चौबीस कुंडीय यज्ञ में 25 लोंगों ने ली दीक्षा

मनुष्य को अपने जीवन में एक ही गुरु बनाना चाहिए:डाक्टर अशोक ढोके 

 

चांदनी चौक मसकनवा में चल रही है 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ

गोडा। पांच दिवसीय गायत्री महायज्ञ का चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न हुई जिसमें 25 लोगों ने गायत्री परिवार की दीक्षा ली। यहां पर सुविचार व संस्कार की गंगा बह रही है जिसमें श्रोता ओत प्रोत नजर आ रह हैं।

चांदनी चौक मसकनवा स्थित मां गायत्री इंस्टीट्यूट पैरा मेडिकल साइसेंज में यह महायज्ञ मानव कल्याण के लिए शुरू करायी गयी है जहा पर ओम र्भू भव स्व तत् सविर्तुवणेयम का मंत्र गुलजार हो रहा है। यहां पर आने पर लोगों को मानसिक शांति मिल रही है। दीक्षा लेने वाले लोगों में शतीश चंद, पूरण चंद गुप्ता, राम तिलक वर्मा, चंदावती, सुशील शुक्ल, सौरभ दिवेदी, जिलाधीश यादव, सावित्री यादव, राम केवल वर्मा, माधुरी, मालती देवी, हरैरा, सुनील कुमार, आरती, मनोज दूबे, निर्मला तिवारी, रूचि दिवेदी, पल्लवी तिवारी, रीनापाल, अंकित तिवारी, राहुल तिवारी, प्रिंस सिह, सूर्य प्रताप सिह, शिवांश सिह, शक्ति सिह शामिल है, यहां पर, डा अशोक ढोके शांति कुज ने गायत्री मंत्र की महिमा बताते हुए कहा कि-” मनुष्य को अपने जीवन में एक ही गुरु बनाना चाहिए। मनुष्य का सच्चा मार्गदर्शक सच्चा गुरु ही होता है। जिस प्रकार हजारों तारों के प्रकाश से बढ़कर एक चंद्रमा का प्रकाश होता हैं। उसी प्रकार जीवन में अनेक गुरुओं से भला तो एक सतगुरु ही होता हैं।

साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कार परंपरा के समाप्त हो जाने के कारण ही आज हमारी नई पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है और गलत राह पर चल रही है। हमें ऋषियों द्वारा बताए गए संस्कारों को अवश्य अपनाना चाहिए।

अपने बच्चों का जन्मदिन दीपक जलाकर बनाना चाहिए ना कि मोमबत्ती को फूंक करके। आपके बच्चे का जितना वर्ष हुआ हो उतना दीपक अपने इष्ट के सामने जलाकर और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि इस बच्चे का भविष्य उज्जवल हो।

हरई शिष्य धन शोक न हरई ,

सो गुरु घोर नरक महुं परई।

अर्थात जो गुरु शिष्य के धन का हरण कर ले उसके शोक, संताप, कष्ट ,कठिनाइयों का हरण न करें वह गुरु नरक गामी होता है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक संरक्षक वेदमूर्ति पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जिन्होंने 80 वर्ष का जीवन पूरी सादगी से जिया जिन्होंने जनमानस के परिष्कार के लिए निस्वार्थ भाव से 3200 पुस्तकों का लेखन किया हम सब के गुरु वरुण करने योग्य है।

गायत्री महामंत्र की दीक्षा के साथ उन्होंने कहा कि वेदमंत्र गायत्री का जप करने से व्यक्ति का कल्याण के साथ-साथ पूरे मानव जाति का कल्याण होता है।

यज्ञ करने से मनुष्य के मानसिक शारीरिक विकार नष्ट होते हैं। मनुष्य को सांसारिक दुखों से छुटकारा मिलता हैं। जिसने यज्ञ को आत्मसात कर लिया उसका जीवन सफल हो गया।

कार्यक्रम में मुख्य यजमान विजय बहादुर सिंह,विष्णु विवेक शुक्ल,राघवेंद्र सोनी,विनोद मोदन वाल,राम कुमार गुप्ता,राम सुन्दर गुप्ता,उमाशंकर मिश्र,राकेश ओझा,नीरज गुप्ता,चंदन कौशल सहित मां गायत्री परिवार की महिलाओ बच्चो ने मां गायत्री का पूजन हवन कर प्रसाद ग्रहण किया है।

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