हिंदू विरोधी और मानवता विरोधी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने का आया समय : राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री हरिशंकर

विश्व हिंदू परिषद मना रहा अपना 60वा स्थापना दिवस, रात्रि में होगा भजन कीर्तन

अशोक झा, सिलीगुड़ी: विश्व हिंदू परिषद अपना 60वा स्थापना दिवस सिलीगुड़ी अपने कार्यालय हैदर पाड़ा में मना रहा है। इस मौके पर इसके स्थापना काल से अबतक संगठन की स्थिति पर
राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री हरिशंकर ने प्रकाश डाला। कहा की वसुधैव कुटुंबकम का भाव रखना ही हिंदुओं के लिए अपने ही देश में अपनी ही परंपराओं के लिए कुठाराघात करने वाला हो गया। हमें इन चुनौतियों का न सिर्फ सामना करना है, बल्कि अपने महापुरुषों के शौर्य, त्याग, पराक्रम को जागृत कर राष्ट्र विरोधी, हिंदू विरोधी और मानवता विरोधी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देना है। यह बातें विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री हरिशंकर ने कहा कि वह हम ही हैं जो दुश्मन की ललकार पर अपने पुत्र को भी पीठ में बांधकर दुश्मनों से युद्ध लड़ने के लिए रानी लक्ष्मीबाई बनने का साहस रखते हैं। वीएचपी के 60वें स्थापना दिवस के मौके पर कहा की अयोध्या में भव्य रूप में बन रहे राम मंदिर के लिए चलाए गए आंदोलन की सफलता से भारत के साथ साथ विदेश में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं के हृदय में स्थान बना चुके विश्व हिंदू परिषद (विहिप ) की स्थापना श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही मुंबई में 1964 ईस्वी में हुई थी। इसके प्रेरणा श्रोत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ श्री गुरुजी थे। आज विहिप का काम भारत के सभी प्रांतों के साथ साथ विश्व के 50 से अधिक देशों में है।भारतीय संस्कृति अनादि काल से विश्व बंधुत्व की भावना को लेकर “सर्वे भवंतु सुखिनः” की उद्धार विचारधारा को जन-जन में प्रतिष्ठित करने का कार्य करते रही है, इसी कारण प्राचीन काल से ही भारत के प्रति विश्व समुदाय का आदर और श्रद्धा का भाव रहा है। हिंदू समाज समरस एवं समृद्ध था अपितु मुस्लिम आक्रांताओं के आगमन के बाद हिंदू समाज की एकता व अखंडता को तार-तार कर उसे जातिवादी, क्षेत्रवादी, भाषावादी व मत-पंथ-संप्रदाय वादी विभेदों में बांट कर पहले मुगलों (मुस्लिमों) ने और फिर अंग्रेजों ( ईसाइयों ) ने भारत पर शासन किया।विपत्ति चाहे अनगिनत आईं, किंतु यहां के हिंदू समाज में न तो ज्ञान की, न वीरता व पौरुष की, न धैर्य की और न धर्म की कभी न्यूनता हुई। हिंदू समाज ने विधर्मियों के विरुद्ध क्षमता से भी अधिक प्रतिकार व वीरता का परिचय दिया, फिर भी आक्रांताओं के दमन से अपने आपको नहीं बचा पाए एवं सैकड़ों वर्ष तक पराधीनता का दंश झेलते रहे। दुनियाभर में हिंदू धर्म के रक्षा के लिए 29 अगस्त 1964 को एक संस्था का निर्माण हुआ जिसे विश्व हिंदू परिषद के नाम से जाना जाता है। अपनी स्थापना के 60 साल पूरे होने पर वर्ष पूरे होने पर संगठन पूरे देश में तमाम धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम चला रहा है। जिसमें रक्तदान शिविर से लेकर बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद करने का काम शामिल है। वीएचपी एक हिंदूवादी संगठन है और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़ी हुई एक धार्मिक शाखा है। 1964 में अपनी स्थापना के बाद से ही यह संगठन भारत सहित दुनियाभर में हिंदू समाज को एकजुट करने,हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करने और हिंदुओं को मजबूत करने का काम करता रहा है।कब हुई स्थापना–29 अगस्त 1964 में मुंबई की सांदीपनी साधना शाला में हुए एक सम्मेलन के दौरान आरएसएस के सरसंघ चालक गुरू गोलवलकर ने हिंदू समाज को एकजुट करने और उसकी रक्षा के लिए एक संगठन वीएचपी बनाने का प्रस्ताव दिया था।
-1966 के प्रयाग के कुंभ मेले में एक विश्व सम्मेलन के साथ ही इस संगठन का स्वरूप सामने आया। आगे यह फैसला किया गया कि यह गैर-राजनीतिक संगठन होगा और राजनीतिक पार्टी का अधिकारी विश्व हिंदू परिषद का अधिकारी नहीं होगा।
क्या थे स्थापना के उद्देश्य:1966 में प्रयाग कुंभ मेले में सम्मेलन में तय हुआ कि प्रस्तावित संगठन का नाम विश्व हिंदू परिषद होगा। स्थापना के समय संगठन के उद्देश्य और लक्ष्य भी तय किए गए जिनमें-हिंदू समाज को मजबूत करना।
-हिंदू जीवन दर्शन और आध्यात्म की रक्षा, संवर्द्धन और प्रचार
-विदेशों में रहनेवाले हिंदुओं से तालमेल रखना, हिंदू और हिंदुत्व की रक्षा के लिए उन्हें संगठित करना और मदद करना
विश्व हिंदू परिषद का आदर्श वाक्य
वीएचपी का आदर्श वाक्य है ‘धर्मों रक्षित रक्षित:’ यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है।
वीएचपी का पहचान चिन्ह: विहिप का पहचान चिन्ह बरगद का पेड़ है।कौन थे संस्थापक सदस्य:
इसके संस्थापक सदस्यों में-केशवराम काशीराम शास्त्री,स्वामी चिन्‍मयानंद,जयचमराजा वाडियार बहादुर, मास्टर तारा सिंह,एस.एस. आप्टे,सतगुरु जगजीत सिंह
शामिल थे। जिन्हें तत्कालीन सरसंघ चालक माधव सदाशिव गोलवलकर ने हिंदू धर्म की रक्षा,मजबूती और प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी थी।सेवाक्षेत्र – भारत हैं जहां 6.8 करोड़ लोग संगठन से जुड़े हुए हैं। उप शाखाएं- वीएचपी की उपशाखाओं के तौर पर इसकी युवा शाखा को बजरंग दल, और महिला शाखा को दुर्गा वाहिनी के तौर पर जाना जाता है।

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