पिता ने सरकारी जमीन पर किया कब्जा बेटे की छिनी प्रधानी
पिता ने सरकारी जमीन पर किया कब्जा बेटे की छिनी प्रधानी
उप्र बस्ती जिले में ग्राम प्रधान के पिता ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर दो कमरे का मकान बना लिया। जांच में पुष्टि होने पर भी प्रधान ने अवैध कब्जा नहीं हटाया। प्रशासन ने कब्जा हटाते हुए जुर्माना लगाया तो उसे भी जमा नहीं किया। हाईकोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई के बाद डीएम ने प्रधान का वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीन लिया। गांव के विकास के लिए तीन सदस्यों वाली टीम के गठन निर्देश दिया।
मामला विकास खंड रामनगर की ग्राम पंचायत बांकेचोर का है। रामनगर ब्लॉक के बरडांड नानकार निवासी कृष्णदेव भट्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। याचिका में आरोप लगाया कि प्रधान बांकेचोर मनीन्द्र प्रताप ने ग्राम सभा की अवैध भूमि पर कब्जा किया है। इस पर कार्रवाई का निर्देश दिया। कोर्ट के निर्देश पर प्रधान मनीन्द्र प्रताप को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ। उसके बाद कोर्ट ने डीपीआरओ को स्वयं जांच करने को कहा। डीपीआर बस्ती रतन कुमार ने जून 2024 में स्वयं शिकायत की जांच किया। डीपीआरओ ने जुलाई में आख्या दी। आख्या के अनुसार सरकारी जमीन पर कब्जा होना साबित हुआ। इस पर फिर से प्रधान को शो-काज जारी हुआ। प्रधान ने इसका जवाब भी दिया, लेकिन संतोषजनक नहीं रहा। डीपीआरओ की जांच में ग्रामीणों ने बताया कि बांकेचोर के राजस्व गांव सूफीपुर नौवागांव में स्थित घोला (गड़ही) पर कब्जा कर प्रधान के पिता ने कब्जा कर दो कमरे का मकान बना लिया। इसके बाद मनीन्द्र प्रताप प्रधान निर्वाचित हुए। वह भूमि प्रबंध समिति के अध्यक्ष बन गए। ऐसे में पिता के कब्जा किए हुए सरकारी जमीन से प्रधान को स्वत कब्जा हटा लेना चाहिए था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, इसके लिए वह जमीन कब्जे के दोषी हैं। तहसीलदार सोनहा ने जमीन से कब्जा हटाने के लिए 96 हजार का जुर्माना भी लगाया, जिसे जमा करना था, लेकिन प्रधान ने नहीं जमा किया। आरोप सिद्ध होने पर डीएम रवीश गुप्ता ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा-95 की उप धारा-एक के तहत दिए गए प्राविधानों के अनुसार मणीन्द्र प्रताप प्रधान बांकेचोर विकास खंड रामनगर के समस्त वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर दिया। प्रधान के कार्य को संपादित करने के लिए ग्राम पंचायत सदस्यों की तीन सदस्यीय समिति के गठन करने का निर्देश दिया। नियमावली के तहत प्रकरण की बृहद जांच के लिए जिला विकास अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया।