हमारी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ शोर के अपराध से है: चेतन उपाध्याय

वाराणसी। ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउंडेशन’ की ओर से आज शुक्रवार की सुबह 7:30 बजे, वाराणसी में ककरमत्ता स्थित लिटिल फ्लावर हाउस (LFH Kakarmatta, Varanasi) में और फिर सुबह 8:30 बजे वाराणसी के राजघाट बेसेंट स्कूल (RBS Varanasi) में ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आज के इन दोनों ही कार्यक्रमों में विशिष्ट वक्ता के रूप में, प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ. डॉ अजय कुमार पाण्डेय की उपस्थिति और भाषण से कार्यक्रम में चार चांद लग गए.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ‘सत्या फाउंडेशन’ के सचिव चेतन उपाध्याय ने कहा कि कोई भी व्यक्ति शोर को पसंद नहीं करता. फिर कहा कि कोई भी धर्म शोर करना नहीं सिखाता मगर कुछ भटके हुए लोग सोचते हैं कि तेज आवाज वाले लाउडस्पीकर, डी.जे. और पटाखे का प्रयोग करने से भगवान खुश हो जायेंगे. ईश्वर के प्रति प्रेम प्रदर्शन में कुछ लोग सारी सीमा और मर्यादा तोड़ दे रहे हैं जिसके कारण घरों के खिड़की-दरवाजे हिलने लगते हैं और फिर शोर के कारण लोगों को हार्ट अटैक भी आ जा रहा है. शोर के कारण इतनी अधिक हिंसा और मृत्यु के बाद भी उपद्रव करने वाले कहते हैं कि बस एक दिन की ही तो बात है. जबकि जिस जिले की आबादी 40 लाख हो, वहाँ समाज में आए दिन कोई न कोई पर्व त्यौहार या शादी-विवाह होता ही रहता है. और शोर संबंधी नियमावली का पालन न होने के कारण यह संसार पागलखाना बनता जा रहा है. कहा कि ‘सत्या फाउंडेशन’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिलकर मांग की थी कि साल के 365 दिन पटाखों पर 100% प्रतिबंध हो और खुली जगह में डी.जे. पर साल के 365 दिन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. चेतन उपाध्याय ने स्पष्ट किया कि केवल दीपावली ही नहीं क्रिसमस और नए साल पर भी पटाखे फोड़े जाते हैं और पिछले कई वर्षों से ‘सत्या फाउंडेशन’ की पहल और प्रार्थना पर, बनारस के बिशप हाउस के माध्यम से पटाखे और डीजे के पूर्ण बहिष्कार की अपील की जाती है जो सभी मीडिया में प्रकाशित होती आयी है. सत्या फाउंडेशन की पहल पर ही, बनारस में मुसलमानों के सबसे बड़े धर्मगुरु, मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने लिखित रूप में सरकार से माँग की है कि सड़क पर डी.जे. हो या मस्जिद-मंदिर का लाउडस्पीकर, सभी के खिलाफ नियमानुसार मुकदमे के लिए सभी थानेदारों और चौकी प्रभारी को टारगेट दिया जाना चाहिए. यह सब बताने का अर्थ केवल इतना है कि ‘सत्या फाउंडेशन’ की लड़ाई मानवता को बचाने की लड़ाई है. हमारी लड़ाई किसी भी धर्म या पंथ से नहीं है. हमारी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ शोर के अपराध से है.

संभवत: भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां पर साइलेंस जोन में भी यानी स्कूल, अस्पताल, पूजा- उपासना स्थल और कोर्ट- कचहरी के 100 मीटर के दायरे में भी लाउडस्पीकर, हॉर्न और डी.जे. बजाया जाता है जबकि भारत के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के मुताबिक ऐसा अपराध करने पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है.

ध्वनि प्रदूषण नियम में संशोधन की आवश्यकता है:
चेतन उपाध्याय ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून में शोर की तीव्रता (डेसीबल) के साथ ही ध्वनि की बारंबारता (Frequency) का सेक्शन भी जोड़ा जाना चाहिए.

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के चलते मनुष्य की हृदय गति और रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है. तेज शोर के कारण इंसान को बहरापन भी आ सकता है. साथ ही तनाव, चिड़चिड़ापन, पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र की समस्या, अनिद्रा और डिप्रेशन की शिकायत भी हो सकती है. सत्या फाउंडेशन के इस अभियान में सभी को अपना समर्थन देना चाहिए और साइलेंस जोन में पूर्ण शांति के कानून का पालन करने और करवाने में सभी को अपना योगदान देना चाहिए. साथ ही यह भी शपथ ली गई कि पटाखे और डी.जे. का एकदम इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

लिटिल फ्लावर हाउस में निदेशिका, अदिति गुलाटी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. राजघाट बेसेंट स्कूल में निदेशक श्री कुमार राधाकृष्णन और सभी शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित थे, प्रधानाचार्या श्रीमती अर्शिया अख्तर ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

 

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