बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को बधाई के साथ पीएम मोदी ने हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का ध्यान रखने को कहा
बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा: बांग्लादेश में कई दिनों की अशांति और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने गुरुवार को देश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ग्रहण की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण के बाद मुहम्मद यूनुस को बधाई दी है। इस अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के शपथग्रहण के बाद पूरे घटनाक्रम पर पीएम मोदी का पहला बयान आया है। पीएम मोदी ने मोहम्मद यूनुस को बधाई देने के साथ ही हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का ध्यान रखने को लेकर अहम बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारियां संभालने पर मेरी शुभकामनाएं। हम हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामान्य स्थिति में शीघ्र वापसी की उम्मीद करते हैं। भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है।राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुहम्मद यूनुस के कैबिनेट में फिलहाल 13 लोग शामिल हुए हैं। हालांकि कैबिनेट में शामिल सदस्यों को सलाहकार का ही दर्जा दिया गया है मंत्रियों का नहीं।बांग्लादेश अंतरिम सरकार का मंत्रिमंडल कुछ इस प्रकार है-मुख्य सलाहकार : मुहम्मद यूनुस।
अन्य 13 सलाहकार हैं : सैयदा रिजवाना हसन, फरीदा अख्तर, आदिलुर रहमान खान, खालिद हुसैन, नूरजहां बेगम, शर्मीन मुर्शिद, बीर प्रतीक फारुक-ए-आजम, नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद, सालेहुद्दीन अहमद, प्रोफेसर आसिफ नजरूल, एएफ हसन आरिफ, एम सखावत हुसैन, सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय, तौहीद हुसैन। कैबिनेट सदस्यों में असंतुष्ट छात्रों के दल के शीर्ष नेता, नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद भी शामिल हैं। इन लोगों ने कई हफ्तों से देश में छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया है।कैबिनेट के दूसरे सदस्यों में पूर्व विदेश सचिव तौहिद हुसैन और पूर्व अटॉर्नी जनरल हसन आरिफ भी शामिल हैं। इनके अलावा पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वालीं वकील सैयदा रिजवाना हसन और कानून के प्रमुख प्रोफेसर आसिफ नजरूल भी कैबिनेट सदस्यों में हैं। इनके अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ता अदिलुर रहमान खान को भी इसमें जगह मिली है। शेख हसीना सरकार में अदालत ने उन्हें दो साल के जेल की सजा सुनाई थी। बता दें कि बांग्लादेश में 17 साल बाद किसी अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। इसके बाद शेख हसीना ने 15 साल तक बांग्लादेश की सत्ता पर एकतरफा राज किया। अवामी लीग की नेता शेख हसीना को सोमवार को बड़े पैमाने पर विद्रोह के कारण इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनूस को बधाई और शुभकामनायें दी है। ‘एक्स’ अकाउंट पर पीएम मोदी ने लिखा, “प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को उनकी नई जिम्मेदारी संभालने पर मेरी शुभकामनाएं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी, जिससे हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। बांग्लादेश के साथ काम करने और शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है।उल्लेखनीय है कि कभी शेख हसीना के कटु आलोचक रहे, अब मिली सरकार की बागडोर :शेख हसीना के शासनकाल के दौरान गबन के आरोप में उत्पीड़न का सामना करने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के बाद अब यूनुस बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया बन गए हैं। यूनुस को ”सबसे गरीब लोगों का बैंकर” भी कहा जाता है। इसे लेकर उन्हें आलोचना का सामना भी करना पड़ा था और एक बार हसीना ने यूनुस को ”खून चूसने वाला” कहा था।वह हसीना के कटु आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का ”दूसरा मुक्ति दिवस” बताया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस का जन्म 1940 में भारत के चटगांव में हुआ था, जो अब बांग्लादेश का एक प्रमुख बंदरगाह शहर है। उन्होंने अमेरिका के वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और बांग्लादेश लौटने से पहले कुछ समय तक वहां पढ़ाया था। पद संभालने के बाद उन्होंने भारत के 50 हस्तियों को पत्र लिखा है।पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फिल्म निर्माता अपर्णा सेन, शिक्षाविद् पवित्रा सरकार और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली शामिल हैं। पत्र में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की तथा एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के पूजा स्थलों की रक्षा करने की घटनाओं की सराहना भी की।’प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करें’। बांग्ला में लिखे पत्र में कहा गया है, ‘बांग्लादेश के लोग तय करेंगे कि देश में किस तरह का राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व आएगा, लेकिन हम वर्तमान प्रशासन और बांग्लादेश के आम लोगों, खासकर छात्र, जो आरक्षण विरोधी और भेदभाव विरोधी आंदोलन के माध्यम से यह परिवर्तन लेकर आये हैं, से अपील करते हैं कि वे प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करें, चाहे उसका धर्म, राजनीतिक संबंध और पेशा कुछ भी हो। घटनाक्रम को लेकर जताई चिंता: इसमें कहा गया है, ‘हम बांग्लादेश के वर्तमान घटनाक्रम से बहुत चिंतित हैं. बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए सिर्फ स्थान के लिहाज से ही पड़ोसी देश नहीं है, बल्कि दिल से भी पड़ोसी है, क्योंकि हम भाषा, संस्कृति और इतिहास साझा करते हैं.’ इन जानी-मानी हस्तियों ने कहा कि उन्होंने यह पत्र इसलिए लिखा है क्योंकि देश में उथल-पुथल मची हुई है और उनमें से कई लोगों को बिगड़ते हालात के बारे में दुनिया भर से बांग्लादेशी मित्रों के फोन आ रहे हैं. पत्र की एक प्रति कोलकाता स्थित बांग्लादेश के उप उच्चायोग को भी भेजी गई है।