लेडी डॉक्टर रेप और मर्डर केस में कई बड़ी गलतियों के कारण बंगाल सरकार परेशान
अशोक झा, कोलकोता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए लेडी डॉक्टर रेप और मर्डर केस में जूनियर डॉक्टर लगातार इंसाफ की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांग है कि कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल के साथ मेडिकल एजुकेशन के निदेशक (डीएमई), स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) और स्वास्थ्य सचिव को उनके पदों से हटा दिया जाए
इसके साथ ही वारदात के बाद सबूतों से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया गया है।एक डॉक्टर ने कहा, “हम ऐसे जघन्य अपराधों की निंदा करते हैं. यह अपराध पश्चिम बंगाल सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच सांठगांठ का नतीजा है। इस घटना के बाद सबूतों से छेड़छाड़ की गई है. हम चाहते हैं कि संबंधित अधिकारी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और सुप्रीम कोर्ट जांच प्रक्रिया में तेजी लाएं और दोषियों को बिना किसी देरी के दंडित करें.” इसके साथ ही सभी अस्पतालों में उचित सुरक्षा व्यवस्था की भी मांग की गई है।देखा जाए तो इस जघन्य वारदात के बाद से कोलकाता पुलिस और अस्पताल प्रशासन द्वारा लगातार गलतियां की गई हैं, जो कि अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए मुसीबत बन गई हैं. इन्हीं गलतियों और आरोपों के आधार पर सीबीआई ने एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला थाना प्रभारी (ओसी) अभिजीत मंडल को गिरफ्तार किया है. दोनों से सीबीआई हिरासत में इस सिलसिले में लगातार पूछताछ की जा रही है।आइए बड़ी गलतियों के बारे में जानते हैं, जो ममता बनर्जी के लिए मुसीबत बन गई हैं। बलात्कार और हत्या को आत्महत्या बताने की कोशिश, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष को 9 अगस्त की सुबह 9.58 बजे लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की जानकारी मिली थी, लेकिन उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना नहीं दी. उन्होंने काफी देर बाद मेडिकल सुपरिटेंडेंट के जरिए से एक अस्पष्ट शिकायत दर्ज कराई, जबकि पीड़िता को दोपहर 12.44 बजे मृत घोषित कर दिया गया था। यहां तक कि उन्होंने इस केस को आत्महत्या बताने की कोशिश की थी। सूचना मिलने के एक घंटे बाद क्राइम सीन पर गए ओसी: संदीप घोष ने 9 अगस्त सुबह 10.03 बजे ताला थाना प्रभारी (ओसी) अभिजीत मंडल को फोन किया था. इसके बाद दोपहर 1.40 बजे एक वकील से भी संपर्क किया था, जबकि अप्राकृतिक मौत का मामला रात 11.30 बजे दर्ज किया गया. इस तरह से देखा जाए तो ओसी को सुबह 10.03 बजे ही घटना की जानकारी मिल गई थी, लेकिन वो तुरंत घटनास्थल पर नहीं पहुंचे. करीब एक घंटे बाद उनको 11 बजे क्राइम सीन पर देखा गया था।पीड़िता की मौत के सच को छुपाने की रची गई साजिश
प्रथम जीडी प्रविष्टि संख्या 542 में उल्लेख है कि आरजी कर एमसीएच की पीजी ट्रेनी डॉक्टर चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट के सेमिनार हॉल में अचेत अवस्था में मिली, जबकि पहले ही एक डॉक्टर की जांच में साबित हो चुका था कि पीड़िता की मौत हो चुकी है. उसका शव जिस हालत में पड़ा हुआ था, उसे देखकर कोई भी समझ सकता था कि उसकी बलात्कार के बाद हत्या की गई है. इसके बावजूद किसी न किसी साजिश के तहत सच छिपाया गया। वारदात के दो दिन बाद बरामद किए आरोपी के कपड़े-सामान: ताला थाना प्रभारी (ओसी) अभिजीत मंडल यह जानते हुए भी कि ये एक जघन्य अपराध है, उन्होंने इस मामले में भारतीय न्याय संहित (बीएनएस) की संबंधित और जरूरी धाराओं के तहत केस दर्ज नहीं किया. यहां तक कि मुख्य अभियुक्त संजय रॉय के कपड़े और सामान (फोरेंसिक जांच के लिए जरूरी) जब्त करने में दो दिन की अनावश्यक देरी की गई, जबकि अपराध में उसकी भूमिका की जानकारी वारदात के तुरंत बाद ही सामने आ चुकी थी।