने कान्हा से कोई शिकायत नहीं है? उन्हें अपने लल्ला को कुछ नहीं बनाना, वह जैसा है उनके लिए पूरा है।’ मैया कबहुँ बढ़ैगी चोटी, किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूँ है छोटी।’
यहाँ तक कि मुख में पूरी पृथ्वी दिखा देने, न जाने कितने मायावियों, राक्षसों का संहार कर देने के बाद भी माँ यशोदा के लिए तो वे घुटने चलते लल्ला ही थे जिनका कभी किसी काम में कोई दोष नहीं होता। भगवत कथा के पदों में अनोखी कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन है। इसमें बालक कृष्ण के भावों का मनोहारी चित्रण प्रस्तुत किया जिसने यशोदा के कृष्ण के प्रति वात्सल्य को अमर कर दिया। यशोदा के इस लाल की जिद भी तो उसी की तरह अनोखी थी ‘माँ मुझे चाँद चाहिए। उन्होंने बताया कि जिस समय पूतना दिखावे का रूप बनाकर के जाती है, भगवान समझ जाते हैं। क्योंकि भगवान हर इंसान के घट घट में रहने वाले हैं, हो सकता है दिखावे से अच्छे कपड़ों से अच्छे गहनों से निम्न व्यक्ति भी अच्छा दिखाई दे। लेकिन परमात्मा को हमारा सच्चा भाव चाहिए, जब तक हमारे मन में सच्चा भाव नहीं आएगा, तब तक हम यूं ही भटकते रहेंगे। यह भटकाव एक बार नहीं बार बार नहीं 84 लाख बार भटकना पड़ेगा। जैसा भाव वैसा स्वभाव: इंसान का जैसा भाव होता है, उसको सारा संसार वैसा ही नजर आता है। भजन के माध्यम से बताया कि ऐसे कर्म करके जाएं ताकि जिससे हमारा नाम अमर हो जाए और आने वाली पीढ़ी को अच्छे संस्कार मिलें। जिसमे कृष्ण की बाल लीलाओं का मनमोहक वर्णन किया गया। केशव कृष्ण महाराज ने कहा धनवान व्यक्ति वही है जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे वही आज के समय में धनवान व्यक्ति है। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम के द्वारा ही संभव हो सकती है। कथा में पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज ने बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर,गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। अतः सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। एक बार गोप बालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी–’मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। इसके अलावा भी श्री कृष्ण जी की माखन चोरी आदि बाल लीलाओं का वर्णन किया। कथा व्यास केशव कृष्ण के द्वारा श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का बृत्तांत सुनकर भक्त गण भाव विभोर हो गए। इस सात दिवसीय भागवत कथा का सफल संचालन के लिए आयोजक मंडली में डालमिया परिवार का पूरा सहयोग देखा जा रहा है। सबसे अच्छी बात है की आज की युवा पीढ़ी भी श्रीमद भागवत कथा में अपने परिवार के साथ आ रहे है। मंगवार को रुक्मणि विवाह का सुंदर कथा कही जायेगी।