गणेशोत्सव में भक्तों की भीड़, दूसरे दिन की जा रही पूजा अर्चना
गणेश की कैसे हुई उत्पति, सभी को जानने की जरूरत
अशोक झा, सिलीगुड़ी: हिन्दू पंचांग के अनुसार दूसरे दिन प्रातः काल 05:15 से 06:25 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। वहीँ संध्या पूजा का मुहूर्त शाम को 06:47 से रात्रि 07:57 के बीच है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:11 से 01:01 के बीच है।दूसरे दिन गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय: गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन सुबह स्नान कर 21 गुड़ की गोलियां बना लें और समीप किसी मंदिर में जाकर गुड़ को दूर्वा के साथ चढ़ा दें। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से श्री गणेश जल्द ही प्रसन्ना हो जाते हैं।हिन्दू पुराणों में विघ्नहर्ता गणेश का अभिषेक आवश्यक बताया गया है। यदि पहले दिन आप भगवान गणेश का अभिषेक नहीं कर पाए हैं तो दूसरे दिन श्री गणेश का अभिषेक अवश्य करें। ऐसा करने से आपको विशेष लाभ मिलेगा। साथ ही गणेश जी पाठ भी करें और लड्डू का भोग भी अवश्य लगाएं और लोगों में बाँट दें।
ऐसे हुआ भगवान गणेश का जन्म: शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान से पूर्व शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया था। इसके बाद जब उन्होंने उबटन उतारा तो इससे एक पुतला बना दिया और उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई। इसके बाद माता पार्वती स्नान करने चली गई और गणपति को आदेश दिया कि तुम द्वार पर बैठ जाओ और किसी को भी अंदर मत आने देना। ।कुछ देर बाद वहां भगवान शिव आए और कहा कि उन्हें पार्वती जी से मिलना है। द्वारपाल बने भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद शिवगणों और भगवान गणेश के बीच भयंकर युद्ध किया लेकिन कोई भी उन्हें हरा नहीं सका फिर क्रोधित शिवजी ने अपने त्रिशूल से बालक गणेश का सिर काट डाला। जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो रोने लगीं और प्रलय करने का निश्चय कर लिया। इससे देवलोक भयभीत हो उठा फिर देवताओं ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया। भगवान शिव ने गरुड़ जी से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सो रही हो उस बच्चे का सिर ले आओ। गरुड़ जी की काफी देर बाद तक ऐसा कोई नहीं मिला। अंततः एक हथिनी नजर आई। हथिनी का शरीर ऐसा होता है कि वो बच्चे की तरह मुंहकर नहीं सो सकती। तो गरुड़ जी उस शिशु हाथी का सिर काट कर ले आए।शिव ने उसे बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया। पार्वती उसे पुनः जीवित देख बहुत खुश हुई और तब समस्त देवताओं ने बालक गणेश को आशीर्वाद दिए। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत अगर गणेश पूजा से होगी तो वो सफल होगा। उन्होंने गणेश को अपने समस्त गणों का अध्यक्ष घोषित करते हुए आशीर्वाद दिया कि विघ्न नाश करने में गणेश का नाम सर्वोपरि होगा। इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।शहर के सालबारी पेट्रोल पंप के निकट क्षेत्र के युवा भाई, बहनों के प्रयास से सालबारी श्री श्री गणपति सार्वजनिक पूजा कमिटी ने गणपति उत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह उत्सव 7 से 11 तक आयोजित होगा। भव्य गणपति पंडाल में मूर्ति स्थापना के पहले आज काला यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भी गणपति बाप्पा मोरिया का जयघोष कर रहे थे। ढोल नगाड़े के साथ निकली कलश यात्रा के बाद आयोजकों के बताया की
सालबारी और आसपास के गाँव, बस्ती, बाजार और बगानों में सदा शान्ति, सद्भावना, एकता में विघ्न न आए, नशाखोरी समाप्त हों और कोई भी प्राकृतिक आपदा न आए यही कामना लेकर इस वर्ष भी गत वर्षों से भव्य रूप से श्री गणेश महोत्सव (पूजा) करने की निश्चय की गई है। आज पूजा अर्चना के साथ आरती की जाएगी। 8.09.2024 को सुबह 8:30 बजेपूजा शुरू होती है। सुबह 10:30:00 बजेकीर्तन, भण्डारामोदक आदि माहाभोग – आरती की जाएगी। 09.09.2024 पुष्पांजलिदोपहर: 3:00 बजे, मंगल पाठ-प्रवचनसायं 4:00 बजे -प्रसाद वितरणशाम 6:00 बजे महाआरती, भजन, कीर्तन-विविध कार्यक्रम, भंडारा होगा। 10.09.2024सुबह 8:30 बजे -पूजा शुरू होती है
सुबह 10:30:00 बजे महाभोग अर्पणसुबह 10:45 बजेहवन प्रारम्भ शाम के 2:30 पूर्णाहुति, पुष्पांजलि, आरती 4:30 अपराह्न प्रसाद वितरण शाम 6:00 बजे- महाआरती, भजन, कीर्तन विविध कार्यक्रम, भंडारा होगा। 11.09.2024सुबह बिसर्जन पूजा शुरू होती है। सुबह 9:30 बजे नारियल का भोग, मंत्र विसर्जन होगा। इसकी जानकारी पण्डित राम पौड्याल एवं शश्री गणपति परिवार, सालबारी की और से दी गई है।