एआई के इस्तेमाल करके बदले आम लोगों की जिंदगी नही सीखा पिछड़ना तय -मुख्य सचिव

एआई के इस्तेमाल करके बदले आम लोगों की जिंदगी नही सीखा पिछड़ना तय -मुख्य सचिव

आज का दौर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी (एआई) और मशीन लर्निंग का है। जिस व्यक्ति, संस्था, समाज या राज्य ने एआई तकनीक को नहीं अपनाई तो उसका पिछड़ना तय है। ये नसीहत मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को एक कार्यशाला में दी। उन्होंने कहा कि एआई का इस्तेमाल करके आम लोगों की जिंदगी बदल सकता है।
योजना भवन में शासन को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग और वाधवानी सेंटर फॉर गवर्नमेंट डिजिटल ट्रांसफार्मेशन की पाठशाला में मुख्य सचिव ने कहा कि सभी सरकारी विभागों में दक्षता बढ़ाने और सुनिश्चित परिणाम के लिए एआई को दैनिक कामों में शामिल करें। जनता और समाज की बेहतरी के लिए यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में पूरी मेडिकल रिपोर्ट एआई से तैयार हो रही है। इसे जेनरेटिव एआई कहते हैं। इससे तैयार हेल्थ डाटा से भविष्य में होने वाली बीमारियों की जानकारी मिल जाती है।
एआई ने बदल दी तस्वीर
■ गंगा एक्सप्रेसवे में एआई तकनीक ज्यूरिख विवि के साथ सड़कों में एआई तकनीक को लेकर समझौता किया गया है। एक सेंसर डेवलप किया है, जिसे वाहन में लगाया जाएगा। वह राईडिंग क्वालिटी बता देगा। इस सेंसर की वजह से गंगा एक्सप्रेसवे की राइडिंग क्वालिटी जेपी के बुद्धा सर्किट ट्रैक के समकक्ष तैयार की जा रहा है।
■ गूगल के साथ समझौता किया। पहले मौजूद डाटा के मुताबिक किसान 160 दिन फसलें उगा रहे थे। पर, सैटेलाइट डाटा से पता चला कि ये दिन बढ़कर 199 हो गए हैं। यानी किसान साल में तीन फसलें बो रहे हैं।
■ दिल्ली का एक स्टार्टअप सड़क पर लगे अवैध साइन बोर्ड, स्पॉटहोल, कूड़ा, ओवरलोड वाहन, तीन सवारी, ओवरस्पीड आदि का डाटा देता है। इससे ट्रैफिक में सुधार में मदद मिली।
■ यूपी में पहली बार रिटर्न की एआई आधारित डिजिटल स्क्रूटनी की गई। इससे विभाग को 1500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई हुई।

■ भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करना है। मरीजों का डाटा एआई में फीड किया जाता है। वहां से रिस्क स्कोरिंग मिल जाती है। फिर इसके आधार पर उन मरीजों पर काम होता है जो खतरे की जद में होते हैं।

■ जीएसटी में रिस्क स्कोरिंग सिस्टम तैयार किया गया। दस लाख फर्जी या निष्क्रिय फर्मों के डाटा से इसे तैयार किया गया। अब रजिस्ट्रेशन के समय इसी डाटा से फर्म की रिस्क स्कोरिंग नापी जाती है।

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आईएएस अफसरों ने यहां बताई एआई की जरूरत
■ रजिस्ट्री के लिए स्टांप और रजिस्ट्री विभाग में जाने की जरूरत खत्म होना चाहिए, क्योंकि 99.5 फीसदी केस सही होते हैं। हमें 0.5 फीसदी केस सुधारने की जरूरत है।
■ खेतों की नापजोख बड़ी समस्या है। इसमें एआई से नापजोख की जाए।
■ जल स्रोतों की तलाश में एआई के इस्तेमाल से पता लगाया जा सकेगा कि किस तालाब या जल स्रोत पर कब्जा हो गया है। ये जानकारी मिल जाएगी कि किस तालाब में बिल्डिंग खड़ी हो गई।
■ कृषि के डाटा मुताबिक 66 फीसदी किसान के पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है। ये पता चल जाए कि अगले साल क्या बोया जाए। मौसम और मिट्टी की जानकारी से फसल बढ़ाई जा सकती है।
■ बच्चों की कॉपी और रिपोर्ट कार्ड से पूरे जिले के बच्चों की मेधा पर काम कर सकते हैं।

कार्यशाला में राजस्व परिषद अध्यक्ष अनिल कुमार, अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन जितेंद्र कुमार, अपर प्रमुख सचिव परिवहन वेकेंटेश्वर लू, प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास अनिल कुमार सागर, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. शंमुगा सुंदरम, प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, प्रमुख सचिव समाज कल्याण डॉ. हरिओम, प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम और विशेष सचिव आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स नेहा जैन सहित अन्य आईएएस अधिकारी मौजूद थे।

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