सऊदी अरब की नूफ मारवई योग से कर रही निरोग
सऊदी अरब की नूफ मारवई योग से कर रही निरोग

सऊदी अरब की पहली प्रमाणित योग प्रशिक्षक और पद्म श्री पुरस्कार पाने वाली पहली अरब महिला नूफ मारवई कहती हैं कि सऊदी अरब के लोगों ने सात साल पहले योग को अपनाया था। अब यह भारतीय पद्धति इस देश में बेहद लोकप्रिय है और इसमें महिलाओं का दबदबा है।
मारवई ने बताया कि 17 साल की उम्र में ऑटोइम्यून बीमारी ल्यूपस एरिथेमेटोसस होने का पता चला। चिकित्सकों ने माता-पिता से कह दिया, जिंदा नहीं बचेंगी, तो मैंने रियाद में घर पर रहकर योग सीखा और मेरी जिंदगी बदल दी।और यहीं से उनके योग के सफर का आगाज हुआ। रियाद में घर पर रहकर योग सीखा। बाद में उन्होंने भारत आकर योग सीखने का फैसला किया व 2008 में वह योग व आयुर्वेद के अध्ययन के लिए वह भारत आ गई।
सऊदी में नहीं, बाहर से प्रतिरोध झेलना पड़ा
मारवई ने बताया कि यहां लोगों को बस वह समझने भर की जरूरत थी कि योग का अभ्यास उनके मजहब के खिलाफ नहीं है। सऊदी अरब में योग को लेकर विरोध नहीं था। इसके उलट बाहर से कुछ प्रतिरोध झेलना पड़ा। वह कहती हैं कि अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए किसी भी दर्शन का अध्ययन करने और सीखने में कोई बुराई नहीं है। बेशक, वैदिक दर्शन और योग वेदों जैसी पृष्ठभूमि से आता है, जो वास्तव में प्राचीन हैं और हजारों सालों से मानवता के लिए फायदेमंद रहा है।
अलग संस्कृति अपनाने में कोई हिचक नहीं
मारवई ने कहा-सऊदी लोग अपने धर्म को जानते हैं। वे अलग-अलग संस्कृतियों को जानने के लिए काफी उत्साहित रहते है। और कुछ ऐसा अपनाने से नही हिचकिचाते हैं जो विवादित न हो। उसे अपनाने में दिलचस्पी रखते हैं जो सेहत, तंदुरुस्ती के लिए अच्छा हो।
बीते साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सऊदी नागरिकों सहित 10,000 लोगों ने शिरकत की। वहीं, इस साल हज की छट्टियों के बावजूद, 8,000 लोग इस आयोजन में शामिल हुए।