क्राइम सीन संरक्षित और सुरक्षित करने में विफल रही पुलिस: इससे भी बड़ी चूक क्राइम सीन को सुरक्षित रखने में की गई. कोलकाता पुलिस के आने से पहले और बाद में बड़ी संख्या में लोग मौका-ए-वारदात पर मौजूद थे. पुलिस अपराध स्थल को संरक्षित और सुरक्षित करने में पूरी तरह से विफल रही. यहां तक कि जरूरी घेराबंदी तक नहीं की गई थी. इस वारदात के कुछ दिनों के बाद वीडियो और तस्वीरें वायरल हुई थीं, जिसमें पुलिस की मौजूदगी में अनाधिकृत लोगों को क्राइम सीन पर देखा गया था।पीड़िता का पोस्टमार्टम और डेथ सर्टिफिकेट देने में हुई देरी। अस्पताल प्रशासन की ओर से पीड़िता को परिजनों को पहले आत्महत्या की सूचना दी गई थी. घटनास्थल पर उसके परिजनों के पहुंचने के बावजूद उन्हें उसके पास जाने नहीं दिया गया. इसके बाद पोस्टमार्टम में भी बहुत देर किया गया. इसके बाद में जल्दीबाजी में दाह संस्कार की अनुमति दी गई, जबकि पीड़िता के परिजन कैमरे की निगरानी में दूसरी बार पोस्टमार्टम कराना चाहते थे. पीड़ित का मृत्यु प्रमाण पत्र भी काफी देर बाद जारी किया गया। 10 लाख रुपए देने का ऐलान ममता बनर्जी के गले पड़ गया।लेडी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या मामले ने जब तूल पकड़ लिया, तो ममता बनर्जी परिजनों से मिलने उसके घर पहुंची थी. उन्होंने मामला शांत करने के लिए मुआवजा देने की भी पेशकश की थी. इसके बाद 10 लाख रुपए देने का ऐलान भी किया था. उस वक्त पीड़िता के पिता ने कहा था, ”बेटी की मौत के बाद जिस दिन मुख्यमंत्री हमारे घर आईं, उन्होंने हमें मुआवजा देने की पेशकश की.” हालांकि, बाद में ममता ने इससे इनकार कर दिया था।डॉक्टरों पर भीड़ का हमला रोकने में नाकाम रही पुलिस: 14 अगस्त की देर रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उसी वक्त वहां अचानक हजारों लोगों की भीड़ एकत्र हो गई. इसमें बड़ी संख्या में उपद्रवी शामिल थे, जो प्रदर्शनकारियों के भेष में आए थे. इनमें से कई अस्पताल परिसर में घुस गए और जमकर तोड़फोड़ किया. डॉक्टरों के साथ मारपीट की गई. पुलिस कर्मियों पर पथराव किया गया. यहां तक कि क्राइम सीन को भी भीड़ ने नुकसान पहुंचाया। पुलिस की ही बाइक लेकर घूमता रहा संजय रॉय: इस मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी संजय रॉय वारदात वाली रात जो बाइक चला रहा था, वो पुलिस कमीश्नर के नाम पर रजिस्टर्ड है. इस केस की जांच कर रही सीबीआई के अनुसार ये बाइक मई 2024 में रजिस्टर कराई गई थी. इसी बाइक से संजयने 9 अगस्त को नशे की हालत में 15 किलोमीटर का सफर तय किया था. हालांकि, कोलकाता पुलिस से साफ किया था कि संबंधित सभी सरकारी वाहन पहले आधिकारिक तौर पर पुलिस आयुक्त के तहत रजिस्टर्ड होते हैं।सोशल मीडिया क्रिटिक्स पर एक्शन और गिरफ्तारी: इस केस की जांच सबसे पहले कोलकाता पुलिस कर रही थी. लेकिन वारदात के बाद जब मीडिया और सोशल मीडिया पर सरकार और पुलिस की आलोचना होने लगी, तो पुलिस बौखला गए. पुलिस ने सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों, यूट्यूबर्स, छात्रों और डॉक्टरों सहित कई लोगों पर कार्रवाई कर दी. करीब 280 लोगों को नोटिस जारी किए गए और राज्य के एक 23 वर्षीय छात्र को विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया।